एक देश-एक चुनाव पर JPC की दूसरी बैठक:कमेटी ने सुझाव लेने के लिए लिस्ट बनाई; पूर्व चीफ जस्टिस, चुनाव आयोग, राजनीतिक दल शामिल

एक देश-एक चुनाव के लिए संसद में पेश हुए 129वें संविधान संशोधन बिल पर शुक्रवार को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की दूसरी बैठक हुई। कमेटी ने एक साथ चुनाव पर सुझाव लेने के लिए लिस्ट बनाई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस, चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों और राज्य सरकारें शामिल हैं। कमेटी स्कूल और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के संगठनों, सीआईआई, फिक्की जैसे उद्योग समूहों बैंकों, आरबीआई, बार काउंसिल से भी सुझाव लेगी। बैठक में सदस्यों से चर्चा की गई कि जेपीसी के तय एजेंडे के साथ कैसे आगे बढ़ा जाए। सूत्रों के मुताबिक, कॉन्स्टिट्यूशन एक्सपर्ट्स, सुरक्षा एजेंसियों, कई सरकारी विभागों, मीडिया संगठनों, लॉ कमीशन, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, पब्लिक सेक्टर्स, थिंक-टैंक, चैंबर ऑफ कॉमर्स, आईआईएम जैसे शैक्षणिक संस्थानों से परामर्श किए जाने की संभावना है। दूसरी बैठक में हुई चर्चा, पॉइंट्स में… भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली 39 सदस्यीय कमेटी में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हैं। विपक्षी सांसदों ने JPC का कार्यकाल बढ़ाकर एक साल करने ही भी मांग की। JPC को बजट सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन तक अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश करनी है। 8 जनवरी को पहली बैठक हुई इससे पहले 8 जनवरी को JPC की पहली बैठक हुई थी। इसमें सभी सांसदों को 18 हजार से ज्यादा पेज की रिपोर्ट वाली एक ट्रॉली दी गई थी। इसमें हिंदी और अंग्रेजी में कोविंद समिति की रिपोर्ट और अनुलग्नक की 21 कॉपी शामिल है। इसमें सॉफ्ट कॉपी भी शामिल है। पहली बैठक की चर्चा, पॉइंट्स में… संसद में बिल पेश करने के लिए वोटिंग कराई गई थी कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने 17 दिसंबर को लोकसभा में एक देश-एक चुनाव को लेकर संविधान संशोधन बिल रखा था। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया था। इसके बाद बिल पेश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई थी। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए पर्ची से दोबारा मतदान हुआ। इस वोटिंग में बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद कानून मंत्री ने बिल दोबारा सदन में रखा। कांग्रेस बोली- बिल पेश करते समय सरकार 272 सांसद नहीं जुटा पाई कांग्रेस ने एक देश एक चुनाव विधेयक को लेकर 20 दिसंबर को कहा कि भाजपा इस बिल को कैसे पास कराएगी? क्योंकि संविधान संशोधन के लिए उसके पास सदन में दो तिहाई बहुमत (362 सांसद) नहीं हैं। बिल भले ही JPC के पास भेजा गया, लेकिन कांग्रेस इसका विरोध करती है। दरअसल, 20 दिसंबर को राज्यसभा में इस बिल से जुड़े 12 सदस्यों को नामित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किया। सभापति जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से राज्यसभा के सदस्यों को समिति में मनोनीत करने के लिए प्रस्ताव पेश करने को कहा था। इसके बाद संसद की संयुक्त समिति को दोनों विधेयकों की सिफारिश करने वाला प्रस्ताव पारित किया गया। फिर बिल को 39 सदस्यीय JPC के पास भेजने का फैसला किया गया। एक देश-एक चुनाव क्या है… भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई। एक देश-एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति ने मार्च में राष्ट्रपति को सौंपी थी रिपोर्ट एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने करीब 191 दिनों में स्टेकहोल्डर्स और एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 14 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। एक देश-एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान संशोधन के जरिए संविधान में 1 नया अनुच्छेद जोड़ने और 3 अनुच्छेदों में संशोधन करने की व्यवस्था की जाएगी। संविधान संशोधन से क्या बदलेगा, 3 पॉइंट… ————————————— एक देश-एक चुनाव से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… क्या 2029 से देश में होगा वन इलेक्शन, फायदे-खामियों पर सब कुछ जो जानना जरूरी आजाद भारत का पहला चुनाव 1951-52 में हुआ। उस वक्त लोकसभा और राज्यों की विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे। 1957, 1962 और 1967 तक ये परंपरा जारी रही। अब 2029 में ये परंपरा फिर से शुरू हो सकती है। इससे जुड़ा बिल संसद में पेश हो सकता है। वहीं, विपक्षी नेताओं ने इस सवाल उठाए हैं। पूरी खबर पढ़ें…