भारतीय बैंक अब अपने फंसे कर्ज (एनपीए) को रिपोर्ट करने में कोई खेल नहीं कर पाएंगे। बैंकों के लिए उसे छुपाना या कम दर्शाना असंभव होगा। रिजर्व बैंक ने हाल ही इस संबंध में आदेश जारी किया है। इसके मुताबिक जोखिम वाले कर्ज खातों की पहचान के लिए जून 2021 तक एक डिजिटल सिस्टम बनाना हाेगा।
दूसरे शब्दों में बैंकों में एनपीए की पहचान, गणना, वर्गीकरण, संचालन और उन पर कितना जोखिम है, अब ये सब काम पूरी तरह डिजिटल होगा। इसके लिए बैंकों को पूरी तरह से साफ्टवेयर बेस्ड सिस्टम बनाने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं, ताकि इसमें मैन्युअल कामकाज न के बराबर रह जाए।
कर्ज खातों के वर्गीकरण सबसे पहले 2011 में तय किया था
आरबीआई ने डिजिटल माध्यम से कर्ज खातों के वर्गीकरण सबसे पहले 2011 में तय किया था। लेकिन यह पाया गया कि कई बैंकों में एनपीए की पहचान, आमदनी स्वीकृति, प्रॉविजनिंग और संबंधित प्रक्रियाएं अभी तक पूरी तरह से डिजिटल नहीं हैं। नोटिफिकेशन के अनुसार, एनपीए की पहचान के लिए बैंक अभी भी मैन्युअल कामकाज पर ही निर्भर हैं।
यहां तक कि फंसे कर्ज खातों की सिस्टम आधारित पहचान में भी बैंक मानवीय दखल देते हैं। इसलिए मैन्युअल कामकाज को सीमित करने के लिए आरबीआई ने कड़े प्रावधान किए हैं। अब बैंकों की मनमानी पर अंकुश लगेगा और किसी भी तरह की मैन्युअल दखलंदाजी समय रहते पकड़ी जाएगी ताकि पीएमसी बैंक जैसे मामलों की रोकथाम की जा सके।
समय-समय पर आरबीआई निरीक्षण और मूल्यांकन भी करेगा
गाइडलाइंस कहती है कि बैंक द्वारा संकटग्रस्त कर्जों का वर्गीकरण और अन्य मानकों के पालन का समय-समय पर आरबीआई निरीक्षण और मूल्यांकन भी करेगा। इसमें किसी तरह की लापरवाही या कोताही पाए जाने पर संबंधित बैंक के खिलाफ प्रवर्तन संबंधी कार्रवाई की जाएगी। जाहिर कि बैंक अपने एनपीए हो चुके कर्ज खातों को छुपाने के लिए तरह-तरह के तिकड़म अपनाते हैं। आरबीआई का ताजा नोटिफिकेशन इसे खत्म करने की दिशा में ही है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट, अभय शर्मा के मुताबिक, बैंकों के ऑटोमेटिक तकनीकी सिस्टम से खाते में आई गिरावट और तेजी दोनों का ही मूल्यांकन किया जाएगा। ऐसा करने से किसी खाते की मजबूती या फिर उसकी कमजोरी के बारे में पता लगाया जा सकेगा और एनपीए की जल्द पहचान की जा सकेगी।