आपने अक्सर ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो लगातार होने वाली खुजली, जलन या रैशेज जैसी स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान रहते हैं। यह समस्या केवल फिजिकल कम्फर्ट ही नहीं छीनती, बल्कि नींद, आत्मविश्वास और रोजमर्रा की जिंदगी को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। मेडिकल की भाषा में इसे ‘एटोपिक डर्मेटाइटिस’ या एक्जिमा कहा जाता है। यह एक क्रॉनिक स्किन कंडीशन है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। दुनिया में बड़े पैमाने पर लोग इससे पीड़ित हैं। इंटरनेशनल एक्जिमा काउंसिल (IEC) के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया में लगभग 22 करोड़ 30 लाख लोग एक्जिमा से पीड़ित थे। इनमें करीब 4 करोड़ 30 लाख बच्चे भी शामिल थे, जिनकी उम्र 1-4 साल थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि छोटे बच्चों में यह बीमारी काफी आम है। यह बच्चे के विकास, पढ़ाई और आगे चलकर काम करने की क्षमता पर भी बुरा असर डाल सकता है। इंटरनेशनल स्टडी ऑफ अस्थमा एंड एलर्जी इन चाइल्डहुड (ISAAC) की एक स्टडी के मुताबिक, साल 2002-2003 में भारत में 6–7 साल के 2.7% और 13–14 साल के 3.6% बच्चों में एक्जिमा पाया गया था। वहीं जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी (JACI) में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, भारत में करीब 10% एडल्ट्स एक्जिमा से प्रभावित होते हैं। हालांकि सही इलाज और कुछ सुरक्षा उपायों से इसके खतरे से बचा जा सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम एक्जिमा के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: डॉ. विजय सिंघल, सीनियर कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजिस्ट, श्रीबालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली सवाल- एक्जिमा क्या है? जवाब- एक्जिमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्किन पर खुजली, ड्राइनेस और सूजन हो सकती है। इसके अलावा स्किन लाल पड़ सकती है और उस पर छोटे-छोटे दाने या पपड़ी बन सकती है। यह समस्या आमतौर पर बच्चों में ज्यादा देखी जाती है। सवाल- एक्जिमा किन कारणों से होता है? जवाब- आमतौर पर यह तब होता है, जब स्किन की प्रोटेक्टिव लेयर कमजोर हो जाती है। इससे बाहरी केमिकल्स आसानी से स्किन में प्रवेश कर जाते हैं और जलन या खुजली पैदा करते हैं। इसके अलावा धूल-मिट्टी, परागकण, पालतू जानवरों के बाल, कुछ खास फूड आइटम्स, साबुन या केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स के संपर्क में आने से भी यह समस्या बढ़ सकती है। नीचे दिए ग्राफिक से इसके कुछ संभावित कारण समझिए- सवाल- एक्जिमा कितने तरह का होता है? जवाब- एक्जिमा कई तरह का होता है। हर प्रकार के पीछे कुछ खास कारण या ट्रिगर होते हैं। जैसेकि- एटॉपिक डर्मेटाइटिस: यह सबसे आम प्रकार है, जो एलर्जी से जुड़ा होता है। यह अक्सर बचपन में शुरू होता है। यह एलर्जी, अस्थमा या हाय फीवर जैसी स्थितियों से जुड़ा हो सकता है। कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस: यह तब होता है, जब स्किन किसी एलर्जेन जैसे साबुन, केमिकल प्रोडक्ट, डिटर्जेंट या ज्वेलरी के संपर्क में आती है। डिहाइड्रोटिक एक्जिमा: यह रेयर है, लेकिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। इसमें हथेलियों, पैरों के तलवों और उंगलियों के किनारों पर छोटे-छोटे फफोले पड़ने लगते हैं। पसीना या मेटल जैसे इरिटेंट्स इसे ट्रिगर कर सकते हैं। न्यूरोडर्मेटाइटिस: इसमें गर्दन या हाथ-पैर के पीछे खुजली वाले पैच होते हैं। यह उन लोगों में ज्यादा होता है, जिन्हें पहले से स्किन समस्या या मानसिक तनाव होता है। न्यूमुलर एक्जिमा: इसमें शरीर पर कहीं भी सिक्के के आकार के चकत्ते बन सकते हैं। सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस: यह शरीर के उन हिस्सों में होता है, जहां ऑयल ग्लैंड्स ज्यादा होती हैं। जब यह सिर की स्किन पर होता है तो इसे रूसी