एक लाख करोड़ रुपए के मालिकाना हक वाले पद्मनाभस्वामी मंदिर का विवाद सुलझा; 5 प्रश्नों में जानिये पूरा विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तिरुवनंतपुरम के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और देखरेख की जिम्मेदारी पूरी तरह से त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को सौंप दी। त्रावणकोर के शाही परिवार के सदस्यों की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया।

क्या है इस मंदिर का इतिहास?

  1. श्री पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1949 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया।
  2. त्रावणकोर के शासकों ने शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के लिए अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था। उन्होंने भगवान को ही राजा घोषित कर दिया था। मंदिर से भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी मिली है जो शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है।
  3. 2011 में जब मामला अदालतों में पहुंचा तो इसके तहखाने खोले गए। कल्लार (वॉल्ट) ए खोला गया तो उसमें एक लाख करोड़ रुपए के बेशकीमती जेवरात, मूर्तियां मिली हैं। कल्लार (वॉल्ट) बी नहीं खोला गया है। शाही परिवार के सदस्यों का कहना है कि वह तहखाना श्रापित है। यदि उसे खोला गया तो वह अनिष्ट को न्योता देगा।

क्या है इस केस का बैकग्राउंड?

  1. त्रावणकोर और कोचिन के शाही परिवार और भारत सरकार के बीच अनुबंध 1949 में हुआ था। इसके तहत तय हुआ था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन ‘त्रावणकोर के शासक’ के पास रहेगा।
  2. हालांकि, त्रावणकोर कोचिन हिंदू रिलीजियस इंस्टिट्यूशंस एक्ट के सेक्शन 18(2) के तहत मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर के शासक के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के हाथ में रहा। त्रावणकोर के अंतिम शासक का निधन 20 जुलाई 1991 को हुआ।
  3. केरल सरकार ने इसके बाद भी त्रावणकोर के आखिरी शासक के भाई उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के नेतृत्व में प्रशासकीय समिति के पास मंदिर का प्रबंधन सौंपा।
  4. हालांकि, वर्मा ने जब मंदिर में छिपे खजाने पर शाही परिवार का दावा साबित करने की कोशिश की तो सिविल कोर्ट में याचिकाओं का अंबार लग गया। भक्तों ने याचिका लगाई कि त्रावणकोर शाही परिवार को मंदिर की संपत्ति का बेजां इस्तेमाल की अनुमति न दी जाए।

कोच्चि हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

  1. उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा और कुछ अन्य इस मामले में हाईकोर्ट गए और वहां इससे जुड़ी सभी याचिकाओँ पर एक साथ सुनवाई हुई। तब हाईकोर्ट के सामने प्रश्न था कि क्या त्रावणकोर के आखिरी शासक के छोटे भाई के तौर पर वर्मा को 1950 के त्रावणकोर-कोचिन हिंदू रिलीजियस इंस्टिट्यूशंस एक्ट के सेक्शन 18(2) के तहत श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर पर मालिकाना हक, नियंत्रण और प्रबंधन का अधिकार है या नहीं।
  2. इस प्रश्न का जवाब देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि “शासक’ ऐसा दर्जा नहीं है जिसे उत्तराधिकारी के तौर पर हासिल किया जा सके। इस वजह से 1991 में अंतिम शासक की मौत के बाद पूर्व स्टेट ऑफ त्रावणकोर का कोई शासक जीवित नहीं है।
  3. यह भी कहा गया कि उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा त्रावणकोर के पूर्व शासक के तौर पर मंदिर के प्रशासन पर दावा नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि मंदिर के तहखानों में रखे खजाने को सार्वजनिक किया जाए। उसे एक म्युजियम में प्रदर्शित किया जाए और उससे व चढ़ावे में मिलने वाले पैसे से मंदिर का रखरखाव किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि त्रावणकोर शाही परिवार का मंदिर के प्रशासन में अधिकार कायम रहेगा। मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता फिलहाल तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे।
  2. कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी 2011 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए ट्रस्ट गठित करने को कहा गया था।
  3. कोर्ट ने कहा कि त्रावणकोर के आखिरी शासक की मौत से शाही परिवार की भक्ति और सेवा को उनसे नहीं छीना जा सकता। वे अपनी परंपराओं के आधार पर मंदिर की सेवा जारी रख सकते हैं।
  4. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि कल्लार-बी यानी वॉल्ट बी को खोलना है या नहीं, इसका फैसला कमेटी करेगी। इस मामले में कोर्ट ने अपनी कोई राय जाहिर नहीं की है।

