ACME सोलर होल्डिंग्स लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक ऑफर टोटल 2.89 गुना सब्सक्राइब हुआ। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) ने सबसे ज्यादा 3.72 गुना और रिटेल इन्वेस्टर कैटेगरी में 3.25 गुना सब्सक्राइब हुआ। जबकि, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) कैटगरी में 1.02 गुना भरा। अब 13 नवंबर को कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे। लिस्टिंग से पहले दैनिक भास्कर ने कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन मनोज उपाध्याय और CEO निखिल ढींगरा से बात की। दोनों ने बताया कि एनर्जी कंजर्वेशन (संरक्षण) के बाद कंपनी ने एनर्जी जनरेशन का बिजनेस शुरू किया है। हमारे बिजनेस में प्रॉफिटेबिलिटी अच्छी रही है। EPC (इंजीयरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) के बिजनेस में हमारा प्रॉफिट 15% और पावर सेल में 12%-15% मुनाफा रहा है। इसके साथ ही दोनों ने कंपनी के बिजनेस से जुड़ी कई बातें भी शेयर कीं। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… जवाब : ACME सोलर होल्डिंग्स का अब तक का सफर कैसा रहा है, आपने इसकी शुरुआत कैसे की? क्या चैलेंजेज फेस किए? सवाल : इस सवाल का जवाब देते हुए फाउंडर मनोज उपाध्याय ने कहा कि मैं टेक्नोलॉजी का आदमी हूं। 2003 में मैंने यह कंपनी शुरू की, मैंने एक पावर इंटरफेस यूनिट और फेस चेंज मैकेनिज्म का इन्वेंशन किया था। हमारी एनर्जी कंजर्वेशन से शुरुआत हुई। हमारे ये दोनों प्रोडक्ट इतने सक्सेसफुल हुए कि देश की कई टेलीकॉम कंपनियों ने इसका इस्तेमाल किया। जब कॉल करने के लिए 15 रुपए प्रति मिनट लगते थे उस समय इस टेक्नोलॉजी ने पावर कॉस्ट कम करने में बहुत हेल्प की, जिससे टेलीफोन की कॉस्ट कम हो सकी। 2009 में हमने डिसाइड किया कि एनर्जी कंजर्वेशन (संरक्षण) से एनर्जी जनरेशन की तरफ जाएं। उस समय सोलर का कॉस्ट 15 रुपए प्रति किलोवॉट था, लेकिन तब हमने माना कि यह ऐसी टेक्नोलॉजी है कि यह हर साल इंप्रूव होती रहेगी। तभी हमने डिसाइड किया कि हम इस सेक्टर में काम करेंगे। हमने अपनी पूरी टीम बनाई और एनर्जी जनरेशन की जर्नी को शुरू करते हुए गुजरात में अपना पहला 15 वॉट का प्रोजेक्ट लगाया। 2017 में हमने 1 गीगावाट पूरा किया और फिर 2018 में 1 गीगावाट का प्रोजेक्ट और लगा दिया। हम देश की उन कुछ सोलर कंपनियों में से एक हैं, जिनके पास 15 साल का एक्सपीरियंस है। सवाल : कंपनी का कौर मिशन और विजन क्या है? जवाब : हमारा कोर मिशन है कि हम इलेक्ट्रॉन को बहुत ही ऑप्टिमाइज कॉस्ट में प्रोड्यूस कर सकें, जिससे लोग ग्रीन इलेक्ट्रान को एडॉप्ट कर पाएं। वहीं, हमारा विजन है कि हम एक अच्छी ग्रीन एनर्जी यूटिलिटी बन सकें। सवाल : कंपनी कौन-कौन से प्रोडक्ट बनाती है और कितनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज हैं? जवाब : जिस तरह NTPC थर्मल पावर बनाती है उस तरह हम सोलर पावर बनाते हैं। इसके अलावा हम EPC (इंजीयरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) सर्विस भी प्रोवाइड करते हैं। EPC में हम बड़े-बड़े सोलर प्लांट लगाते हैं, जिसमें हम लैंड खरीदने के साथ कनेक्टविटी से लेकर कंस्ट्रक्शन तक का भी काम करते हैं। कंपनी के CEO ने कहा कि सरकारी कंपनियों के लिए प्लांट लगाकर उसे ओन करते हैं और पावर उन्हें देते हैं। उन्होंने कहा कि अभी जो सरकार का 50 गीगावाट हर साल का जो प्रोगाम चल रहा है, उसमें हम लोग ने पिछले साल