आने वाले दिन पाकिस्तान की सियासत के लिहाज से अहम साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने के इरादे से देश की तीन प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने हाथ मिला लिए हैं। हालांकि, इसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। सोमवार को नवाज शरीफ की पार्टी (पीएमएल-एन) और बिलावल भुट्टो की पार्टी (पीपीपी) की मीटिंग हो रही है।
तीसरी पार्टी मौलाना फजल-उर-रहमान की जमीयत-उल-इस्लामी है। मौलाना ने पिछले साल नवंबर में भी इमरान के लिए मार्च निकालकर मुश्किलें पैदा कर दीं थीं। हालांकि, बाद में अचानक इसे वापस भी ले लिया था।
फिलहाल, क्या हो रहा है
सोमवार को पीएमएल-एन के नेताओं का एक दल बिलावल भुट्टो के घर पहुंचा। इमरान को हटाने के लिए रणनीति पर चर्चा शुरू हुई। जियो न्यूज के मुताबिक, बातचीत की जानकारी मीडिया को अभी नहीं दी जाएगी। कोशिश एक ऑल पार्टी अलायंस बनाने की है।
कैसे बना समीकरण
इमरान सरकार पीएमएल-एन और पीपीपी के सभी बड़े नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर केस चला रही है। नवाज और जरदारी को जेल भी भेजा जा चुका है। कुछ खबरों के मुताबिक, प्रांतीय स्तर के नेताओं को झूठे ड्रग स्मगलिंग के मामलों में फंसाया गया है। वैसे दोनों पार्टियां अलग-अलग विचाराधारा का दावा करती हैं। लेकिन, इमरान के खिलाफ एक हो गई हैं।
एक फोन से बन गया काम
पिछले दिनों बिलावल भुट्टो ने नवाज के भाई शहबाज की तबीयत का हाल जानने के लिए उन्हें फोन किया। काफी देर बातचीत हुई। सियासी मामलों पर एक होने पर शुरुआती ही सही, लेकिन सहमति बनी। मौलाना को इसकी भनक लगी तो उन्होंने दोनों नेताओं से संपर्क किया। अलायंस का प्लान बना। जेल में बंद जरदारी ने भी सहमति दी। अब जल्द ही बिलावल इस्लामाबाद से लाहौर आने वाले हैं। शहबाज से बात करेंगे।
सेना भी नहीं रोक पाएगी
अगर तीनों पार्टियां साथ आ गईं तो सेना के लिए भी इमरान को बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। सबसे मजबूत सूबे पंजाब में नवाज तो सिंध में पीपीपी मजबूत है। इमरान सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा में ताकतवर हैं। आर्मी और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के ज्यादातर मलाईदार पदों पर पंजाब के लोग ही काबिज हैं। लिहाजा, पंजाब और सिंध से आवाज उठी तो इमरान सरकार के लिए इसे दबाना बहुत मुश्किल होगा। दूसरी तरफ मौलाना भी हैं। उनका मजहबी तौर पर काफी सम्मान है। लाखों फॉलोवर हैं।
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