भारत-फ्रांस 28 अप्रैल को साइन करेंगे 26 राफेल-मरीन जेट डील:64 हजार करोड़ में फाइनल हुई; दोनों देशों के बीच यह अबतक का सबसे बड़ा सौदा

भारत और फ्रांस 28 अप्रैल को 26 राफेल मरीन फाइटर जेट के लिए अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करेंगे। डील पर साइन फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू की मौजूदगी में होंगे। रक्षा सूत्रों के मुताबिक 64 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की डील पर साइन करते समय दोनों पक्षों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। यह कार्यक्रम साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के बाहर भी आयोजित करने की योजना है। फ्रांसीसी मंत्री का 27 अप्रैल की शाम को भारत पहुंचने और अगले दिन लौटने का शेड्यूल है। गौरतलब है कि भारत ने 9 अप्रैल को गवर्नमेंट-टु-गवर्नमेंट डील के तहत PM मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में फ्रांस के साथ 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों के लिए सौदे को मंजूरी दी थी। इस सौदे में 22 सिंगल-सीटर, 4 ट्विन-सीटर जेट शामिल होंगे। साथ ही बेड़े के रखरखाव, लॉजिस्टिक सपोर्ट, पर्सनल ट्रेनिंग और स्वदेशी निर्माण वाला पैकेज भी शामिल होगा। ये सभी 26 मरीन राफेल जेट INS विक्रांत से ऑपरेट होंगे और मौजूदा मिग-29 K बेड़े का सपोर्ट करेंगे। इस सौदे के साथ ही राफेल जेट की संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी। पहले दौर की चर्चा जून 2024 में हुई थी 26 राफेल-एम फाइटर जेट खरीदने की डील पर पहले दौर की चर्चा जून 2024 में शुरू हुई थी। तब फ्रांस सरकार और दसॉ कंपनी के अधिकारियों ने रक्षा मंत्रालय की कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी से चर्चा की थी। डील फाइनल होने पर फ्रांस राफेल-M जेट के साथ हथियार, सिमुलेटर, क्रू के लिए ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराएगा। इन हथियारों में अस्त्र एयर-टु-एयर मिसाइल, एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए जेट में इंडियन स्पेसिफिक इन्हैंस्ड लैंडिंग इक्विपमेंट्स और जरूरी इक्विपमेंट्स शामिल किए गए हैं। फ्रांस ने ट्रायल्स के दौरान इंडियन एयरक्राफ्ट कैरियर्स से राफेल जेट की लैंडिंग और टेक-ऑफ स्किल का प्रदर्शन किया है, लेकिन रियल टाइम ऑपरेशन के लिए कुछ और इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल करना होगा। भारतीय वायु सेना के पास पहले से हैं 36 राफेल भारतीय वायु सेना के पास पहले से ही 2016 में हुए एक अलग सौदे के तहत हासिल किए गए 36 विमानों का बेड़ा है। IAF राफेल जेट अंबाला और हाशिनारा में से संचालित होते हैं। नेवी के लिए खरीदे जा रहे 22 सिंगल सीट राफेल-एम जेट और 4 डबल ट्रेनर सीट राफेल-एम जेट हिंद महासागर में तैनात किए जाएंगे। भारतीय नौसेना इन विमानों को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में INS डेगा में अपने होम बेस के रूप में तैनात करेगी। नौसेना के डबल इंजन वाले जेट आमतौर पर दुनियाभर की एयरफोर्स द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे विमानों की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं, क्योंकि समुद्र में इनके ऑपरेशन के लिए अतिरिक्त क्षमताओं की जरूरत होती है। इनमें अरेस्टिंग लैंडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले लैंडिंग गियर भी शामिल हैं। क्या हैं राफेल मरीन फाइटर जेट की खासियतें… पहली खेप में 2-3 साल लग सकते हैं, वायुसेना के लिए विमान आने में 7 साल लगे थे
INS विक्रांत के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। उसके डेक से फाइटर ऑपरेशन परखे जाने बाकी हैं। सौदे पर मुहर लगने के कम से कम एक साल तक टेक्निकल और कॉस्ट से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी होंगी। एक्सपर्ट के मुताबिक नौसेना के लिए राफेल इसलिए भी सही है, क्योंकि वायुसेना राफेल के रखरखाव से जुड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर चुकी है। यही नौसेना के भी काम आएगा। इससे काफी पैसा बच जाएगा। सूत्रों का कहना है कि राफेल-M की पहली खेप आने में 2-3 साल लग सकते हैं। वायु सेना के लिए 36 राफेल का सौदा 2016 में हुआ था और डिलीवरी पूरी होने में 7 साल लग गए थे। जब नौसेना के पास मिग-29 था तो राफेल-एम की जरूरत क्यों? ———————————— सेना से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… भारत 307 हॉवित्जर तोपें खरीदेगा, ₹6900 करोड़ की डील; पहली बार इतनी स्वदेशी तोपें सेना में शामिल होंगी रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की डिफेंस कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए बुधवार को 6900 करोड़ रुपए की डील साइन की। इसके तहत अब 307 एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) यानी हॉवित्जर तोपों को खरीदा जाएगा। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में स्वदेशी तोपें खरीदी जा रही हैं। पूरी खबर पढ़ें…