एडवांस तकनीक के रूप में पहचान बनाने वाली दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन अब मेक इन इंडिया की तरफ कदम बढ़ा रही है। इसकी शुरुआत मंगलवार को इंजीनियर्स डे पर की गई। डीएमआरसी ने आई-एटीएस को चालू करने के साथ ही मेट्रो रेलवे के लिए स्वदेश निर्मित सीबीटीसी (कंप्यूटर आधारित ट्रेन कंट्रोल) आधारित सिग्नलिंग प्रौद्योगिकी विकसित करने की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
मंगलवार को शास्त्री पार्क में आवासन और शहरी विकास कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, डीएमआरसी के एमडी डॉ. मंगू सिंह समेत मेट्रो के सीनियर ऑफिसर की मौजूदगी में प्रोटोटाइप सिस्टम के साथ अन्य सब-सिस्टम के स्वदेशी सीबीटीसी प्रौद्योगिकी के भावी विकास के लिए आधुनिकतम प्रयोगशाला का उद्घाटन किया।
ऐसे काम करता है यह सिस्टम
ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है जो ट्रेन ऑपरेशन्स को मैनेज करती है। यह सिस्टम मेट्रो जैसे छोटे अंतराल वाले परिचालनों के लिए अति आवश्यक है जहां हर एक मिनट के बाद सेवाएं दी जाती हैं। आई-एटीएस स्वदेशी विकसित प्रौद्योगिकी है जिससे इंडियन मेट्रो की उन विदेशी वेंडरों पर निर्भरता काफी कम होगी जो ऐसी प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहे हैं।
सीबीटीसी जैसी प्रौद्योगिकी प्रणालियां मुख्य रूप से यूरोपीय देशों और जापान द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के हिस्से के रूप में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सीबीटीसी प्रौद्योगिकी को स्वदेशी बनाने का निर्णय लिया है। डीएमआरसी के साथ-साथ नीति आयोग और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और सी-डेक इस विकास कार्य के सहयोगी हैं।
रेड लाइन के सिस्टम को किया अपग्रेड
डीएमआरसी ने रेड लाइन पर रिठाला से शहीद स्थल के एटीएस को अपग्रेड करते हुए स्वदेशी आई-एटीएस के उपयोग का निर्णय लिया है। फेज-4 में भी इसका उपयोग किया जाएगा।
ट्रेन ऑपरेटरों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
ट्रेन ऑपरेटरों को ड्राइविंग और ट्रबलशूटिंग स्किल की ट्रेनिंग के लिए रोलिंग स्टॉक ड्राइवर प्रशिक्षण प्रणाली के स्वदेशी विकास के लिए बीईएल के साथ एक अन्य समझौता किया गया। इसे एक कंप्यूटर आधारित ‘बैक-एंड’ प्रणाली के साथ ट्रेन ड्राइविंग कैब में स्थापित किया जाएगा जहां ट्रेन ऑपरेटरों को ड्राइविंग और ट्रबलशूटिंग स्किल ट्रेनिंग देकर विभिन्न रियल लाइफ परिदृश्य उत्पन्न किया जाएगा।