कोरोना काल में बेहद खतरनाक माने जाना वाला वायु प्रदूषण आने वाले दिनों में बढ़ने के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही गुड़गांव में हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है। शनिवार को सुबह के समय शहर पर पॉल्यूशन की चादर छाई रही। सबसे अधिक खराब स्थिति विकास सदन स्थित प्रदूषण मापक यंत्र पर रही, जहां औसतन एक्यूआई 213 दर्ज किया गया। इसी तरह मानेसर स्थित हरियाणा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्रदूषण मापक यंत्र पर 205 एक्यूआई दर्ज किया गया।
जबकि सुबह के समय मानेसर में पॉल्यूशन का स्तर 315 तक रहा। जबकि फरीदाबाद में एक्यूआई का स्तर 208 व 209 औसत दर्ज किया गया। पिछले कई वर्षो से अक्टूबर से जनवरी के बीच बढ़ते वायु प्रदूषण के इतिहास को दोहराने से रोकने के लिए जिला प्रशासन बेशक तैयारियों का दम भर रहा है, लेकिन धरातल पर कोई एक्शन दिखाई नहीं दे रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में यदि इतिहास दोहराया गया तो नतीजे और गंभीर हो सकते हैं। शहर में वायु प्रदूषण बढ़ेगा इसके लक्षण अभी से दिखाई देने लगे हैं।
पिछले तीन वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर माह शुरू होते ही वायु प्रदूषण का आंकड़ा बढ़ जाता है। नवंबर और दिसंबर माह में यह आंकड़ा और भयानक स्थिति में पहुंच जाता है। हालांकि पॉल्यूशन को कम करने के लिए सभी विभागों को जिम्मेवारी सौंपी गई है, लेकिन अभी तक इंतजाम कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। वर्ष 2017 में अक्टूबर माह के शुरुआत में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से 250 अंकों के बीच रहा। वहीं वर्ष 2018 में अक्टूबर के पहले सप्ताह में एक्यूआइ 190 से 210 अंकों के बीच रहा था।
इसी प्रकार वर्ष 2019 में एक्यूआइ 180 से 240 अंकों के बीच रहा था। यह आंकड़े नवंबर व दिसंबर महीने में 500 तक पहुंच गए। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तरह-तरह के इंतजाम किए गए, लेकिन कोई खास फायदा नजर नहीं आया। लोगों को इस दौरान सांस लेने में दिक्कतें हुईं। पॉल्यूशन बढ़ने का सबसे बड़ा कारण निर्माण कार्य व सड़कों पर धुंआ व धूल उड़ाते वाहन हैं।
पॉल्यूशन के कारण कोरोना संक्रमित पेशेंट की बढ़ेगी परेशानी
कोरोना महामारी के इस दौर में संक्रमित व्यक्ति को सबसे अधिक आक्सीजन की आवश्यकता होती है। यदि वायु मंडल में आक्सीजन दूषित मिलेगी तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जिला प्रशासन के साथ-साथ लोगों को भी बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए जागरूक होना पड़ेगा। यदि सभी लोग जागरूक होंगे तभी छोटे-छोटे उपायों से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकेगा।
इस तरह खतरनाक होता है बढ़ता पॉल्यूशन
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्वास्थ्य पर प्रभाव 0-50 कोई दुष्प्रभाव नहीं।
- 1-100 संवेदनशील लोगों को सांस लेने में हल्की तकलीफ।
- 101-150 सांस और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक।
- 151-200 मध्यम प्रदूषित, आंखों में जलन, सांस में तकलीफ।
- 201-300 ज्यादा प्रदूषित, दिल के मरीजों को परेशानी, सांस की बीमारी।
- 300 अति प्रदूषित, घर से बाहर नही निकलने की चेतावनी।