अक्षय नवमी 10 नवंबर को:कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने की है परंपरा, इस दिन आंवले का करें दान

रविवार, 10 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी है। इसे अक्षय नवमी और आंवला नवमी कहते हैं। इस पर्व पर आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि जो लोग इस तिथि पर आंवले की पूजा करते हैं, उन पर विष्णु जी और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और आंवला नवमी की कथा सुनी जाती है। पूजा में आंवले के पेड़ की परिक्रमा भी करते हैं। पूजा-पाठ के साथ ही इस पर्व पर आंवले का दान भी करना चाहिए। ये पर्व प्रकृति का सम्मान करने का संदेश देता है। पेड़-पौधों से ही हमारा जीवन है और हमें इनकी पूजा करनी चाहिए यानी इनकी रक्षा करनी चाहिए। ये हैं आंवला नवमी से जुडी़ मान्यताएं ऐसे कर सकते हैं आंवले की पूजा आंवला नवमी पर किसी आंवला वृक्ष के आसपास साफ-सफाई करें। आंवले की जड़ में शुद्ध जल चढ़ाएं। थोड़ा सा कच्चा दूध अर्पित करें। कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, चावल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई आंवले को चढ़ाएं। आंवले के तने पर कच्चा सूत लपेटें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। आंवले की परिक्रमा करें।