अप्रैल में रिटेल महंगाई घटकर 3.16% पर आई:ये करीब 6 साल में सबसे कम, खाने-पीने के सामान की कीमतों में कमी से घटी महंगाई

भारत की रिटेल महंगाई अप्रैल में घटकर 3.16% पर आ गई है। ये महंगाई का 69 महीनों का निचला स्तर है। जुलाई 2019 में महंगाई 3.15% रही थी। खाने-पीने के सामान की कीमतों में लगातार नरमी के कारण रिटेल महंगाई घटी है। ये फरवरी से RBI के लक्ष्य 4% से नीचे बनी हुई है। यह पिछले 5 साल में महंगाई में लगातार कमी का सबसे लंबा सिलसिला होगा। इससे पहले मार्च महीने में रिटेल महंगाई 3.34% रही थी। ये महंगाई का 5 साल 7 महीने का निचला स्तर था। आज यानी, मंगलवार 13 मई को सरकार की ओर से रिटेल महंगाई के आंकड़े जारी किए गए हैं। अप्रैल में रिटेल महंगाई सब्जियों और दालों की कीमत में आई गिरावट मार्च में रिटेल महंगाई महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है? महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी। CPI से तय होती है महंगाई एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।