काफी अच्छे बिड्स जीते हैं। इसमें हमें हाइब्रिड पावर भी देना है। हाइब्रिड पावर में केवल सोलर की बजाय बिंड और बैटरी भी प्लांट लगाए जाते हैं। ताकि, ज्यादा एनर्जी प्रोड्यूस करे। निखिल ढींगरा ने बताया कि सोलर में 30% चलता है। मतलब कि दिन के 24 घंटे में से सोलर 7-8 घंटे चलता है। अगर ज्यादा टाइम के लिए पावर देना होता है तो सोलर के साथ में बिंड और बैटरी भी लगा कर देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इससे धीरे-धीरे थर्मल पावर का रिप्लेसमेंट बढ़ेगा और आगे थर्मल पावर पर निर्भर नहीं रहेगा। सवाल : आपका प्रायमरी कस्टमर कौन है और उसको बढ़ाने के लिए क्या आपने कोई प्लान तय किया है? जवाब : हमारा प्रायमरी कस्टमर सरकार की सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड (NTPC), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHPC) और सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN) है। हमारा बिजनेस सरकार की ओर से बिजली खरीदने से होता है, जिसे हम बिडिंग के जरिए प्राप्त करते हैं। बिडिंग के जरिए सरकार के प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए हम पहले से प्रिपरेशन करते हैं। बिडिंग के लिए नेशनल ग्रिड पर कनेक्टविटी लेना होगा है। हमारे पास करीब 3300 मेगावाट की कनेक्टविटी है, जो हम आगे की बिडिंग के लिए यूज कर सकते हैं। हमारा प्लान ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट की बिडिंग हासिल करने का है। सवाल : कंपनी के कोई प्रोडक्ट इनोवेशन बता सकते हैं क्या जो आपको औरों से अलग बनाता है और आपके कॉम्पीटीटर कौन हैं? जवाब : यह ऐसा सेक्टर है, जहां टेक्नोलॉजी बहुत जल्दी चेंज होती है। मॉड्यूल्स, बैटरी और इन्वर्टर्स की टेक्नोलॉजी चेंज होती है। इसके साथ ही प्लांट लगाने के भी नए-नए तरीके आते हैं। हमने कंस्ट्रक्शन के दौरान काफी नई टेक्नोलॉजी एडॉप्ट की है। रोबोटिक क्लीनिंग सहित कई नई चीजें एडॉप्ट की है, जिससे कंस्ट्रक्शन का कॉस्ट कम होता है और ऑपरेशंस का कॉस्ट भी कम होता है। इसके साथ ही फाउंडर और चेयरमैन मनोज उपाध्याय ने कहा कि हमारा नया प्रोक्डट यह होगा कि हम सोलर, बिंड और बैटरी को लगाकर हम किस तरह ऐसे पावर प्रोवाइड करें, जिसे डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल करे। उन्होंने एक एग्जांपल देते हुए कहा कि घर में सुबह, दोपहर, शाम और रात में अलग-अलग तरीके से पावर का इस्तेमाल होता है। इसी तरह का फ्यूचर में हमारा प्रोडक्ट होगा, जिसमें जैसा घर का कंजम्पशन होगा उस हिसाब से अलग-अलग टेक्नोलॉजी के जरिए पावर जनरेट करें। हमारे कॉम्पीटीटर कंपनियों में अडाणी ग्रीन एनर्जी, रिन्यू पावर और NTPC की सब्सिडियरी कंपनी NTPC ग्रीन एनर्जी हैं, जो इसी सेक्टर में काम करती हैं। सवाल : बीते कुछ सालों में कंपनी का फाइनेंशियल परफार्मेंस कैसा रहा, क्या इसकी समरी बता सकते हैं?
जवाब : हमारी कंपनी का फाइनेंशियल परफार्मेंस अच्छा रहा है। पिछले 3 सालों में करीब 550 मेगावाट का प्लांट लगाया है। वहीं, इस साल की बात करें तो हमने 1200 मेगावाट का एक बड़ा प्लांट लगाया है। पिछले साढ़े 3 साल में हमने अपनी 1800 मेगावाट कैपेसिटी को बढ़ाकर 3600 मेगावाट कर रहे हैं। इसमें हमारी प्रॉफिटेबिलिटी भी अच्छी रही है। EPC के बिजनेस में हमारा प्रॉफिट 15% और पावर सेल में 12%-15% का है। सवाल : आपने कब सोचा कि IPO लाना चाहिए और फ्रेश इश्यू के जरिए जुटने वाले ₹2,395 करोड़ का कैसे इस्तेमाल करेंगे?
