ईरान ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए 1 अक्टूबर को इजराइल पर 200 मिसाइलें दागी थीं। अमेरिका को शक है कि इसका बदला लेने के लिए इजराइल अब ईरान के सैन्य ठिकानों को निशाना बना सकता है। अमेरिकी मीडिया हाउस NBC ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका को नहीं लगता कि इजराइल पलटवार में ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाएगा। हालांकि, ईरान के एनर्जी इंफ्रास्ट्रकचर पर अटैक की आशंका भी जताई गई है। वहीं, ईरान ने अमेरिका और मिडिल ईस्ट के कुछ देशों को कहा है कि अगर इजराइल ने हमला किया तो वे जवाब जरूर देंगे। ईरान से तनातनी के बीच नेतन्याहू आज फिर से कैबिनेट की मीटिंग करेंगे। इसमें ये चर्चा की जाएगी कि ईरान के 1 अक्टूबर को किए गए हमले पर पलटवार कैसे करें। इससे पहले शुक्रवार को भी एक बैठक हुई थी। हालांकि, उसमें कोई फैसला नहीं हो पाया था। इजराइली हमले में लेबनान के 13 लोगों की मौत
इजराइल ने शनिवार को लेबनान के 2 कस्बों पर हमले किए। इनमें एक ‘बारजा’ बेरूत से 32 किलोमीटर दूर है, जहां ज्यादातर सुन्नी आबादी वाले लोग रहते हैं। इजराइल के हमले में यहां 4 लोग मारे गए। हिजबुल्लाह शियाओं का संगठन हैं इसके चलते लेबनान जंग में इजराइल ने अब तक शिया इलाकों को निशाना बनाया था। अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक सुन्नी कस्बे पर हमला पहली बार हुआ है। वहीं, उत्तरी लेबनान के मायसरा में भी इजराइली हमले में 9 लोगों की मौत हुई है। दूसरी तरफ इजराइल ने दावा किया है हिजबुल्लाह ने शनिवार को उन पर 300 प्रोजेक्टाइल (छोटी मिसाइलें) दागी हैं। इजराइल के खिलाफ UN के बयान पर सहमत भारत
UN और 40 देशों की अपील के बावजूद लेबनान में तैनात पीसकीपिंग फोर्स पर इजराइल के हमले जारी हैं। पिछले 2 दिनों में 5 सैनिक घायल हो चुके हैं। इस बीच UN में भारत ने कहा है कि हम पीसकीपिंग मिशन में सैनिकों के जरिए योगदान देने वाला एक अहम देश हैं। पीसकीपर्स की सुरक्षा सबसे अहम है, UNSC के प्रस्तावों के तहत इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भारत ने कहा- हम शांति के लिए लेबनान में सैनिक तैनात करने वाले 34 देशों के उस साझा बयान का समर्थन करते हैं, जिसमें सैनिकों की सुरक्षा की मांग की गई है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी शनिवार को इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट से इस मुद्दे पर बात कर जल्द कोई समाधान निकालने की मांग की है। लेबनान बॉर्डर पर 46 साल से तैनात UNIFIL के सैनिक
मार्च 1978 की बात है। लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन समर्थक उग्रवादियों ने दर्जनों यहूदियों की बेरहमी से हत्या कर दी। इन हत्याओं का बदला लेने के लिए इजराइली सेना ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के सफाए के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसे इजराइल की तरफ से लेबनान पर किया गया हमला कहा गया। जब यह मामला UN में पहुंचा तो तुरंत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने इस जगह पर शांति कायम करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक इजराइली सेना को फौरन लेबनान सीमा से वापस लौटने को कहा गया। जिस जगह से इजराइली सेना ने वापसी की थी, उसी जगह को UN ने अपनी कस्टडी में ले लिया था। तब से ही यह इलाका संयुक्त राष्ट्र के कब्जे में है। इस इलाके में UN की तरफ से शांति कायम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती की गई। इन जवानों को यूनाइटेड नेशन्स इंटरिम फोर्स इन लेबनान (UNIFIL) कहा जाता है। 1978 के बाद से ही यहां UNIFIL की तैनाती है। दक्षिणी लेबनान में जहां UN फोर्स की तैनाती है, उस 110 किलोमीटर के इलाके को ‘ब्लू लाइन’ कहा जाता है। यह दोनों देशों के बीच एक बफर जोन है। दावा- ईरान के साथ इजराइल पर हमला करना चाहता था हमास
हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर जो हमला किया उसकी साजिश 2 साल पहले 2021 में ही रची जा चुकी थी। हमास ने ईरान और हिजबुल्लाह को भी हमले में साथ देने की अपील की थी। अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजराइली सेना के हाथ लगी हमास की मीटिंग के दस्तावेजों के आधार पर ये खुलासा किया है। NYT ने दावा किया है कि उन्हें हमास की 10 बैठकों की जानकारी मिली है। इनमें से एक बैठक ईरानी कमांडर मोहम्मद सईद इजादी और हमास के सीनियर अधिकारियों और हिजबुल्लाह के बीच हुई थी। दावा किया गया है कि हमास ने इजादी और हिजबुल्लाह से इजराइल के अहम ठिकानों पर हमला करने के लिए साथ देने की बात कही थी। इस पर इजादी और हिजबुल्लाह ने कहा था कि वे इजराइल पर हमले के उद्देशय का समर्थन करते हैं लेकिन हमले के लिए माहौल बनाने में समय लगेगा। ईरान और हिजबुल्लाह ने इन आरोपों को खारिज किया है। ईरान ने कहा है कि ये डॉक्यूमेंट्स में कोई सच्चाई नहीं है। हमास के 7 अक्टूबर के हमले की प्लानिंग के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। ——————————————————– मिडिल ईस्ट में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ईरान बोला-नेतन्याहू की मदद करने वाले अरब देश नतीजा भुगतेंगे:लेबनान में UN पोस्ट पर इजराइली हमले जारी, भारत समेत 11 देशों की आपत्ति नजरअंदाज इजराइल और लेबनान में जारी लड़ाई के बीच ईरान ने अरब देशों और मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सहयोगियों के लिए चेतावनी जारी की है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, ईरान ने डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए यह धमकी दी है। ईरान ने कहा कि अगर किसी भी देश ने इजराइल को उस पर हमला करने में मदद की या अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने दिया, तो उसे खामियाजा भुगतना होगा। पूरी खबर यहां पढ़ें…
इजराइल ने शनिवार को लेबनान के 2 कस्बों पर हमले किए। इनमें एक ‘बारजा’ बेरूत से 32 किलोमीटर दूर है, जहां ज्यादातर सुन्नी आबादी वाले लोग रहते हैं। इजराइल के हमले में यहां 4 लोग मारे गए। हिजबुल्लाह शियाओं का संगठन हैं इसके चलते लेबनान जंग में इजराइल ने अब तक शिया इलाकों को निशाना बनाया था। अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक सुन्नी कस्बे पर हमला पहली बार हुआ है। वहीं, उत्तरी लेबनान के मायसरा में भी इजराइली हमले में 9 लोगों की मौत हुई है। दूसरी तरफ इजराइल ने दावा किया है हिजबुल्लाह ने शनिवार को उन पर 300 प्रोजेक्टाइल (छोटी मिसाइलें) दागी हैं। इजराइल के खिलाफ UN के बयान पर सहमत भारत
UN और 40 देशों की अपील के बावजूद लेबनान में तैनात पीसकीपिंग फोर्स पर इजराइल के हमले जारी हैं। पिछले 2 दिनों में 5 सैनिक घायल हो चुके हैं। इस बीच UN में भारत ने कहा है कि हम पीसकीपिंग मिशन में सैनिकों के जरिए योगदान देने वाला एक अहम देश हैं। पीसकीपर्स की सुरक्षा सबसे अहम है, UNSC के प्रस्तावों के तहत इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भारत ने कहा- हम शांति के लिए लेबनान में सैनिक तैनात करने वाले 34 देशों के उस साझा बयान का समर्थन करते हैं, जिसमें सैनिकों की सुरक्षा की मांग की गई है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी शनिवार को इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट से इस मुद्दे पर बात कर जल्द कोई समाधान निकालने की मांग की है। लेबनान बॉर्डर पर 46 साल से तैनात UNIFIL के सैनिक
