पाकिस्तान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। शियाओं को डर है कि पाकिस्तान में 1980 और 90 के दशक में भड़की हिंसा जैसी घटना हो सकती है। तब सैकड़ों लोग सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए थे।
पिछले हफ्ते सुन्नी मुसलमानों और आतंकी संगठनों ने कराची में शिया मुसलमानों के खिलाफ प्रदर्शन किए। उन्होंने दुकानें और अन्य प्रतिष्ठान बंद करा दिए। सड़कें जाम कर दीं। उन्होंने नारे लगाए कि शिया काफिर हैं, इन्हें मार दिया जाए। प्रदर्शनों की अगुआई प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिपाह ए सबाह ने की।
इस्लामिक विद्वान के खिलाफ टिप्पणी का आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अशूरा जुलूस के टीवी प्रसारण के दौरान शिया मौलवी ने इस्लामिक विद्वानों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। अब सोशल मीडिया पर शिया नरसंहार हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। शिया विरोधी पोस्ट दिखाई दे रहे हैं।
20% आबादी शिया मुस्लिमों की है
21 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में शियाओं की आबादी 20% है। प्रदर्शनकारियों पर अब तक न कोई केस नहीं दर्ज हुआ है। हाल ही में आशूरा जुलूस में भाग लेने पर दर्जनों शिया मुसलमानों पर हमले हुए। जुलूसों पर हथगोले फेंके गए।
प्रधानमंत्री इमरान को ठहराया दोषी
रावलपिंडी के प्रमुख शिया मौलवी अली रजा कहते हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान इस शिया विरोधी प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसा लगता है कि सरकार जानबूझकर हेट स्पीच को बढ़ावा दे रही है। शियाओं को मैसेज भेजकर उन्हें काफिर बताया जा रहा है। उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
इस्लामाबाद में चर्चा है कि सरकार आशूरा के जुलूसों पर कार्रवाई कर सकती है।कराची यूनिवर्सिटी में शिया छात्र गुलजार हसनैन कहते हैं कि वे लोग डरे हुए हैं। लश्करे ए जान्गवी और सिपाह ए सबाह के हजारों लोग एक जगह जमा होकर उन्हें काफिर कह रहे हैं। वे लोगों को हमें मारने के लिए उकसा रहे हैं। कराची यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर सोहेल खान कहते हैं कि सुन्नी मुसलमानों के शक्ति प्रदर्शन के बाद पाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा की आशंका दिख रही है। जबकि पाकिस्तान के गृह मंत्री ब्रिगेडियर इजाज शाह ने कहा कि सब नियंत्रण में है।
नौ साल में सांप्रदायिक हिंसा में 10 हजार लोग मारे गए
तीन एजेंसियों के डेटा बताते हैं कि पाकिस्तान लंबे समय से सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है। साल 2011-2019 तक यहां विभिन्न सांप्रदायिक हिंसा में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। इनमें 5 हजार से ज्यादा शिया हैं।