देश में इस बार मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने कहा ये 106% रह सकती है। पिछले महीने इसे 105% बताया गया था। वहीं, जून महीने में भी बारिश सामान्य से ज्यादा होगी। मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को बताया, ‘देश में जून के महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है, जो 108% हो सकती है। यानी इस दौरान 87 सेमी से ज्यादा बारिश का अनुमान है। इसे लॉन्ग पीरियड एवरेज यानी LPA कहा जाता है। एमपी, महाराष्ट्र में ज्यादा बारिश, बिहार-झारखंड में कम बारिश होने का अनुमान क्या होता है लॉन्ग पीरियड एवरेज इसका मतलब है कि मौसम विभाग ने 1971-2020 की अवधि के आधार पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) को 87 सेमी (870 मिमी) निर्धारित किया है। अगर किसी साल की बारिश 87 सेमी से ज्यादा होती है, तो उसे सामान्य से अधिक माना जाता है। अगर कम हो तो कमजोर मानसून माना जाता है। जानिए क्या है भारत फोरकास्ट सिस्टम भारत सरकार ने आज एडवांस भारत फोरकास्ट सिस्टम (BFS) लॉन्च किया। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इसे देश को सौंपा। यह सिस्टम आपदा प्रबंधन, खेती, जल प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा में पंचायत स्तर तक मदद करेगा। BFS सिस्टम मौसम के बारे में पहले से कहीं ज्यादा सटीक और छोटी से छोटी जानकारी देगा। पुणे के इंडियन इंडियन इंस्टीट्यूट और ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजिकल (IITM) ने इसे तैयार किया है। BFS सिस्टम 6 KM के रेजोल्यूशन पर मौसम का अनुमान लगाएगा, जो दुनिया में सबसे बेहतर है। इससे छोटी से छोटी मौसम संबंधी घटनाओं जैसे बारिश, तूफान का पहले से ज्यादा सटीक पता लगाया जा सकेगा। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन ने बताया कि अब मौसम का पूर्वानुमान पहले से ज्यादा स्थानीय और सटीक होगा। उन्होंने बताया कि पहले सुपरकम्प्यूटर प्रत्यूष का उपयोग किया जा रहा था, लेकिन अब नए सुपरकम्प्यूटर अर्का का उपयोग किया जाएगा। प्रत्यूष को मौसम मॉडल चलाने में 10 घंटे लगते थे, वहीं अर्का सिर्फ 4 घंटे में काम पूरा कर देता है। यह सिस्टम 40 डॉपलर रडार से डेटा लेता है और भविष्य में 100 रडार के साथ और बेहतर होगा। इससे 2 घंटे के स्थानीय पूर्वानुमान संभव होंगे। तय समय से 8 दिन पहले केरल पहुंचा मानसून
24 मई को मानसून केरल पहुंचा था। यह अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा था। मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया। 2009 में मानसून 9 दिन पहले पहुंचा था। वहीं, पिछले साल 30 मई को दस्तक थी। आम तौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास वापस लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मानसून की शुरुआत की तारीख और सीजन के दौरान कुल बारिश के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। 1972 में सबसे देरी से केरल पहुंचा था मानसून
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 150 साल में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखें काफी अलग रही हैं। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंच गया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था। इस साल मानसून में अल नीनो की संभावना नहीं
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना नहीं है। यानी इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। कम बारिश की आशंका न के बराबर है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी। अल नीनो और ला नीना क्लाइमेट (जलवायु) के दो पैटर्न होते हैं- इस साल मानसून जल्दी क्यों पहुंचा?
भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं। पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है। क्या मानसून जल्दी आना मतलब जल्दी खत्म होना है?
