उपभोक्ताओं का भरोसा जुलाई में गिरकर अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर 53.8 पर आया, अब अगले साल ही कुछ बेहतर होने की उम्मीद

देश में उपभोक्ताओं का भरोसा जुलाई 2020 में गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी ताजा कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे रिपोर्ट में कही गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के लोगों में अपनी नौकरी, कमाई और जेब खर्च को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है।

कोरोनावायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए मार्च के आखिर में दुनिया के सबसे बड़े और सख्त लॉकडाउन लगाए जाने के बाद से ही माहौल में निराशा बढ़ने लगी थी। आरबीआई ने कहा कि जुलाई में कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स और गिरकर 53.8 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इंडेक्स 100 से जितना नीचे रहता है, तो माहौल में उतनी अधिक निराशा का पता चलता है। यह 100 से जितना ऊपर रहता है, माहोल में उतनी अधिक आशा का पता चलता है।

काफी घट गया है लोगों का गैर जरूरी खर्च

आरबीआई ने गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति, रोजगार की स्थिति और अपनी कमाई को लेकर उपभोक्ताओं का भरोसा मई के मुकाबले काफी नीचे गिर गया है। आरबीआई यह रिपोर्ट हर दो महीने में जारी करता है। सर्वेक्षण में शामिल किए गए अधिकतर लोगों ने कहा कि उनका गैरजरूरी खर्च काफी घट गया है। अगले साल भी इसमें बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है।

महंगाई में बढ़ोतरी की आशंका

आरबीआई की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक घरों के महंगाई अनुमान में उछाल दिख रहा है। इससे आने वाले महीनों में भी आरबीआई के लिए मुख्य ब्याज दर घटाने का फैसला ले पाना काफी कठिन होगा। आरबीआई को महंगाई दर 2-6 फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

अगले साल माहौल सुधरने की हल्की उम्मीद

कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे के मुताबिक उपभोक्ताओं को हालांकि अगले साल माहौल में सुधार की हल्की उम्मीद दिख रही है। आरबीआई ने यह सर्वेक्षण देश के 13 से ज्यादा शहरों में 5,000 से ज्यादा परिवारों के बीच किया। महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण आरबीआई ने गुरुवार को दोमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया।

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कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स 100 के नीचे होता है तो माहोल में निराशा का पता चलता है और यह 100 के ऊपर होता है तो उपभोक्ताओं के अंदर आशा का पता चलता है