बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार कितना वर्चुअल होगा, इसका रुख जून में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तय कर दिया था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे और पुख्ता कर दिया। कोरोना के बीच 7 जून को शाह ने वर्चुअल जन-संवाद किया था। पूरे तीन महीने बाद 7 सितंबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ‘निश्चय-संवाद’ किया।
जदयू का दावा था कि इस वर्चुअल रैली को नरेंद्र मोदी या अमित शाह नहीं, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रचार अभियान की तर्ज पर कराया जाएगा। यानी एक लिंक के जरिए लाखों लोगों को जोड़ने की कोशिश होगी। शाह के संवाद को लाइव और रिकॉर्डेड मिलाकर 7 जून की रात तक देशभर में 39 लाख स्क्रीन पर देखा गया था, जबकि नीतीश का संवाद लाइव ही 44.14 लाख स्क्रीन पर देखा गया। इस तरह नीतीश, शाह से आगे निकल गए।
प्रदेश में टारगेट से आधे से भी कम लोगों ने रैली देखी
जदयू ने बिहार में 31.2 लाख स्क्रीन का लक्ष्य रखते हुए करीब 27 लाख मोबाइल नंबरों तक कार्यक्रम का लिंक भेजा था, लेकिन प्रदेश में इसे 12.82 लाख स्क्रीन पर ही देखा गया। शाह की जून में हुई वर्चुअल रैली को बिहार में 1.2 लाख स्क्रीन पर देखा गया था।
पड़ताल में पता चला कि सारा कमाल सर्वर का
भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि नीतीश की वर्चुअल रैली बिना यूट्यूब के हुई। पूरा कार्यक्रम जेडीयूलाइव डॉट कॉम पर दिख रहा था, लेकिन इसका सारा लोड अमेरिकी कंपनी अमेजन के चार सर्वर ने संभाल रखा था। पार्टी की वेबसाइट का सर्वर 10 लाख यूजर तक की क्षमता वाला था, जबकि पूरे देश में सिर्फ इस पर 24.35 लाख यूजर जुड़ गए। एक मिनट के लिए ही खलल आया था, वह भी शायद सभी जगह नहीं। पूरे साढ़े तीन घंटे सर्वर ने सभी यूजर का लोड लिया।
वर्चुअल रैलियों के तकनीकी विश्लेषण में भास्कर की मदद कर रहे आईटी एक्सपर्ट राजेश कुमार बताते हैं, “यह पूरा कार्यक्रम iframe (एक तरह की क्लोनिंग) के जरिए अमेजन के चार सर्वर पर चल रहा था। हर सर्वर पर 10 जीबी का लोड था। जेडीयूलाइव डॉट कॉम का सर्वर bigrock के पास है और उसकी क्षमता पांच लाख यूजर की भी नहीं। पूरे कार्यक्रम के दौरान इसके सर्वर पर मात्र 04 केबी का लोड रहा, मतलब यह सिर्फ आम यूजर के दिखने के लिए था।
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि एक नामी रेस्टोरेंट में बैठकर हम खाना खाते समय यह नहीं जानते कि खाना बन कहां रहा है और यहां कैसे आ रहा? इस मामले में खाना दूसरे रेस्टोरेंट में बन रहा था, परोसा यहां जा रहा था।”
अब वे दो बातें जो नीतीश के लिए चुनौती हो सकती हैं
1. वर्चुअल प्रचार आसान नहीं, नहीं जुड़ रहे यूजर
किसी मंच के सामने कितने लोग जुटे, कैसी भीड़ रही, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है, लेकिन वर्चुअल मोड में यूजर की संख्या निकल आती है। भास्कर ने नीतीश कुमार की चुनावी रैली में यूजर्स की संख्या प्रदेश और जिलावार निकाली, तो सामने आया कि बिहार में यह प्रयोग बहुत ज्यादा सफल होने की उम्मीद नहीं है।
बिहार के जिन जिलों के मैदानों में होने वाली रैलियों में एक-एक लाख लोग जुट जाते हैं, वहां पूरी तैयारी और लिंक भेजे जाने के बावजूद संख्या 10 हजार भी नहीं पहुंची। जदयू ने अपने विधायकों वाले क्षेत्र में 20-20 हजार और दूसरी पार्टी के विधायकों वाले क्षेत्रों में 10-10 हजार यूजर को वर्चुअल रैली से जोड़ने का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य कुल मिलाकर 31.2 लाख यूजर का था, लेकिन बिहार में यह आंकड़ा 12 लाख पर जाकर अटक गया।
2. 38 में से 9 जिलों में 10 हजार लोग भी नहीं जुड़े
गूगल एनालिटिक्स, गूगल ट्रेंड्स, जियो लोकेशन मैप, सर्वर बैलेंसिंग लोकेशन और सर्वर स्टैटिक्स समेत कई सॉफ्टवेयर के जरिए निकले आंकड़े बता रहे कि जेडीयूलाइव डॉट कॉम पर 38 में से 9 जिलों में 10 हजार यूजर भी नहीं जुड़े। पटना (24,735) से ज्यादा नीतीश के कार्यक्रम को जेडीयूलाइव पर नालंदा और दरभंगा (दोनों 24,990) में देखा गया। फेसबुक-ट्वीटर पर सबसे ज्यादा इसे पटना (21,658 और 14,850) में देखा गया।
राज्यों के हिसाब से बात करें तो बिहार में 12,82,612 के बाद झारखंड में 4,42,982 और दिल्ली में 4,18,964 लोगों ने इसे देखा। जेडीयूलाइव डॉट कॉम पर आए यूजर्स ने रैली को औसतन 4.57 मिनट देखा।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें