अगले साल तक पूरी दुनिया में कंपनियों के दिवालिया होने की बढ़ेंगी घटनाएं, भारत में सबसे कम और अमेरिका में सबसे ज्यादा होगा असर

कोविड-19 की वजह से अगले साल तक पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर कंपनियां दिवालिया होंगी। इसमें सबसे ज्यादा कंपनियां अमेरिका की होंगी, जिन पर ज्यादा असर होगा। साल 2019 की तुलना में 2021 में इस तरह की कंपनियों के बारे में ऐसी आशंका जताई गई है।

पेमेंट करने में फेल होने पर होती हैं कंपनियां दिवालियां

दरअसल कोई भी कंपनी तब दिवालिया होती है, जब वह अपने लोन या बिलों का भुगतान करने में फेल हो जाती है। कोविड-19 की वजह से हर देश में इस तरह का मामला सामने आया है। हालांकि अब पूरी दुनिया में धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां खुल रही हैं और इससे सुधार होगा, लेकिन पिछले 6 महीने का जो असर हुआ है, उसकी वजह से कंपनियों के डिफॉल्ट (दिवालिया) होने की संख्या बढ़ेगी।

अमेरिका में 57 प्रतिशत की हो सकती है बढ़त

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कोविड-19 के कारण दिवालिया होने वाली कंपनियों की संख्या में 57 प्रतिशत की बढ़त हो सकती है। बीमा कंपनी यूलर हेमीज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब बिजनेस के दिवालिया होने की बात आती है तो साल 2021 में कोरोना महामारी का प्रभाव सबसे गंभीर रूप से इस पर असर दिखाएगा।

ब्राजील और ब्रिटेन भी आएंगे चपेट में

रिपोर्ट के अनुसार, दिवालिया होने वाली कंपनियों की संख्या में ब्राजील और ब्रिटेन दूसरे और तीसरे नंबर पर आ सकते हैं। चीन की भी कंपनियों पर इसका ज्यादा असर होने की उम्मीद है। कई कंपनियां धीरे-धीरे दिवालियापन के लिए फाइलिंग कर रही हैं। उन्होंने फिलहाल के लिए नए बिजनेस ऑर्डर या इंक्वायरी लेना बंद कर दिया है। इसलिए इनके असर का पता आने वाले कुछ महीनों या अगले एक साल में चलेगा।

2020 में कम होंगे दिवालिया के मामले

दिवालियापन होने की संख्या वास्तव में 2020 में कम होंगी क्योंकि अभी कंपनियाँ नियमों के दायरे में हैं। इसका असली परिणाम 2021 में देखने को मिलेगा जब एक-एक करके कई कंपनियां बंद होने लगेंगी। रिपोर्ट कहती है कि जर्मनी में कम प्रभाव दिखने की उम्मीद है। यहां आने वाले साल में 12 फीसदी कंपनियाँ दिवालिया हो सकती हैं। जर्मनी, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड में यूलर हेमीज़ के सीईओ रॉन वान हेट हॉफ को उम्मीद है कि दिवालियापन का तूफान 2020 की तीसरी तिमाही से शुरू हो सकता है।

तीसरी तिमाही से दिखेगा असर

वैन हेट हॉफ ने कहा कि दिवालियापन का टाइम बम साल की तीसरी तिमाही में फट सकता है और इसकी गूंज 2021 की पहली छमाही तक सुनाई पड़ेगी। पूर्वी एशिया में विकसित अर्थव्यवस्थाओं, उदाहरण के लिए जापान और दक्षिण कोरिया में काफी कम दिवालिया के मामले देखने को मिलेंगे। क्योंकि वे बड़े पैमाने पर और लंबे समय तक शटडाउन से परहेज करेंगे। महामारी से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश भारत है। यहां पर कंपनियों के दिवालिया होने की घटनाओं में कमी रहेगी।

आर्थिक पैकेज खत्म होने के बाद असर दिखेगा

बता दें कोविड-19 के असर से निपटने के लिए सभी देशों ने आर्थिक पैकेज जारी किए हैं। बावजूद इसके कंपनियों पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। छोटी कंपनियां तो पहले ही बंद हो चुकी हैं। बड़ी कंपनियां अभी भी आनेवाले समय में सुधार की उम्मीद कर रही हैं। इसका सही असर तब दिखेगा, जब राहत पैकेज बंद हो जाएगा, तमाम ढील खत्म हो जाएगी और आर्थिक स्थितियां शुरू हो जाएंगी।

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