इस साल अब तक एशिया प्रशांत क्षेत्र में घोषित हुए सभी विलय एवं अधिग्रहण (एमएंडए) सौदों में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी से ज्यादा रही। भारत का यह अनुपात 1998 के बाद सबसे ज्यादा है। साथ ही भारत में हुए एमएंडए डील का आकार पिछले साल के मुकाबले 18 फीसदी बढ़कर 55.3 अरब डॉलर (करीब 4.15 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया। इसमें से 15 अरब डॉलर (करीब 1.12 लाख करोड़ रुपए) का निवेश अकेले रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म में हुआ। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी अवधि में एशिया प्रशांत क्षेत्र के कुल एमएंडए डील में 18 फीसदी की गिरावट आई है।
भारत एशिया के सबसे व्यस्त एमएंड बाजारों में से एक
भारत के डिजिटल क्षेत्र में जिस तरह से आज गतिविधियों में तेजी आई है, वह वैसी है, जैसा चीन में डिजिटल बूम के शुरुआती दिनों में देखी गई थी। कोरोनावायरस महामारी के कारण दुनिया का सबसे बड़ा लॉकडाउन लगाए जाने के बाद डिजिटल क्षेत्र का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया। जेपी मॉर्गन चेज एंड कपनी में एशिया प्रशांत के लिए एमएंडए सह-प्रमुख केरविन क्लेटन ने कहा कि भारत एशिया में एमएंडए के लिए सबसे व्यस्त बाजारों में से एक है। वैश्विक फंड और कंपनियां आज उसी तरह से भारत में निवेश की ताक में है, जैसे एक दशक पहले वे चीन में निवेश करने की ताक में रहते थे।
करीब 1.12 लाख करोड़ रुपए का निवेश अकेले रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म में
इस सालि की पहली छमाही में भारत की एमएंडए गतिविधियों में हुए इजाफे के केंद्र में रही जियो प्लेटफॉर्म। फेसबुक इंक और सिल्वर लेक जैसी कंपनियों ने इस दौरान जियो प्लेटफॉर्म में करीब 1.12 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर दिया। अभी तक जियो प्लेटफॉर्म में जितने भी निवेशकों ने निवेश किया है, उनमें आखिरी है कंप्यूटर चिप कंपनी इंटेल कॉर्प की एक सहायक इकाई। इस निवेश के बाद जियो प्लेटफॉर्म का मूल्य बढ़कर 65 अरब डॉलर (करीब 4.88 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया।
टेक के बाद स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्र्रक्चर में भी हो सकता है काफी निवेश
रोथचाइल्ड एंड कंपनी के एमडी अशाक शाह ने कहा कि टेक्नोलॉजी क्षेत्र में काफी डील गतिविधियां हुई, लेकिन जो गतिविधि जियो प्लेटफॉर्म में देखी गई, वह अन्य किसी कंपनी में नहीं दिखी। स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित इंडस्ट्र्रियल्स और ट्र्रैवल सेक्टर में विनिवेश देखने को मिल सकता है।
चीन से भारत में हुए निवेश में भी गिरावट
इस साल के पहले छह महीने में चीन की कंपनियों ने भारत में 57.9 करोड़ डॉलर (करीब 4,345 करोड़ रुपए) का निवेश करने का वादा किया। 2019 की समान अवधि में यह आंकड़ा 1.5 अरब डॉलर (करीब 11,256 करोड़ रुपए) था। भारत और चीन के बीच हाल में तनाव भी काफी बढ़ चुका है।