अमेरिका के पश्चिमी राज्य जंगलों की आग से जूझ रहे हैं। चुनाव के दौर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन इस मुद्दे पर भी जुबानी जंग में उलझ गए हैं। मकसद है- सबअर्बन यानी उपनगरीय या छोटे शहरों में रहने वाले वोटरों को लुभाना। क्लाइमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन कई अमेरिकियों और खासकर महिलाओं के लिए चिंता की बड़ी वजह है। आसमान में राख और धुएं का गुबार है। हवा जहरीली और बदबूदार हो चुकी है।
ट्रम्प की पकड़ कमजोर हो रही है
उपनगरीय क्षेत्रों में ट्रम्प का असर या कहें पकड़ तेजी से कम हुई है। वे कह रहे हैं कि अगर व्हाइट हाउस में डेमोक्रेट्स आ गए तो क्राइम बढ़ेगा। लूटपाट बढ़ेगी। कम आय वाली मकानों की स्कीम पर असर होगा। एक तरह से वे नस्लवाद का डर दिखा रहे हैं। दूसरी तरफ, बाइडेन सुरक्षा के मायने कुछ और बता रहे हैं। उनके मुताबिक, डर महामारी से है। डर सामाजिक दूरियों से है। और डर जंगलों में लगने वाली आग से है। वो इसकी वजह क्लाइमेट चेंज बताते हैं।
अहम मुद्दे पर भी गंभीर नहीं हैं राष्ट्रपति
बाइडेन के मुताबिक, ट्रम्प जिस हिंसा को खतरा बता रहे हैं, क्लाइमेट चेंज और जंगलों की आग उससे बड़ा खतरा है। घर तबाह हो रहे हैं। जंगल खाक हो रहे हैं और बेगुनाह लोगों की जान जा रही है। बाइडेन ने ट्रम्प पर हमला ऐसे वक्त किया जब राष्ट्रपति आखिरी वक्त पर कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग की जानकारी लेने पहुंचे। आपदा बहुत बड़ी है। लेकिन, ट्रम्प यहां भी अफसरों से उलझते दिखे। क्लाइमेट चेंज को आग की वजह मानने को राष्ट्रपति तैयार नहीं हैं।
पहले ऐसा नहीं हुआ
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में क्लाइमेट चेंज या जंगलों की आग का मुद्दा पहले कभी इतनी प्रमुखता से नहीं उठा। इस बार महामारी भी है और सामाजिक तनाव के मुद्दे भी। लेकिन, जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी अब सामने आ चुका है। वो भी तब जबकि चुनाव में सिर्फ सात हफ्ते रह गए हैं। सबअर्बन वोटर्स के उस हिस्से के लिए तो क्लाइमेट चेंज या जंगलों की आग बहुत बड़ा मुद्दा है जो देश के पश्चिमी हिस्से में रहता है। इन परिवारों को हेल्थ रिस्क हैं। और ये सामाजिक तनाव से ज्यादा खतरनाक नजर आ रहे हैं।
गंभीर मुद्दे को मजाक में टाल रहे हैं ट्रम्प
कैलिफोर्निया में ट्रम्प ने जंगलों की आग के लिए क्लाइमेट चेंज को जिम्मेदार मानने से ही इनकार कर दिया। कहा- साइंस इस मुद्दे का जवाब नहीं दे सकता। मौसम अब ठंडा होने लगा है। रॉब स्टुट्जमैन कैलिफोर्निया में रहते हैं और रिपब्लिकन होने के बावजूद ट्रम्प को सही नहीं मानते। रॉब कहते हैं- क्लाइमेट चेंज पर उनका नजरिया सही नहीं है। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि यह चुनाव पर असर नहीं डालेगा। लेकिन, ये ट्रम्प के लिए भी अहम जरूर है।
हैरिस ने भी जायजा लिया
कमला हैरिस कैलिफोर्निया से ही आती हैं। उन्होंने मंगलवार को यहां हुए नुकसान की जानकारी ली और दौरा किया। एक बात तो तय है कि जंगलों की आग या क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर ट्रम्प और बाइडेन में गंभीर मतभेद हैं। जल्द ही दोनों नेताओं के बीच डिबेट्स का सिलसिला शुरू होगा। बाइडेन संकेत दे चुके हैं कि उपनगरीय इलाकों के वोटरों के सामने आने वाली इस परेशानी को वे जरूर उठाएंगे। बाइडेन ने सोमवार को कहा था- ट्रम्प सबअर्बन एरिया में जो खतरा बताते हैं, वो क्या है। जंगलों की आग खतरा है। वेस्ट अमेरिका में घर जल रहे हैं। मध्य अमेरिका में बाढ़ आ रही है। तटीय इलाके तूफान से तबाह हो रहे हैं।
ट्रम्प की नई परेशानी
पुरुषों की तुलना में महिला वोटर बाइडेन का ज्यादा समर्थन कर रही हैं। इससे ट्रम्प की परेशानी बढ़ सकती है। क्योंकि, क्लाइमेट चेंज को लेकर महिलाएं ज्यादा मुखर हैं। क्लाइमेट एक्सपर्ट एडवर्ड मेबैक भी यही मानते हैं। इस साल के शुरू में पियू रिसर्च सेंटर ने एक सर्वे किया था। इसमें रिपब्लिकन पार्टी की समर्थक 47 फीसदी महिलाओं ने कहा था कि सरकार ने एयर क्वॉलिटी सुधारने के लिए ज्यादा कोशिश नहीं की। 32 फीसदी पुरुष ही इस मसले को मानते दिखे। बराक ओबामा के सलाहकार रहे जॉन डी. पोडेस्टा कहते हैं- रिपब्लिकन पार्टी की महिला समर्थक क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर रुख बदल सकती हैं।
पिछले महीने हुए पियू रिसर्च के ही एक सर्वे में कहा गया था- 69 फीसदी वोटर ये मानते हैं कि अगले चुनाव में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उनका वोट तय कर सकता है। 41 फीसदी ने इसे बेहद अहम मुद्दा बताया।
इस मुद्दे का असर तो जरूर पड़ेगा
जंगलों की आग और जहरीली हवा मुद्दा तो बन चुकी है। बाइडेन और क्लाइमेट एक्टिविस्ट मानते हैं कि कई साल से इस पर फोकस नहीं किया गया। अब ये खतरनाक हो चुका है। ट्रम्प के चार चुनावी मुद्दे हैं। महामारी, अर्थव्यवस्था, नस्लवाद और क्लाइमेट चेंज। एक्सपर्ट भी मानते हैं कि चुनाव में क्लाइमेट चेंज का मुद्दा असर जरूर डालेगा। पिछले महीने एक पोल में 84 फीसदी लोगों ने कहा था कि वे महामारी पर जानकारी के लिए वे एक्सपर्ट्स की राय को तवज्जो देते हैं। सिर्फ 23 फीसदी ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि वे ट्रम्प की बातों पर भरोसा करेंगे।