अगले हफ्ते 4 अगस्त से होगी एमपीसी मीटिंग, भारतीय रिजर्व बैंक को एक बार और दरों में कटौती करनी चाहिए- बार्कलेज

विदेशी ब्रोकरेज बार्कलेज ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को ब्याज दरों में और कटौती करनी चाहिए। आरबीआई की मौद्रिक नीति कमिटी (एमपीसी) की बैठक 4 अगस्त से शुरू होगी। ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि हाल ही में महंगाई में वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए नीतिगत समीक्षा में एक बार और दरों में कटौती करनी चाहिए।

खुदरा महंगाई 6 प्रतिशत के पार

बार्कलेज के विश्लेषकों ने माना कि ऊंची महंगाई की दरें आरबीआई के नीतिगत दृष्टिकोण के बारे में संदेह फैला रही हैं। इस ब्रोकरेज हाउस ने केंद्रीय बैंक द्वारा 0.25 प्रतिशत की कटौती का समर्थन भी किया। जिससे अब लोग पहले से ज्यादा सावधानी बरतने को तैयार होंगे। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई ने जून में आरबीआई के 6 प्रतिशत के लक्ष्य के को पार कर लिया।

आरबीआई खुदरा महंगााई को मुख्य फैक्टर मानता है

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की अधिक कीमतों के कारण जून में खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इंफ्लेशन) बढ़कर 6.09 प्रतिशत हो गई थी। आरबीआई अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को मुख्य फैक्टर मानता है। केंद्रीय बैंक ने कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से दो बार दरों में 1.15 प्रतिशत की कटौती की है। इससे अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने विशेष रूप से अधिक लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय भी शुरू किए हैं।

कई विश्लेषकों को उम्मीद, दरों में कटौती होगी

विश्लेषकों ने 4 से 6 अगस्त के बीच होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले कहा कि हमें अनुमान है कि आरबीआई अपनी अगली मीटिंग में कम से 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि हम भविष्य में रेट कट के लिए किसी बचत की बात नहीं करते हैं। इस बीच, सिंगापुर के डीबीएस बैंक ने कहा कि वह मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा में दर में कटौती को रोकने के लिए कई कारण देखता है।

उम्मीद है कि अक्टूबर से मार्च 2021 के बीच 0.50 प्रतिशत की कटौती होगी। इसमें कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति को रिस्ट्रक्चरिंग और महंगाई की समीक्षा पर नजर रखनी पड़ेगी।

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लगातार रेपो रेट में कमी से ब्याज दरें इस समय निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। बावजूद इसके अनुमान है कि दरों मे और कटौती हो सकती है