जवाब : हमने 9 महीने पहले IPO लाने के बारे में सोचा। जब हमने देखा की सरकार का प्रोग्राम काफी बढ़ा हुआ है और ग्रोथ के लिए डिमांड के साइड से कोई इश्यू नहीं लग रहा है तो हमें बिजनेस बढ़ाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत महसूस हुई। इस सेक्टर को लेकर लोगों के बीच अंडरस्टैंडिंग काफी बढ़ चुकी है और आउटलुक भी काफी पॉजिटिव है, जिसके चलते हमारा ग्रोथ पाथ काफी क्लियर है। वहीं, मनोज उपाध्याय ने बताया कि फ्रेश इश्यू से जुटने वाले फंड में से 1800 करोड़ रुपए का अपनी कुछ सब्सिडियरी कंपनियों का डेट पेमेंट करेंगे। बाकी से हम जनरल कॉर्पोरेट पर्पस के लिए इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि लिस्ट होने वाली कंपनी में कोई भी डेट नहीं है। हमें एक-एक प्रोजेक्ट के लिए एक-एक कंपनी बनानी पड़ती है क्योंकि सरकार का नियम है कि PPA (पावर परचेज एग्रीमेंट) वाली कंपनी कोई और काम नहीं करेगी। जो हम PPA कंपनी बनाते है उस प्रोजेक्ट के कैश फ्लो के अगेस्ड डेट (लोन) लेते हैं क्योंकि जो प्रोजेक्ट लगाते हैं वह 25 साल के पावर के दाम पर मिलते हैं। लोन पेमेंट के बाद पूरा कैश फ्लो हमारी ग्रोथ के लिए अवेलेबल हो जाएगा, जिसका इस्तेमाल हम अपने वर्तमान प्रोजेक्ट के लिए करेंगे। सवाल : ₹505 करोड़ का OFS आपकी कंपनी को कैसे प्रभावित करता है, यह देखते हुए कि कंपनी को इससे कोई इनकम नहीं होगी? जवाब : ₹505 करोड़ का OFS है वह हमारी स्पॉन्सर कंपनी है एक्मे टेक सॉल्यूशंस को चला जाएगा। यह हमें किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इसके बाद भी प्रमोटर की होल्डिंग 84% के करीब होगी। अभी हमारा पूरा का पूरा स्टेक स्पॉन्सर कंपनी के पास ही है, इसलिए स्पॉन्सर के पास 84% का स्टेक रहेगा। OFS से स्पॉन्सर कंपनी के पास लिक्किडिटी बढ़ेगी, जिससे चलते अगर उनको कोई और बिजनेस करना होगा तो कर सकते हैं। जैसे हम लोग ग्रीन हाइड्रोजन के बिजनेस के बारे में सोच रहे हैं और उसपर थोड़ा बहुत काम भी कर चुके हैं। उसके लिए स्पॉन्सर मदद करेगा और भविष्य में इस कंपनी के लिए भी जरुरत होगी तो मदद करेगा। सवाल : एनवायरनमेंट पर अपने पॉजिटिव इंपैक्ट को बेहतर बनाने के लिए आपकी कंपनी किन अन्य प्रोजेक्ट पर काम कर रही है? जवाब : हमारे प्रमोटर ने अभी ग्रीन हाइड्रोजन का नया बिजनेस शुरू किया है, जिनकी मदद से हमने बीकानेस में ग्रीन हाइड्रोजन का पायलट प्रोजेक्ट लगाया था। यह बहुत ही कामयाब हुआ, जिसके बाद हमने इसका बड़ा प्लांट लगाने के लिए काम शुरू कर दिया है। फ्यूचर में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर भी काफी ग्रोथ करेगा। उन्होंने कहा कि अभी जो हाइड्रोजन बनता है वह पूरा का पूरा फॉसिल फ्यूल से बनता है, जो एनवायरनमेंट के लिए बहुत खराब है। ग्रीन हाइड्रोजन का फायदा यह है कि ये पूरा का पूरा रिन्यूएबल सोर्स से बनता है और इसका कॉस्ट भी फिक्स है। यूरोप में अभी इसका काफी ज्यादा स्कोप है और हमारे देश में भी बहुत अच्छा हाइड्रोजन मिशन निकाला है, जिसमें अगले 2-3 साल में काफी ग्रोथ होगी। सवाल : आने-वाले 2-3 सालों में आपके शेयर होल्डर्स को कैसा रिटर्न मिल सकता है? जवाब : इस सवाल के जवाब में चेयरमैन ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि हमारे शेयरहोल्डर्स को बहुत अच्छा रिटर्न मिले। हम पूरा कोशिश करेंगे कि हमारा बिजनेस बहुत अच्छे से चले, जिससे हमारे साथ हमारे शेयरहोल्डर्स को भी फायदा होगा। कंपनी या IPO से जुड़ी ऐसी कोई खास बात जिसे आप इन्वेस्टर्स के साथ शेयर करना चाहते हैं?
