आज शुक्रवार और चतुर्थी का योग:भगवान गणेश, विष्णु-लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की करें पूजा, किसी मंदिर में पूजन सामग्री का करें दान

आज (शुक्रवार, 30 मई) ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। शुक्रवार और चतुर्थी के योग में गणेश जी के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा का शुभ योग बना है। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शुक्रवार का कारक ग्रह शुक्र है। इस दिन देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा की जाती है। शुक्रवार और चतुर्थी का योग होने से इस दिन भगवान गणेश, महालक्ष्मी और शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करनी चाहिए। ऐसे कर सकते हैं गणेश पूजन चतुर्थी तिथि पर स्नान के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी को स्नान कराएं। इसके बाद भगवान को जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र, चावल आदि चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। गणेश मंत्र बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं। भगवान को लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाएं। धूप-दीप से आरती करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। अंत में प्रसाद अन्य भक्तों को बांटें। पूजा में चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग चतुर्थी व्रत करते हैं, वे दिनभर निराहार रहते हैं और पूजा-पाठ के साथ भगवान के मंत्रों का जप करते हैं। इस व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, ऐसी मान्यता है। महालक्ष्मी पूजन की विधि महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा एक साथ करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का अभिषेक करें। वस्त्र अर्पित करें, हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप कर सकते हैं। शिवलिंग रूप में होती है शुक्र ग्रह की पूजा शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। शुक्रवार और चतुर्थी के योग में शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और सफेद फूलों से श्रृंगार करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल भी चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। शुक्र ग्रह के मंत्र ऊँ शुं शुक्राय नम: का जप करें। आप चाहें तो गन्ने के रस से शिव जी का अभिषेक कर सकते हैं। चतुर्थी पर करें इन चीजों का दान ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी पर किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। किसी सुहागिन को सुहाग का सामान जैसे साड़ी, चूड़ियां, बिंदिया, कुमकुम आदि चीजें दान करें। बच्चों को कॉपी, किताब, पेन-पेंसिल दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री जैसे घी-तेल, कुमकुम, अबीर, गुलाल, भगवान के वस्त्र, भोग के लिए मिठाई आदि चीजें दान करें।