पुरुषोत्तम मास यानी उत्तम होने की संभावना का महीना। इसे अधिक मास भी कहा गया है। ये माह 17 सितंबर से 16 अक्टूबर तक रहेगा। अपने अच्छे किए गए कार्यों का फल प्राप्त करने के अधिक अवसर हैं इसमें। जो लोग परिवार में रहते हैं, उनके लिए विष्णु भक्ति के ये दिव्य दिन माने गए हैं। महामारी के इस काल में पुरुषोत्तम मास का आना हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है। बशर्ते हम इसे ठीक से समझें और इस महीने में जो किया जाना चाहिए, वह ठीक से कर जाएं।
इस समय हमारे जीवन का हर पक्ष कोविड-19 से प्रभावित है। यहां तक कि हमारी भक्ति भी इससे बची हुई नहीं है। डॉक्टर कहते हैं जब किसी पर कोरोना का प्रहार होता है तो चार मुख्य लक्षण सामने आते हैं- खांसी, बुखार, सांस की तकलीफ और शरीर दर्द। इसका इलाज तो चिकित्सा विज्ञान ही करेगा, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स भी किसी बीमारी से कम नहीं हैं। अभाव, दबाव, तनाव और स्वभाव इसके साइड इफेक्ट बनकर जीवन में नई शक्ल में रोग बनकर उतर चुके हैं, इनका इलाज हमें स्वयं ही करना है।
भागवत पुराण में छठे स्कंध के आरंभ में कहा गया है- अपने चिकित्सक आप बनें। इसमें भक्ति बहुत मदद करेगी। यह महीना भक्ति करने का ही है। अपनी भक्ति को उपचार बनाने के सारे अवसर इस मास में हैं। क्यों भक्ति करें और कैसे लाभ उठाएं, इसे यूं समझें..।
डॉक्टर भी मानते हैं जो लोग इस बीमारी को लेकर ओवर कान्फिडेंट हैं (जिन्हें लापरवाह भी कह सकते हैं) वो और दूसरे जो बहुत उदास हैं, वे इस बीमारी से हार जाएंगे। हो सकता है मृत्यु तक आ जाए। लेकिन, जो उत्साह में भरे हैं, आनंद में हैं, आत्मविश्वास में हैं, वे बच जाएंगे। तो क्यों न इस महीने हम अपने आपको इस दूसरी श्रेणी में रखें।
भगवान विष्णु के दस अवतार प्रमुख माने गए हैं- मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि। हर अवतार ने पांच संदेश दिए हैं-
1. जीवन में संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा, समस्या बनी ही रहेगी।
2. हर समस्या का समाधान होता है। बस, ढूंढना आना चाहिए।
3. मेरा भरोसा मत छोड़ना।
4. मैं तुम्हारे लिए लड़ूंगा और तुम्हें लड़ने के योग्य बनाऊंगा।
5. लेकिन, मेरी एक शर्त है कि भक्ति करना होगी।
विष्णुजी के सभी दस अवतार ने ये पांच संदेश दिए हैं। यूं तो पूरे महीने आप अपने ढंग से पूजा-पाठ कर सकते हैं, लेकिन चाहें तो एक प्रयोग किया जा सकता है। विष्णुजी के इन दस में से भी दो प्रमुख अवतार हुए- श्रीराम और श्रीकृष्ण। तो दो मंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है-
पहला – हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे.. हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे..। यह महामंत्र है।
दूसरा – ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय..। यह द्वादश मंत्र है। भागवत में कृष्णजी को इसी के साथ याद किया गया है।
