पूर्व भारतीय लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने कहा कि यदि उनके टाइम में डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) सिस्टम होता तो वे जल्दी 10 विकेट पूरे कर चुके होते। कुंबले ने यह उपलब्धि पाकिस्तान के खिलाफ दिल्ली टेस्ट में हासिल की थी, जो 4 फरवरी 1999 को खेला गया था। यह मैच भारत ने 212 रन से जीता था। उन्होंने कहा कि 9वां विकेट लेने के बाद स्टेडियम में बैठे दर्शक उन्हें एडवांस बधाई देने लगे थे।
कुंबले ने रविचंद्रन अश्विन के यूट्यूब शो पर कहा, ‘‘मैंने मैच में टी ब्रेक से पहले ही 6 विकेट ले लिए थे। इसके बाद जब मैदान पर लौटे तो मैं काफी थका हुआ था, क्योंकि लंच और टी ब्रेक के बीच मैंने लगातार बॉलिंग की थी। तभी मुझे यह अहसास हुआ कि मेरे पास पिछला रिकॉर्ड सुधारने और बेहतर प्रदर्शन करने का मौका है। हालांकि, मैंने 10 विकेट लेने के बारे में नहीं सोचा था।’’
दर्शकों ने कहा था कि 10वां विकेट भी मिलेगा
उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि आप 10 विकेट लेने की सोचकर ही मैदान पर जाते हैं। मैं सिर्फ यह जानता था कि 1 से 11 तक के खिलाड़ियों को कैसे गेंदबाजी करनी है। मैंने 9 और 10वां विकेट अपने ओवर (26वां) की 5वीं और छठवीं बॉल पर लिया था। इसके बाद मैं थर्ड मैन पोजिशन पर फील्डिंग करने चला गया था। वहां मुझे स्टैंड में बैठे दर्शकों ने शुभकामनाएं दी और कहा कि चिंता मत कीजिए 10वां विकेट भी आप ही लेंगे।’’
आखिरी विकेट कुंबले को मिले, इसके लिए उनके साथी बॉलर जवागल श्रीनाथ ने अपने ओवर की सारी बॉल ऑफ स्टंप पर ही डाली थी। साथ ही सभी खिलाड़ियों से कैच नहीं लेने के लिए भी कहा था। इस सवाल के जबाव में कुंबले ने कहा, ‘‘मेरी इस बारे में श्रीनाथ से कोई बात नहीं हुई। बतौर गेंदबाज मैं नहीं मानता कि कोई ऐसा करेगा। वे सभी लोग सिर्फ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे।’’
वसीम अकरम को आउट कर 10वां विकेट लिया
कुंबले ने कहा, ‘‘मैं जब अपना अगला ओवर लेकर आया तब मैंने प्लान बनाया था कि वसीम अकरम को एक रन लेकर स्ट्राइक बदलने दूंगा। इसके बाद 11वें नंबर के बल्लेबाज वकार यूनिस को बॉलिंग करूंगा। तब मैंने मिड-ऑन और मिड-ऑफ को पीछे कर दिया था। हालांकि, दो बॉल के बाद मुझे समझ में आ गया था कि अकरम सिंगल नहीं लेंगे। तब मैंने रणनीति बदलते हुए सभी फील्डर को आगे बुला लिया। इसके बाद अकरम को शॉर्ट लेग पर लक्ष्मण के हाथों कैच आउट कराया।’’
अंपायर पर पक्षपात का आरोप गलत
मैच में अंपायर रहे जयप्रकाश कुंबले के ही शहर बेंगलुरु के रहने वाले हैं। ऐसे में कई बार अंपायर पर मैच में पक्षपात का आरोप लगता रहा है। इस पर कुंबले ने कहा, ‘‘यह सही नहीं है। मैच में हर कोई उस पल का गवाह बनना चाहता था। मुझे नहीं लगता कि कोई खिलाड़ी चाहता होगा कि अंपायर भी उसके विकेट के जश्न का हिस्सा बने। मैं मानता हूं कि जयप्रकाश को लेकर बेंगलुरु में कई तरह की बातें होती हैं, लेकिन वह एक अंपायर थे। मैं मानता हूं कि यह सब बकवास है।’’
डीआरएस होता तो सभी 10 विकेट क्लियर आउट थे, सब देख लेते
इस पर अश्विन ने कहा कि उस मैच में कोई विवादित फैसला अंपायर के द्वारा नहीं दिया गया था। यह अब साफ हो गया है। मतलब यह क्लियर डीआरएस हो गया। इस पर कुंबले ने कहा, ‘‘यदि वहां डीआरएस होता तो सब आउट ही थे। एक दम आउट। यदि उस मैच में डीआरएस होता तो मैं बहुत पहले 10 विकेट पूरे कर लेता। तब सभी लोग यह देख सकते थे।’’