आंखों को संसार की चीजों की ओर आकर्षित नहीं होने देना और खुद को मोह, क्रोध, लालच जैसी बुराइयों से बचाए रखना ही आत्म संयम है

आदिगुरु शंकराचार्य के जन्म समय को लेकर कई मतभेद हैं। कुछ मानते हैं कि उनका जन्म 788 ईस्वी में हुआ था और उन्होंने 820 ईस्वी में समाधि ली थी। जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि 509 ईसा पूर्व हुआ था और 477 ईसा पूर्व समाधि ली थी।

आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म केरल में कालड़ी गांव के नम्बूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इसी कुल के ब्राह्मण बद्रीनाथ मंदिर के रावल यानी पुजारी नियुक्त होते हैं।

शंकराचार्य ने कम उम्र में ही चारों वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने देश के 4 हिस्सों में 4 पीठों की स्थापना की। जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन पुरी मठ, रामेश्वरम् में श्रंगेरी मठ, द्वारिका में शारदा मठ, बद्रीनाथ में ज्योतिर्मठ स्थापित किया। इसके बाद 32 वर्ष की उम्र में आदि शंकराचार्य ने हिमालय में समाधि ले ली थी। जानिए आदिगुरु शंकराचार्य के कुछ खास विचार, जिन्हें जीवन में उतारने से हमारी सभी समस्याएं खत्म हो सकती हैं…

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