मार्च 1978 की बात है। लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन समर्थक उग्रवादियों ने दर्जनों यहूदियों की बेरहमी से हत्या कर दी। इन हत्याओं का बदला लेने के लिए इजराइली सेना ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के सफाए के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसे इजराइल की तरफ से लेबनान पर किया गया हमला कहा गया। जब यह मामला UN में पहुंचा तो तुरंत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने इस जगह पर शांति कायम करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक इजराइली सेना को फौरन लेबनान सीमा से वापस लौटने को कहा गया। जिस जगह से इजराइली सेना ने वापसी की थी, उसी जगह को UN ने अपनी कस्टडी में ले लिया था। तब से ही यह इलाका संयुक्त राष्ट्र के कब्जे में है। इस इलाके में UN की तरफ से शांति कायम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती की गई। इन जवानों को यूनाइटेड नेशन्स इंटरिम फोर्स इन लेबनान (UNIFIL) कहा जाता है। 1978 के बाद से ही यहां UNIFIL की तैनाती है। दक्षिणी लेबनान में जहां UN फोर्स की तैनाती है, उस 110 किलोमीटर के इलाके को ‘ब्लू लाइन’ कहा जाता है। यह दोनों देशों के बीच एक बफर जोन है। दावा- ईरान के साथ इजराइल पर हमला करना चाहता था हमास
हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर जो हमला किया उसकी साजिश 2 साल पहले 2021 में ही रची जा चुकी थी। हमास ने ईरान और हिजबुल्लाह को भी हमले में साथ देने की अपील की थी। अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स ने इजराइली सेना के हाथ लगी हमास की मीटिंग के दस्तावेजों के आधार पर ये खुलासा किया है। NYT ने दावा किया है कि उन्हें हमास की 10 बैठकों की जानकारी मिली है। इनमें से एक बैठक ईरानी कमांडर मोहम्मद सईद इजादी और हमास के सीनियर अधिकारियों और हिजबुल्लाह के बीच हुई थी। दावा किया गया है कि हमास ने इजादी और हिजबुल्लाह से इजराइल के अहम ठिकानों पर हमला करने के लिए साथ देने की बात कही थी। इस पर इजादी और हिजबुल्लाह ने कहा था कि वे इजराइल पर हमले के उद्देशय का समर्थन करते हैं लेकिन हमले के लिए माहौल बनाने में समय लगेगा। ईरान और हिजबुल्लाह ने इन आरोपों को खारिज किया है। ईरान ने कहा है कि ये डॉक्यूमेंट्स में कोई सच्चाई नहीं है। हमास के 7 अक्टूबर के हमले की प्लानिंग के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। ——————————————————– मिडिल ईस्ट में जंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ईरान बोला-नेतन्याहू की मदद करने वाले अरब देश नतीजा भुगतेंगे:लेबनान में UN पोस्ट पर इजराइली हमले जारी, भारत समेत 11 देशों की आपत्ति नजरअंदाज इजराइल और लेबनान में जारी लड़ाई के बीच ईरान ने अरब देशों और मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सहयोगियों के लिए चेतावनी जारी की है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक, ईरान ने डिप्लोमैटिक चैनल के जरिए यह धमकी दी है। ईरान ने कहा कि अगर किसी भी देश ने इजराइल को उस पर हमला करने में मदद की या अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने दिया, तो उसे खामियाजा भुगतना होगा। पूरी खबर यहां पढ़ें…