दूसरा काम कर सकते हैं हवन। संभव हो तो हनुमत हवन करिए। इन अनुष्ठानों को प्रतिदिन चार भागों में बांटकर बड़ी आसानी से करते हुए इस माह का खूब लाभ उठा सकते हैं। इस महीने हम कुछ विशेष क्यों करें.? इसका जवाब है- हमारे जीवन में अभाव, दबाव, तनाव और स्वभाव की बीमारी भी जन्म ले चुकी है।
किस समय करें? सुबह, दोपहर, शाम और रात।
समय | क्या करें | क्या लाभ मिलेगा |
सुबह | दान | अभाव दूर होगा |
दोपहर | तप | दबाव दूर होगा |
शाम | जाप | तनाव दूर होगा |
रात | ध्यान | स्वभाव शांत होगा |
- अभाव दूर करने के लिए सुबह दान करें
इस महामारी ने हर एक के जीवन में एक अभाव पैदा कर दिया है और उसी से एक भय उपजा है- ‘कल क्या होगा।’ इसे मिटाने के लिए सुबह-सुबह प्रयोग करिए। खुद के लिए सबसे बड़ा दान समय का कीजिए। योगासन के लिए समय निकालिए। यदि कोई वस्तु दान करना चाहें तो पूरे तीस दिन के दान की सूची ब्राह्मण आपको बता सकते हैं।
- दबाव दूर करने के लिए दोपहर में तप करें
इस समय जीवन के चारों क्षेत्र (व्यावसायिक, सामाजिक, पारिवारिक और निजी) में दबाव आ गया है। दबाव का सबसे बड़ा खतरा यह है कि यदि यह कुछ समय रुक जाए तो तनाव में बदल जाता है। चूंकि जीवनशैली बदल गई, सहजता समाप्त हो गई तो दबाव आना स्वाभाविक है। ऐसे में दोपहर के समय तप करिए।
यहां तप का अर्थ धूनी रमाकर बैठ जाना नहीं है। दोपहर को जब आप अपने कार्यों में व्यस्त हों, उस समय तप का मतलब है पूरी सावधानी रखी जाए। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हैंडवॉश और स्वच्छता ही सबसे बड़ा तप है जो आपको उस समय निभाना है जब दिन में अनेक लोगों से संपर्क में आने की संभावना रहती है। यहां आपकी सावधानी को परमात्मा भक्ति ही मानेगा।
- तनाव दूर करने के लिए शाम को जाप करें
इस समय सबसे बड़ा तनाव तो यह हो गया है कि कोरोना रूपी यह बीमारी जाएगी कब। दूसरी बात कि किसी एक को हो जाए तो उसके साथ वाले भी धरा जाते हैं। जीवन, जीविका और जगत ने एक साथ तनाव दे दिया है।
शाम को हमारी ऊर्जा वैसे ही निगेटिव हो जाती है तो तनाव और बढ़ जाता है। इस समय करिए जप। दो मंत्रों में से किसी का भी मानसिक जप करते हुए संकल्प लीजिए कि हम भगवान का भरोसा बढ़ाएंगे। बस, तनाव अपने आप कम होने लगेगा।
- स्वभाव शांत करने के लिए रात में ध्यान करें
ऐसा समय आया कि मनुष्यों का स्वभाव बदलने लगा। अच्छे-अच्छे समर्थ लोग भयभीत दिख रहे हैं, बच्चे चिड़चिड़े हो गए। घरों में कलह उतर आया। स्वाभाविक जीवन जीने वाले लोग भी अस्वाभाविक हो गए। जब मनुष्य के स्वभाव पर प्रहार होता है तो उसका रोम-रोम रोगी हो जाता है।
रात को सोने से पहले ध्यान करें। मेडिटेशन का यह अधिक मास बहुत अच्छा अवसर है। इस समय आप अपनी समूची शक्ति को केंद्रित कर रहे होते हैं और शरीर, मन व आत्मा के अंतर को निद्रा पूर्व तथा निद्रा में समझना आसान हो जाता है। यदि रात को ध्यान के साथ सोएंगे तो अगली सुबह आपके साथ एक परमशक्ति होगी। यही परमशक्ति इस पुरुषोत्तम मास के प्राण हैं। यदि अधिक मास की अवधि में ये चार प्रहर ठीक से बिता लेते हैं तो इस बार का पुरुषोत्तम मास कोरोना से लडऩे में किसी वैक्सीनेशन से कम नहीं होगा..।