जूनागढ़ का पितांबरा देवी मंदिर:गुजरात में सोनार नदी के किनारे प्रकट हुईं थी मां बगलामुखी, दस महाविद्याओं में आठवीं शक्ति हैं

गुजरात के जुनागढ़ में ऐसी जगह है जहां देवी बगलामुखी प्रकट हुई थीं। जो कि दस महाविद्याओं में आठवीं शक्ति मानी जाती हैं। सौराष्ट्र में भट्ट बावड़ी नाम के गांव में इस मंदिर में लोग सालों से देवी बगलमुखी की पूजा कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि ये देवी का प्राकट्य स्थान है। ये कहना है गुरु गोरखनाथ के भक्त रघुनाथ येमूल का। जो कई सालों से गिरनार पर्वत पर साधना कर रहे हैं। ग्रंथों में ये बताया गया है कि देवी बगलामुखी यानी मां पितांबरा हरिद्रा नदी के किनारे प्रकट हुई थीं। जिस जगह पर मंदिर खोजा गया उससे कुछ दूरी पर ही सोनार नदी है। जो हरिद्रा का ही अपभ्रंश है। यहां देवी बगलामुखी की मूर्ति स्थापित हुई है। दतिया पीतांबरा पीठ के साधक भी इस जगह को देवी का प्राकट्य स्थान मानते हैं। हरिद्रा ही आज की सोनार नदी
पितांबरा यानी पीले रंग वाली देवी और हरिद्रा यानी हल्दी। सोनार यानी ऐसी नदी जिसके पानी में पीलापन हो। यानी सौराष्ट्र में हरिद्रा नदी थी जिसका पानी पीले रंग का था। उसे ही लोकल भाषा में सोनार यानी सोने के रंग वाली नदी कहा जाने लगा। कन्या के रूप में विराजमान है देवी, महिला करती हैं पूजा
इस जगह देवी कन्या रूप में विराजमान है। अब तक इस मंदिर में भट्ट परिवार की गायत्री देवी लंबे समय से पूजा अर्चना कर रही हैं। बगलामुखी साधक गुरु रघुनाथ येमूल और महेंद्र भाई रावल का मानना है कि यहां देवी के दर्शन और पूजा करने से सुख,शांति और समृद्धि मिलती है। परेशानियां भी दूर होती हैं। कैसे प्रकट हुईं देवी बगलामुखी
सतयुग में दुनिया को खत्म कर देने वाला भयंकर तूफान आया। जिससे इंसानों पर संकट आ गया। जिससे भगवान विष्णु की चिंता बढ़ गई। तब भगवान ने सौराष्ट्र में हरिद्रा नदी के किनारे जाकर देवी का ध्यान किया। मंगलवार और चतुर्दशी तिथि के संयोग में भगवान विष्णु के तेज से उस नदी में से देवी ने बगलामुखी प्रकट हुईं। भगवान विष्णु का रंग पीला है, इसलिए देवी बगलामुखी का भी ये ही रंग था। ये ही वजह है कि उन्हें पीतांबरा कहा जाता है। देवी ने प्रकट होकर उस तूफान को रोक दिया। तभी से संकट मुक्ति के लिए देवी बगलामुखी की पूजा की जाने लगी। देश में बगलामुखी देवी के चार खास मंदिर है। जो कि गुजरात, हिमाचल और मध्य प्रदेश में हैं। जानते हैं इन मंदिरों में देवी मूर्ति की स्थापना से जुड़ी मान्यताएं… 1. सौराष्ट्र के जूनागढ़ के भट्ट बावड़ी गांव में देवी का प्राकट्य स्थान माना जाता है।
2. हिमाचल के कांगड़ा में श्रीराम ने देवी बगलामुखी की पूजा कर मूर्ति स्थापना की थी।
3. महाभारत काल के दौरान श्रीकृष्ण ने मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में देवी बगलामुखी की पूजा की थी।
4. मध्य प्रदेश के ही दतिया में स्वामी महाराज ने 1935 में बगलामुखी मंदिर की स्थापना की। 1962 में पीएम नेहरू ने यहां पूजा करवाई जिससे भारत-चीन युद्ध रूक गया था।