सुप्रीम कोर्ट में कब-क्या हुआ?

  • 2 मई 2011- उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा ने जस्टिस आरवी रवीन्द्रन और एके पटनायक की बेंच के सामने केरल हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की थी। तब कोर्ट ने कोच्चि हाईकोर्ट के फैसले को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मंदिर के तहखानों में बंद खजाने में शामिल वस्तुओँ, बेशकीमती नग-पत्थरों की लिस्ट बनाई जाए और यह करने के लिए एक टीम भी नियुक्त की गई।
  • 8 जुलाई 2011- कोर्ट ने मंदिर के तहखाने में स्थित कल्लारा (वॉल्ट) ‘ए’ और ‘बी’ को खोलने के आदेश को स्थगित कर दिया।
  • 21 जुलाई 2011- इस मामले में सरकार के जवाब के बाद बेंच ने एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने के निर्देश दिए। तहखाने के खजाने, उसके संरक्षण और सुरक्षा को लेकर सुझाव मांगे गए। समिति को यह भी जांच कर सुझाव देने को कहा गया था कि कल्लारा बी को खोला जाना चाहिए या नहीं।
  • 22 सितंबर 2011- कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट को एक्जामिन किया और दिशानिर्देश जारी किए। कोर् टने कहा कि अन्य तहखानों के सामान के डॉक्युमेंटेशन, कैटेगराइजेशन, सिक्योरिटी, प्रिजर्वेशन, कंजर्वेशन, मेंटेनेंस और स्टोरेज संबंधी जानकारी हासिल करने के बाद कल्लार बी का फैसला किया जाएगा।
  • 23 अगस्त 2012- कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमणियम को अमेकस क्यूरी नियुक्त किया।
  • 6 दिसंबर 2013- उत्राटम तिरुनल मार्तण्ड वर्मा का निधन हो गया।
  • 15 अप्रैल 2014- अमेकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की।
  • 24 अप्रैल 2014- कोर्ट ने तिरुवनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमेटी को प्रशासनिक कमेटी के तौर पर नियुक्त किया।
  • अगस्त-सितंबर 2014- सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमणियम ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा और कहा कि वह इस केस के अमेकस क्यूरी के तौर पर काम नहीं करना चाहते। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लिया और श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर मामले में अमेकस क्यूरी बने रहे।
  • नवंबर 2014- त्रावणकोर के शाही परिवार ने अमेकस क्यूरी गोपाल सुब्रमणियम की रिपोर्ट पर संदेह उठाए और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आपत्तियां उठाई।
  • 27 नवंबर 2014- कोर्ट ने अमेकस क्यूरी की ओर से सुझाए गए कुछ मुद्दों को स्वीकार किया।
  • 4 जुलाई 2017- कोर्ट ने जस्टिस केएसपी राधाकृष्णन को श्रीकोविल और अन्य संबंधित कार्यों के लिए सिलेक्शन कमेटी का प्रमुख बनाया।
  • जनवरी-अप्रैल 2019- जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सामने फाइनल हियरिंग के लिए केस लिस्टेड हुआ।
  • 10 अप्रैल 2019- बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • 13 जुलाई 2020- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शाही परिवार मंदिर की सेवा करता रहेगा। उसके पास प्रशासकीय अधिकार रहेंगे।

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श्री पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था।