हमारे बिजनेस मॉडल को इन्वेस्टर्स को समझना बहुत जरूरी है। हमारा बिजनेस काफी स्टेबल बिजनेस है। स्टेबल के साथ ही एक प्रॉफिटेबल बिजनेस समझ कर इन्वेस्टर्स लंबे समय तक लिए निवेश कर सकते हैं। मैक्सिमम 494 शेयर के लिए बिडिंग कर सकते थे रिटेल निवेशक ACME सोलर होल्डिंग्स ने IPO का प्राइस बैंड ₹275-₹289 तय किया था। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 51 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते थे। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹289 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो इसके लिए ₹14,739 इन्वेस्ट करने होते। वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 663 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते थे। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹191,607 इन्वेस्ट करने होते। ₹2,900 करोड़ का था ये इश्यू ACME सोलर होल्डिंग्स का ये इश्यू टोटल ₹2,900 करोड़ का था। इसके लिए कंपनी ₹2,395 करोड़ के 82,871,973 फ्रेश शेयर इश्यू कर रही है। जबकि, कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए ₹505 करोड़ के 17,474,049 शेयर बेच रहे हैं।
जवाब : हमारी कंपनी का फाइनेंशियल परफार्मेंस अच्छा रहा है। पिछले 3 सालों में करीब 550 मेगावाट का प्लांट लगाया है। वहीं, इस साल की बात करें तो हमने 1200 मेगावाट का एक बड़ा प्लांट लगाया है। पिछले साढ़े 3 साल में हमने अपनी 1800 मेगावाट कैपेसिटी को बढ़ाकर 3600 मेगावाट कर रहे हैं। इसमें हमारी प्रॉफिटेबिलिटी भी अच्छी रही है। EPC के बिजनेस में हमारा प्रॉफिट 15% और पावर सेल में 12%-15% का है। सवाल : आपने कब सोचा कि IPO लाना चाहिए और फ्रेश इश्यू के जरिए जुटने वाले ₹2,395 करोड़ का कैसे इस्तेमाल करेंगे?
जवाब : हमने 9 महीने पहले IPO लाने के बारे में सोचा। जब हमने देखा की सरकार का प्रोग्राम काफी बढ़ा हुआ है और ग्रोथ के लिए डिमांड के साइड से कोई इश्यू नहीं लग रहा है तो हमें बिजनेस बढ़ाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत महसूस हुई। इस सेक्टर को लेकर लोगों के बीच अंडरस्टैंडिंग काफी बढ़ चुकी है और आउटलुक भी काफी पॉजिटिव है, जिसके चलते हमारा ग्रोथ पाथ काफी क्लियर है। वहीं, मनोज उपाध्याय ने बताया कि फ्रेश इश्यू से जुटने वाले फंड में से 1800 करोड़ रुपए का अपनी कुछ सब्सिडियरी कंपनियों का डेट पेमेंट करेंगे। बाकी से हम जनरल कॉर्पोरेट पर्पस के लिए इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि लिस्ट होने वाली कंपनी में कोई भी डेट नहीं है। हमें एक-एक प्रोजेक्ट के लिए एक-एक कंपनी बनानी पड़ती है क्योंकि सरकार का नियम है कि PPA (पावर परचेज एग्रीमेंट) वाली कंपनी कोई और काम नहीं करेगी। जो हम PPA कंपनी बनाते है उस प्रोजेक्ट के कैश फ्लो के अगेस्ड डेट (लोन) लेते हैं क्योंकि जो प्रोजेक्ट लगाते हैं वह 25 साल के पावर के दाम पर मिलते हैं। लोन पेमेंट के बाद पूरा कैश फ्लो हमारी ग्रोथ के लिए अवेलेबल हो जाएगा, जिसका इस्तेमाल हम अपने वर्तमान प्रोजेक्ट के लिए करेंगे। सवाल : ₹505 करोड़ का OFS आपकी कंपनी को कैसे प्रभावित करता है, यह देखते हुए कि कंपनी को इससे कोई इनकम नहीं होगी? जवाब : ₹505 करोड़ का OFS है वह हमारी स्पॉन्सर कंपनी है