कहा जाता है। यह सोरायसिस, मुंहासे और रोसैसिया जैसी कंडीशंस से जुड़ा हो सकता है। स्टैसिस डर्मेटाइटिस: यह उन लोगों में होता है, जिनका ब्लड फ्लो खराब होता है। अधिक वजन या कम फिजिकल एक्टिविटी जैसी आदतें इसे ट्रिगर कर सकती हैं। सवाल- क्या एक्जिमा संक्रामक बीमारी है? जवाब- नहीं, एक्जिमा बिल्कुल भी संक्रामक बीमारी नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति को छू सकते हैं और उसके साथ रह सकते हैं। यह शरीर के अंदरूनी कारणों और बाहरी कारकों के रिएक्शन की वजह से होता है। सवाल- एक्जिमा के क्या लक्षण हैं? जवाब- इसके लक्षण व्यक्ति और प्रकार के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसका सबसे आम और परेशान करने वाला लक्षण खुजली है। इसमें स्किन अक्सर बहुत रूखी और खुरदरी महसूस होती है। उस पर लाल रंग के धब्बे या चकत्ते दिखाई दे सकते हैं। स्किन मोटी और पपड़ीदार हो सकती है। इसके अलावा और भी कुछ लक्षण हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- किन लोगों को एक्जिमा का खतरा ज्यादा होता है? जवाब- कुछ विशेष परिस्थितियों और रिस्क फैक्टर के कारण कुछ लोगों में एक्जिमा होने का खतरा अधिक होता है। जैसेकि- सवाल- एक्जिमा के कारण और कौन सी समस्याएं हो सकती हैं? जवाब- एक्जिमा कोई जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन यह क्वालिटी लाइफ को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकती है। लगातार खुजली और दर्द के कारण नींद खराब हो सकती है, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन हो सकता है। इसकी वजह से बच्चों का स्कूल और उनकी सोशल एक्टिविटीज प्रभावित हो सकती हैं। गंभीर एक्जिमा में स्किन क्रैक हो सकती है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए भले ही यह जानलेवा न हो। लेकिन इसका सही समय पर इलाज कराना जरूरी है ताकि लक्षणों को कंट्रोल किया जा सके। सवाल- कौन सी चीजें एक्जिमा को ट्रिगर कर सकती हैं? जवाब- कई बाहरी और आंतरिक कारण एक्जिमा के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। जैसेकि- एलर्जेन: धूल, पालतू जानवरों के बाल, फफूंदी, साबुन, डिटर्जेंट, परफ्यूम, लोशन और ऊनी या सिंथेटिक कपड़े वगैरह। मौसम: बहुत अधिक गर्मी, सर्दी या वातावरण में नमी की कमी। मेंटल हेल्थ: स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मेंटल कंडीशंस। फूड्स: कुछ लोगों में अंडा, दूध, मूंगफली, सोया या गेहूं जैसी चीजें एक्जिमा को ट्रिगर कर सकती हैं। इन्फेक्शन: बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन भी स्थिति को बिगाड़ सकते हैं। सवाल- एक्जिमा के खतरे से कैसे बचा जा सकता है? जवाब- अगर एक्जिमा जेनेटिक है तो इससे पूरी तरह बचना मुश्किल है। लेकिन कुछ सावधानियों के साथ इसके खतरे को कम किया जा सकता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- सवाल- एक्जिमा का पता कैसे लगाया जाता है? जवाब- आमतौर पर डॉक्टर स्किन देखकर और लक्षणों के बारे में पूछकर इसका पता लगाते हैं। कभी-कभी स्किन प्रिक टेस्ट या ब्लड टेस्ट की भी जरूरत पड़ सकती है। कुछ गंभीर मामलों में स्किन बायोप्सी भी की जा सकती है। सवाल- एक्जिमा का इलाज कैसे किया जाता है? जवाब- एक्जिमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। एक्जिमा की गंभीरता के अनुसार डॉक्टर आमतौर पर मॉइश्चराइजिंग क्रीम और दवाएं देते हैं। गंभीर मामलों में फोटोथेरेपी दी जा सकती है। इसके अलावा लाइफस्टाइल में बदलाव इसमें मदद करते हैं। ध्यान रखें कि एक्जिमा में अपनी मर्जी से कोई भी दवा या घरेलू उपाय न करें। ………… जरूरत की ये खबर भी पढ़िए अपनी स्किन के हिसाब से चुनें सनस्क्रीन, होगा सबसे असरदार: SPF 15 से 50+ तक, आपके लिए कौनसा सही, जानें लगाने का सही तरीका हर किसी की स्किन का टाइप अलग होता है। किसी की स्किन ड्राई होती है तो किसी की ऑयली। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन के अनुसार सही SPF और सही फॉर्मूला वाली सनस्क्रीन चुनें। पूरी खबर पढ़िए…