मृत्यु अटल सत्य है और एक दिन सभी मृत्यु को प्राप्त होंगे। मरने के बाद कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकता है। इसीलिए गलत काम करने से बचना चाहिए। जो लोग इस बात का ध्यान रखते हैं, वे जीवन में कभी दुखी नहीं होते हैं। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है।
कथा के अनुसार पुराने समय में एक दुखी व्यक्ति विद्वान संत के पास पहुंचा और बोला कि गुरुदेव मुझे कोई ऐसा सूत्र बताए, जो मुझे जीवनभर याद रहे और मेरी सारी समस्याएं खत्म हो सके। मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं रोज आपके प्रवचन सुनने यहां आऊं।
संत ने उसकी बात ध्यान से सुनी और कहा कि ठीक है, मेरे साथ चलो। संत के साथ ही वह व्यक्ति भी चल दिया। संत उस व्यक्ति को लेकर श्मशान पहुंचे। उस व्यक्ति ने पूछा कि गुरुजी आप मुझे ये कहां लेकर आ गए हैं?
संत ने कहा कि हम यहां कुछ देर रुकेंगे। थोड़ी ही देर में एक धनी व्यक्ति की अर्थी वहां आई और उसके कुछ देर बाद एक गरीब व्यक्ति की अर्थी लेकर कुछ लोग पहुंचे। अमीर और गरीब, दोनों लोगों के शवों को श्मशान में जला दिया गया। इसके बाद संत उस व्यक्ति को लेकर अपने आश्रम लौट आए। संत ने उससे कहा कि तुम कल फिर आना। मैं तुम्हें कल उपदेश दूंगा।
अगले दिन सुबह-सुबह ही वह व्यक्ति फिर से संत के पास पहुंच गया। संत उसे लेकर श्मशान पहुंचे। संत ने अमीर की चिता से एक मुट्ठी राख उठाई और एक मुट्ठी राख गरीब की चिता से उठाई। दोनों मुट्ठियों की राख दिखाते हुए संत ने कहा कि ये देखो, अमीर हो या गरीब, दोनों एक समान हैं, दोनों में बिल्कुल भी अंत नहीं है। इसीलिए हमें धन कमाने के लिए कभी भी गलत काम नहीं करना चाहिए, निजी स्वार्थ में दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहिए। क्योंकि मृत्यु के बाद कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ भी ले जा नहीं सकता है।
संत की बातें सुनकर व्यक्ति को सुखी जीवन का एक ऐसा सूत्र मिल गया था, जिसने उसकी सारी समस्याओं को हल कर दिया। उसने संत से कहा कि आपका ये ज्ञान मैं जीवनभर याद रखूंगा और कभी भी गलत काम नहीं करूंगा।