अमेरिका से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) इस साल अब तक 40 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है। यह देश में अमेरिकी कंपनियों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। यह बात बिजनेस एडवोकेसी ग्रुप के प्रमुख ने कही। दिलचस्प बात यह है कि इसमें से ज्यादा हिस्सा मुकेश अंबानी के जियो प्लेटफॉर्म को मिला है। इसमें इसी हफ्ते गूगल और अप्रैल में फेसबुक का निवेश प्रमुख है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है भरोसा
भारत में अमेरिका की एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को ट्रैक करने वाले अमेरिका-भारत स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों ने विश्व अर्थव्यवस्था को पस्त करने वाली कोविड-19 महामारी के दौरान भारत और उसके नेतृत्व पर काफी भरोसा दिखाया है। हाल के दिनों में अमेरिका ने अब तक 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश भारत में किया है।
40 अरब डॉलर में से आधा हिस्सा पिछले तीन महीनों में आया
उन्होंने गूगल, फेसबुक और वॉलमार्ट जैसी कुछ शीर्ष कंपनियों द्वारा की गई घोषणाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हाल के हफ्तों में ही भारत में एफडीआई की घोषणा 20 अरब डॉलर से अधिक रही है। भारत में निवेशकों का विश्वास अधिक है। भारत अभी भी वैश्विक निवेशकों के लिए एक बहुत ही आशावादी बाजार बना हुआ है। यदि आप 20 अरब डॉलर को देखें तो निवेश न सिर्फ अमेरिका, बल्कि मध्य पूर्व और मध्य पूर्व जैसे अन्य क्षेत्रों से आया है।
अघी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इसलिए भारत अभी भी निवेश करने वालों के लिए बहुत ही तेजी का बाजार बना हुआ है।
अमेरिकी कंपनियों को चीन से बाहर जाने की सलाह
भारत में एफडीआई लाने के लिए USISPF नई दिल्ली के साथ मिलकर काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह अमेरिकी कंपनियों को इसके लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है कि वे अपने ठिकानों को चीन से बाहर ले जाने की योजना बनाये। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन के पिछले तीन साल से यह काम चल रहा था, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के दौरान इसने गति पकड़ी।
मोदी का मजबूत इरादा है
उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इरादा काफी मजबूत है। मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मैंने इसे इतना बेहतर कभी नहीं देखा है। इस हफ्ते की शुरुआत में व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने संवाददाताओं से कहा कि गूगल और फेसबुक जैसे अमेरिकी टेक दिग्गजों ने भारत में बड़े निवेश की घोषणा करते हुए दिखाया है कि लोग चीन पर भरोसा खो रहे हैं और भारत एक बड़े प्रतियोगी के रूप में उभर रहा है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत संरक्षणवादी देश (protectionist country) बना हुआ है। प्रश्न यह है कि आप संरक्षणवाद को कैसे परिभाषित करते हैं। अघी ने आगे कहा कि यहां का प्रशासन “अमेरिका फर्स्ट” कह रहा है जबकि भारत का प्रशासन “वोकल फ़ॉर लोकल” की बात पर जोर दे रहा है।