उत्तराखंड में UCC का ड्रॉफ्ट तैयार:CM धामी को जल्द सौंपी जाएगी रिपोर्ट, 9 नवंबर से लागू हो सकता है

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने को लेकर अंतिम रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। राज्य सरकार की तरफ से बनाई गई UCC कमेटी इस रिपोर्ट को जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपेगी। यह रिपोर्ट उत्तराखंड में UCC लागू करने के लिए तैयार की गई सिफारिशों का मसौदा है, जिसमें विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत कानूनों को समान रूप से लागू करने के प्रावधान शामिल हैं। CM धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर UCC लागू करना चाहती है। उत्तराखंड ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। 13 मार्च को राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी
13 मार्च को UCC बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिली थी। तब धामी ने राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार में विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान जो वादा जनता से किया था उसे पूरा कर दिया है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ ही महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर भी लगाम लगेगी। विधानसभा में 7 फ़रवरी को UCC बिल पास हुआ था उत्तराखंड विधानसभा में 7 फरवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल ध्वनि मत से पास हुआ था। CM सीएम पुष्कर धामी ने 6 फरवरी को विधानसभा में यह बिल पेश किया था। इस बिल के कानून बनते ही उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रह रहे लोगों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो जाएगा। ऐसा नहीं करने पर 6 महीने तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी भी गैर-कानूनी मानी जाएगी। बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था- आज का ये दिन उत्तराखंड के लिए बहुत विशेष दिन है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि उनकी प्रेरणा से और उनके मार्गदर्शन में हमें ये विधेयक उत्तराखंड की विधानसभा में पारित करने का मौका मिला। यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून के बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग बातें कर रहे थे, लेकिन सभी बातें विधानसभा में हुई चर्चा में स्पष्ट हो गई हैं। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए हैं। ये कानून बच्चों और मातृशक्ति के भी हित में है। बिल की पूरी कॉपी पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें… यूनिफॉर्म सिविल कोड से क्या बदलेगा, 5 पॉइंट में समझें… 800 पन्नों के ड्राफ्ट में 400 सेक्शन, ढाई लाख सुझाव मिले
उत्तराखंड में UCC की एक्सपर्ट कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें लगभग 400 सेक्शन है। और लगभग 800 पन्नों की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में प्रदेशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है। 20 हजार लोगों से कमेटी ने सीधे संपर्क किया है। इस दौरान सभी धर्म गुरुओं, संगठनों, राजनीतिक दलों, कानूनविदों से बातचीत की गई है। जिनके सुझावों को कमेटी ने ड्राफ्ट में शामिल किया। प्रदेश की जनजातियों को कानून से रखा गया बाहर
उत्तराखंड की जनजातियों पर यह कानून लागू नहीं होगा। राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल है। चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1967 में इनको संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत जनजाति समुदाय में शामिल करने के लिए अधिसूचित किया गया। पिछले दिनों असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा भी कह चुके है कि वो भी अपने प्रदेश में जनजाति और आदिवासियों को इस कानून से मुक्त रखेंगे। ये खबर भी पढ़ें… यूनिफॉर्म सिविल कोड से उत्तराखंड में क्या बदलेगा: लिव इन और बहुविवाह के लिए कानून; मुस्लिम क्यों कर रहे विरोध आमतौर पर किसी भी देश में दो तरह के कानून होते हैं। क्रिमिनल कानून और सिविल कानून। क्रिमिनल कानून में चोरी, लूट, मार-पीट, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह के कोर्ट, प्रोसेस और सजा का प्रावधान होता है। पढ़ें पूरी खबर…