एक्मे टेक सॉल्यूशंस को चला जाएगा। यह हमें किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इसके बाद भी प्रमोटर की होल्डिंग 84% के करीब होगी। अभी हमारा पूरा का पूरा स्टेक स्पॉन्सर कंपनी के पास ही है, इसलिए स्पॉन्सर के पास 84% का स्टेक रहेगा। OFS से स्पॉन्सर कंपनी के पास लिक्किडिटी बढ़ेगी, जिससे चलते अगर उनको कोई और बिजनेस करना होगा तो कर सकते हैं। जैसे हम लोग ग्रीन हाइड्रोजन के बिजनेस के बारे में सोच रहे हैं और उसपर थोड़ा बहुत काम भी कर चुके हैं। उसके लिए स्पॉन्सर मदद करेगा और भविष्य में इस कंपनी के लिए भी जरुरत होगी तो मदद करेगा। सवाल : एनवायरनमेंट पर अपने पॉजिटिव इंपैक्ट को बेहतर बनाने के लिए आपकी कंपनी किन अन्य प्रोजेक्ट पर काम कर रही है? जवाब : हमारे प्रमोटर ने अभी ग्रीन हाइड्रोजन का नया बिजनेस शुरू किया है, जिनकी मदद से हमने बीकानेस में ग्रीन हाइड्रोजन का पायलट प्रोजेक्ट लगाया था। यह बहुत ही कामयाब हुआ, जिसके बाद हमने इसका बड़ा प्लांट लगाने के लिए काम शुरू कर दिया है। फ्यूचर में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर भी काफी ग्रोथ करेगा। उन्होंने कहा कि अभी जो हाइड्रोजन बनता है वह पूरा का पूरा फॉसिल फ्यूल से बनता है, जो एनवायरनमेंट के लिए बहुत खराब है। ग्रीन हाइड्रोजन का फायदा यह है कि ये पूरा का पूरा रिन्यूएबल सोर्स से बनता है और इसका कॉस्ट भी फिक्स है। यूरोप में अभी इसका काफी ज्यादा स्कोप है और हमारे देश में भी बहुत अच्छा हाइड्रोजन मिशन निकाला है, जिसमें अगले 2-3 साल में काफी ग्रोथ होगी। सवाल : आने-वाले 2-3 सालों में आपके शेयर होल्डर्स को कैसा रिटर्न मिल सकता है? जवाब : इस सवाल के जवाब में चेयरमैन ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि हमारे शेयरहोल्डर्स को बहुत अच्छा रिटर्न मिले। हम पूरा कोशिश करेंगे कि हमारा बिजनेस बहुत अच्छे से चले, जिससे हमारे साथ हमारे शेयरहोल्डर्स को भी फायदा होगा। कंपनी या IPO से जुड़ी ऐसी कोई खास बात जिसे आप इन्वेस्टर्स के साथ शेयर करना चाहते हैं?
हमारे बिजनेस मॉडल को इन्वेस्टर्स को समझना बहुत जरूरी है। हमारा बिजनेस काफी स्टेबल बिजनेस है। स्टेबल के साथ ही एक प्रॉफिटेबल बिजनेस समझ कर इन्वेस्टर्स लंबे समय तक लिए निवेश कर सकते हैं। मैक्सिमम 494 शेयर के लिए बिडिंग कर सकते थे रिटेल निवेशक ACME सोलर होल्डिंग्स ने IPO का प्राइस बैंड ₹275-₹289 तय किया था। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 51 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते थे। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹289 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो इसके लिए ₹14,739 इन्वेस्ट करने होते। वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 663 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते थे। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹191,607 इन्वेस्ट करने होते। ₹2,900 करोड़ का था ये इश्यू ACME सोलर होल्डिंग्स का ये इश्यू टोटल ₹2,900 करोड़ का था। इसके लिए कंपनी ₹2,395 करोड़ के 82,871,973 फ्रेश शेयर इश्यू कर रही है। जबकि, कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए ₹505 करोड़ के 17,474,049 शेयर बेच रहे हैं।