मानसून का जल्दी आना यह नहीं तय करता कि वह जल्दी खत्म भी हो जाएगा। यह मौसम से जुड़ी कई जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान, हवा का दबाव और वैश्विक मौसम पैटर्न। अगर मानसून समय से पहले आ जाए, लेकिन उसकी गति अच्छी बनी रहे, तो वह पूरे देश में सामान्य या अच्छी बारिश दे सकता है, लेकिन अगर मानसून जल्दी आकर धीरे पड़ जाए या कमजोर हो जाए, तो कुल मिलाकर कम बारिश हो सकती है। कभी-कभी मानसून देर से आता है, लेकिन लंबे समय तक टिकता है और अच्छी बारिश देता है। ———————————————— मौसम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बारिश-बिजली से केरल और महाराष्ट्र में 5 की मौत: लैंडस्लाइड से सैकड़ों घरों को नुकसान, मुंबई-ठाणे में आज बारिश का रेड अलर्ट केरल में 24 मई को मानसून की दस्तक के बाद लगातार बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 4 लोगों की मौत हो गई है। बारिश-लैंडस्लाइड के चलते 29 घर ढह गए, 868 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। ट्रेनें देरी से चल रही हैं। निचले इलाके जलमग्न हैं। पूरी खबर पढ़ें…
24 मई को मानसून केरल पहुंचा था। यह अपने तय समय से 8 दिन पहले पहुंचा था। मौसम विभाग के मुताबिक 16 साल में ऐसा पहली बार हुआ जब मानसून इतनी जल्दी आया। 2009 में मानसून 9 दिन पहले पहुंचा था। वहीं, पिछले साल 30 मई को दस्तक थी। आम तौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास वापस लौटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मानसून की शुरुआत की तारीख और सीजन के दौरान कुल बारिश के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके जल्दी या देर से पहुंचने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। 1972 में सबसे देरी से केरल पहुंचा था मानसून
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 150 साल में मानसून के केरल पहुंचने की तारीखें काफी अलग रही हैं। 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को केरल पहुंच गया था, जबकि 1972 में सबसे देरी से 18 जून को केरल पहुंचा था। इस साल मानसून में अल नीनो की संभावना नहीं
मौसम विभाग ने अप्रैल में कहा था कि 2025 के मानसून सीजन के दौरान अल नीनो की संभावना नहीं है। यानी इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। कम बारिश की आशंका न के बराबर है। 2023 में अल नीनो सक्रिय था, जिसके कारण मानसून सीजन में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई थी। अल नीनो और ला नीना क्लाइमेट (जलवायु) के दो पैटर्न होते हैं- इस साल मानसून जल्दी क्यों पहुंचा?
भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं। पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है। क्या मानसून जल्दी आना मतलब जल्दी खत्म होना है?
मानसून का जल्दी आना यह नहीं तय करता कि वह जल्दी खत्म भी हो जाएगा। यह मौसम से जुड़ी कई जटिल प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है, जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान, हवा का दबाव और वैश्विक मौसम पैटर्न। अगर मानसून समय से पहले आ जाए, लेकिन उसकी गति अच्छी बनी रहे, तो वह पूरे देश में सामान्य या अच्छी बारिश दे सकता है, लेकिन अगर मानसून जल्दी आकर धीरे पड़ जाए या कमजोर हो जाए, तो कुल मिलाकर कम बारिश हो सकती है। कभी-कभी मानसून देर से आता है, लेकिन लंबे समय तक टिकता है और अच्छी बारिश देता है। ———————————————— मौसम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बारिश-बिजली से केरल और महाराष्ट्र में 5 की मौत: लैंडस्लाइड से सैकड़ों घरों को नुकसान, मुंबई-ठाणे में आज बारिश का रेड अलर्ट केरल में 24 मई को मानसून की दस्तक के बाद लगातार बारिश से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक 4 लोगों की मौत हो गई है। बारिश-लैंडस्लाइड के चलते 29 घर ढह गए, 868 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। ट्रेनें देरी से चल रही हैं। निचले इलाके जलमग्न हैं। पूरी खबर पढ़ें…