नोरा फतेही तेलुगु फिल्मों के स्टार वरुण तेज के साथ फिल्म ‘मटका’ में स्क्रीन शेयर करती नजर आएंगी। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान एक्ट्रेस ने बताया कि शूटिंग के दौरान उन्हें इंजरी हो गई थी। इसके बावजूद उन्होंने शूटिंग की, क्योंकि तेलुगु फिल्मों में ऐक्टिंग करने का मौका उन्हें सात साल के बाद मिला है। यह फिल्म तेलुगु के साथ-साथ हिंदी हिंदी, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में एक साथ रिलीज हो रही है। नोरा फतेही से बातचीत के प्रमुख अंश पढ़िए.. फिल्म में किरदार के बारे में कुछ बताएं? मैं सोफिया का किरदार निभा रही हूं। जो एक कैबरे डांसर है। जब वो वासु की जिंदगी में एंट्री करती है तो बहुत सारी चीजें बदल जाती हैं। इस फिल्म में वासु की भूमिका वरुण तेज निभा रहे हैं। इस फिल्म में मेरा लुक बहुत ही अलग है। फिल्म की शूटिंग के दौरान सबसे मुश्किल क्या था? इस फिल्म में मेरे लिए सबसे ज्यादा मुश्किल तेलुगु में बात करना था। फिल्म के डायरेक्टर ने मेरे किरदार और भाषा पर बहुत मेहनत की। पहले दिन का शूट वरुण के साथ था। डायलॉग इतने लंबे थे कि मैं रात भर सो नहीं सकी। रात भर यह सोचकर परेशान थी कि इतने लंबे डायलॉग्स कैसे बोल पाऊंगी। मुझे लग रहा था कि पागल हो जाऊंगी। जब सेट पर पहुंची तो वरुण ने मुझे बहुत ही सहज फील कराया। वरुण तेज ने तेलुगु सीखने में आपकी कितनी मदद की थी? थोड़ी बहुत उन्होंने मदद जरूर की थी। मैंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है। फिल्म में मेरे किरदार की एंट्री एक सॉन्ग से होती है। उस सॉन्ग की शूटिंग के दौरान इंजरी हो गई थी, लेकिन फिल्म की शूटिंग पांच दिन में खत्म करनी थी। इसलिए मैंने दर्द की परवाह किए बगैर फिल्म के गाने की शूटिंग की। उसके बाद मैंने एक महीने तक किसी भी फिल्म की शूटिंग नहीं की थी। एक एक्टर के रूप में काम करना मेरे लिए इस फिल्म में एक अलग जर्नी रही है। जब यह फिल्म आपको ऑफर हुई तब इस फिल्म को लेकर क्या रिएक्शन थे? मैं बहुत खुश थी। मैं सात साल से तेलुगु इंडस्ट्री में काम कर रही हूं। कई गानों पर परफॉर्म कर चुकी हूं। पहली बार जूनियर एनटीआर की फिल्म ‘टेम्पर’ में सॉन्ग पर परफॉर्म किया था। वरुण तेज की भी फिल्म में सॉन्ग कर चुकी हूं। तभी मैंने वरुण से कहा था कि सिर्फ इसलिए गाना कर रही हूं, क्योंकि मुझे एक्टिंग करनी है। आज देखिए उनकी फिल्म में काम करने का मौका मिला। इंडस्ट्री में आने से पहले आपकी क्या तैयारियां थीं? मैंने कोई तैयारी नहीं की थी। मुझे लगा था कि मुंबई पहुंचते ही स्टार बन जाऊंगी। मैंने कपड़े पैक किए और मुंबई आ गई। यहां आने के बाद पता चला कि बहुत कुछ सीखनी है। मुझे हिंदी भाषा नहीं आती थी। हिंदी मेरे लिए विदेशी भाषा थी। सबसे पहले हिंदी सीखी और खुद को परफॉर्मर के तौर पर तैयार किया। किस एक्ट्रेस से आप इंस्पायर रही हैं? मैंने बॉलीवुड में कभी काम करने के बारे में सोचा ही नहीं था। इंडस्ट्री में आने से पहले मैंने ‘देवदास’ और ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्में देखी थी। मेरे दिमाग में यही बात चलती थी कि सिर्फ इंडियन लड़कियां ही बॉलीवुड में एक्ट्रेस बन सकती हैं। जब मैंने कैटरीना कैफ और जैकलीन फर्नांडिस को यहां काम करते देखा, तब मुझे लगा कि मुमकिन है कि मैं भी कर सकती हूं। फिर मैंने बहुत सारे ऑडिशन देने शुरू किए। शुरुआत में किस तरह के अनुभव रहे? मैंने बहुत सारे ऑडिशन दिए। भाषा को लेकर लोग खूब मजाक उड़ाते थे। सबसे पहले मैंने अपने और भाषा के ऊपर बहुत मेहनत की। इस इंडस्ट्री ने मुझे बहुत दिया है। अब तक मुझे यह समझ में आया है कि अपनी मेहनत से कोई भी आगे बढ़ सकता है। इंडस्ट्री के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। जब आप पीछे मुड़कर देखती हैं तो क्या बातें याद आती हैं? छोटे-छोटे रोल्स करके यहां तक पहुंची हूं। मैं लोगों से कहती थी कि मेरे बारे में भी सोचे। यह कहने से पहले कई बार सोचती थी कि कैसे कहूं। ‘दिलबर’ गाने के बाद सबको लगता था कि सिर्फ सॉन्ग ही कर सकती है। लेकिन मुझे एक्टिंग करनी थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि गाने में टाइपकास्ट होती जा रही हूं। मैंने ऑडिशन देने शुरू किए। कुणाल खेमू ने मुझे ‘मडगांव एक्सप्रेस’ में मौका दिया। आपकी सादगी का लोगों ने फायदा भी बहुत उठाया, काम कराके पैसे भी नहीं दिए? ‘दिलबर’ के अलावा भी मैंने बहुत सारे गाने फ्री में किए हैं। उस समय पैसे कमाना मेरा उद्देश्य नहीं था। पैसे कमाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री में नहीं थी। पैसे कमाने के लिए तो और भी बहुत सारे काम हैं। मुझे इंडस्ट्री में खुद को प्रूव करना था। इसलिए पैसे की डिमांड नहीं की। इंडस्ट्री में लोगों के पास बहुत सारे ऑप्शन हैं। मैं नहीं तो कोई और करेगा। मेरे लिए सबसे बड़ी बात थी मौका मिलना। फिल्म इंडस्ट्री में खुद को प्रूव करने के लिए समझौते करने पड़ते हैं। इसमें कुछ गलत भी नहीं मानती हूं।