महंगे मोबाइल फोन की निर्माता एपल के शीर्ष तीन कांट्रैक्ट सप्लायर देश में 6,500 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। यह निवेश अगले पांच सालों में होगा। यह निवेश नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत होगा।
फाक्सकान, विस्ट्रान और पेग्ट्रान करेंगी निवेश
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एपल के टॉप कांट्रैक्ट सप्लायर में फाक्सकान, विस्ट्रान और पेग्ट्रान हैं। यह सभी कंपनियां मिलकर पीएलआई की स्कीम के तहत निवेश करेंगी। देश में 6.65 अरब डॉलर की पीएलआई स्कीम कंपनियों के लिए शुरू की गई है। यह कैश इंसेंटिव स्कीम है जो किसी भी लोकल बने स्मार्टफोन की बिक्री की बढोत्तरी में मिलेगा। इस स्कीम का उद्देश्य भारत को एक्सपोर्ट मैन्युफैक्चरिंग के हब के रूप में बदलना है।
फाक्सकान 4 हजार करोड़ का करेगी निवेश
फाक्सकान ने करीबन 4 हजार करोड़ रुपए के निवेश के लिए आवेदन किया है। जबकि विस्ट्रान ने 1,300 और पेग्ट्रान ने 1200 करोड़ रुपए के निवेश का फैसला किया है। यह सभी निवेश पीएलआई स्कीम के तहत ही होगा। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह सभी निवेश देश में एपल के डिवाइस के मैन्युफैक्चरिंग के लिए किया जाएगा या किसी और के लिए किया जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इसमें से बड़ा हिस्सा आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल के ही लिए उपयोग में लाया जाएगा।
किसी ने कमेंट नहीं किया
फाक्सकान ने कहा कि चूंकि यह मामला नीतिगत है, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती है। हालांकि इस मामले में एपल के साथ किसी और कंपनी ने भी कोई टिप्पणी नहीं दी है। यह तीनों कंपनियां वैश्विक स्तर पर एपल के अलावा अन्य कंपनियों के लिए भी डिवाइस बनाती हैं। भारत में फिलहाल यह तीनों केवल एपल के लिए काम करती हैं।
विस्ट्रान हर महीने 2 लाख आई फोन भारत में बनाती है
विस्ट्रान हर महीने देश में 2 लाख आई फोन बनाती है। वह इसे बढ़ाकर इस साल के अंत तक हर महीने 4 लाख पर ले जाना चाहती है। यह इसलिए क्योंकि एक्सपोर्ट की मांग को इससे पूरा किया जा सकेगा। इस प्लान से करीबन 10 हजार रोजगार का भी निर्माण होगा। पेग्ट्रान हालांकि अभी भारत में ऑपरेशन शुरू नहीं की है पर यह तमाम राज्यों के साथ बातचीत कर रही है। इसमें तमिलनाडू सबसे पहले है जहां पर कंपनी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा सकती है।
शाओमी के लिए भी बनाती है फाक्सकान
फाक्सकान देश में शाओमी के लिए भी डिवाइस बनाती है। इसके पास शाओमी की मांग के लिए काफी ज्यादा क्षमता है और यह अब इसे पीएलआई स्कीम के लिए उपयोग में ला सकती है। इससे आईफोन के प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा। इन कंपनियों के कमिटमेंट से एपल के सप्लाई चेन को चीन से आगे भी ले जाने में मदद मिलेगी। क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच इस समय कारोबारी युद्ध चल रहा है।
एपल ने 2017 में असेंबलिंग की शुरुआत की थी
एपल ने भारत में 2017 में कम कीमत वाले आईफोन के असेंबलिंग की शुरुआत की थी। इसके लिए इसने विस्ट्रान की स्थानीय इकाई के साथ शुरुआत की थी जो बंगलुरू में थी। बाद में इसने पिछले साल फाक्सकान के साथ असेंबलिंग शुरू की। भारत एपल के लिए चीन के बाद सबसे ज्यादा पसंदीदा देश है। लोकल मैन्युफैक्चरिंग से एपल की लागत कम होती है जिसमें आयात किए जाने वाले प्रोडक्ट पर ड्यूटी भी बचती है। एपल ने पिछले हफ्ते ही भारत में ऑन लाइन स्टोर को लांच किया है।