आज (मंगलवार, 27 मई) ज्येष्ठ मास की अमावस्या और शनि जयंती है। इस बार पंचांग भेद और तिथियों की घट-बढ़ की वजह से ज्येष्ठ अमावस्या 26 और 27 मई को दो दिन है। शनि जयंती पर शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। शनि अभी मीन राशि में है। ये शनि के मित्र गुरु ग्रह की राशि है। 2025 से 28 साल पहले मीन राशि में रहते हुए शनि का जन्मोत्सव 5 जून 1997 को मनाया गया था। 28 साल बाद शनि मीन राशि में है और शनि जयंती मनाई जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शनि जिस राशि में रहता है, उस राशि में, उसके आगे और पीछे की एक-एक राशि पर भी शनि की साढ़ेसाती रहती है। जैसे अभी शनि मीन राशि में है तो मीन से पीछे की कुंभ राशि, मीन से आगे की मेष राशि पर भी साढ़ेसाती चल रही है। इसके अलावा शनि जिस राशि में है, वहां से षष्ठम यानी छठी राशि में और दसवीं राशि में शनि का ढय्या रहता है। जैसे इस समय सिंह और धनु राशि में शनि का ढय्या चल रहा है। जानिए सभी 12 राशियों पर शनि का कैसा असर बना हुआ है… किन लोगों पर शनि देव करते हैं कृपा शनि को न्याय का ग्रह माना जाता है। जिन लोगों ने कोई बुरा कार्य नहीं किया है, उन्हें शनि की साढ़ेसाती और ढय्या में भी डरने की जरूरत नहीं है। शनि उन लोगों पर कृपा करते हैं, जो धर्म के अनुसार काम करते हैं और दूसरों की मदद करते हैं। धर्म के अनुसार चलने वाले लोगों का शनि की साढ़ेसाती और ढय्या में कुछ अहित नहीं होता है। जो लोग दूसरों के साथ दुर्यव्यहार करते हैं, नशा करते हैं, परस्त्री या परपुरुष का संग करते हैं, जुआ-सट्टा खेलते हैं, स्त्रियों का अपमान करते हैं, माता-पिता अथवा बुजुर्गों का अपमान करते हैं, उनसे शनि देव अत्यंत नाराज होते हैं। शनि के दोष से बचना चाहते हैं तो बुराइयों को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए। कैसा है शनि का स्वरूप शनि देव श्याम वर्ण हैं, इनका क्रोधी स्वभाव है। नव ग्रहों में इनकी गणना एक शक्तिशाली ग्रह के रूप में होती है। शनि ग्रह का रंग नीला एवं उसके आसपास वलय होता है। सौर मंडल में शनि दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसके तीन चंद्रमा हैं। इसके करीब 60 उपग्रह हैं। इनमें टाइटन सबसे बडा उपग्रह है। सौर मंडल में इस ग्रह की चाल सबसे धीमी है। इस कारण शनि लगभग 27 महीनों में अपनी राशि बदलता है। इसलिए इसे धीरे चलने वाला श्नै:चर अथवा शनैश्चर कहते हैं। मंद गति होने के कारण शनि को मंदाय भी कहते हैं।