भारतीय वायुसेना ने फिर एक बार चीन से सटी सीमा पर ताकत दिखाई है। यहां सुखोई-30, एमकेआई और मिग-29 फाइटर प्लेन उड़ान भर रहे हैं। इस मौके पर एक स्क्वाड्रन लीडर ने कहा- इस बेस पर तैनात वायुसेना का हर हवाई योद्धा पूरी तरह से प्रशिक्षित और सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। हमारा जोश हमेशा हाई रहा है औरगौरव से आसमान छूता रहा है।
फॉरवर्ड एयरबेस से लड़ाकू विमानों के अलावा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी लगातार उड़ान भर रहे हैं। इसमें रूस के ईल्यूशिन-76 और एंटोनोव-32 के साथ अमेरिकन सी-17, सी-130 जे शामिल हैं। ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से जवानों को अलग-अलग जगह पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा हथियार एलएसी के पास पहुंचाया जा रहे हैं।
#WATCH Indian Air Force (IAF) Apache attack helicopter at a forward airbase near India-China border carrying out air operations. pic.twitter.com/2oAmoLBnfz
— ANI (@ANI) July 4, 2020
#WATCH Indian Air Force (IAF) Su-30MKI fighter aircraft carrying out air operations at a forward airbase near India-China border. pic.twitter.com/Dmzp85hvCy
— ANI (@ANI) July 4, 2020



प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले ही किया है लद्दाख का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गलवान झड़प के 18 दिन बादशुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे। यहां उन्होंने जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। इस दौरानउन्होंने अफसरों से सीमा की स्थिति का जायजा लिया।वे मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती जख्मी सैनिकों से भी मिले।मोदी ने लद्दाख स्थित नीमू बेस पर थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से मुलाकात की।उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी थे।मुलाकात के बाद जवानों ने ‘भारत माता की जय’और ‘वंदे मातरम’के नारे लगाए।
भारत के जवानों का साहस दुनिया में किसी से कम नहीं
मोदी ने कहा, ‘‘आज जिस कठिन परिस्थिति में आप देश की हिफाजत करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसे आप रोज कदमों से नापते हैं। आपकी इच्छाशक्ति आसपास के पर्वतों जैसी अटल है।’’
15 जून को हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे
15 जून को लद्दाख कीगलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अभी तक अपने मारे गए सैनिकों की संख्या नहीं बताई है।
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