भारत को 2 ICC ट्रॉफी जिता चुके रोहित शर्मा ने बुधवार को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्होंने शाम 7.30 बजे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर रिटायरमेंट की जानकारी दी। रोहित वनडे और टी-20 में तो बतौर प्लेयर और कप्तान बेहतरीन रहे, लेकिन रेड बॉल में उस कामयाबी को दोहरा नहीं सके। 11 साल के टेस्ट करियर में रोहित ने 67 टेस्ट खेले और 12 शतक लगाकर 4301 रन बनाए। उनकी कप्तानी में टीम ने 50% टेस्ट जीते, लेकिन होमग्राउंड पर न्यूजीलैंड के खिलाफ इतिहास में पहली हार झेलनी पड़ गई। ऑस्ट्रेलिया से भी 10 साल सीरीज हार मिली, जिस कारण टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में नहीं पहुंच सकी। रोहित का उतार-चढ़ाव भरा टेस्ट करियर… इंजरी के कारण 2010 में डेब्यू नहीं कर सके 2007 में भारत के लिए वनडे और टी-20 डेब्यू करने वाले रोहित शर्मा को टेस्ट डेब्यू के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। 2010 में आखिरकार उन्हें साउथ अफ्रीका के खिलाफ नागपुर टेस्ट में मौका मिला, लेकिन मैच से ठीक पहले उन्हें एंकल इंजरी हो गई। जिस कारण उनका इंतजार और भी ज्यादा बढ़ गया। 3 साल बाद मौका, प्लेयर ऑफ द सीरीज बने इंटरनेशनल डेब्यू के 6 साल बाद 2013 में आखिरकार रोहित को फिर टेस्ट स्क्वॉड में जगह मिली। इस बार मौका क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के करियर की आखिरी सीरीज में मिला। वेस्टइंडीज के खिलाफ 6 नवंबर 2013 को रोहित ने डेब्यू किया। कोलकाता के ईडन गार्डन्स में उन्हें नंबर-6 पर बैटिंग करने का मौका मिला। रोहित ने अपने पहले ही टेस्ट में भारत को मुश्किल स्थिति से निकाला और शतक लगा दिया। उन्होंने रविचंद्रन अश्विन के साथ 7वें विकेट के लिए 280 रन की पार्टनरशिप भी की। रोहित और अश्विन के शतक से भारत ने 453 रन बनाए और मुकाबला पारी के अंतर से जीत लिया। रोहित प्लेयर ऑफ द मैच रहे। रोहित ने फिर सीरीज के दूसरे टेस्ट में भी नंबर-6 पर बैटिंग करते हुए शतक लगा दिया। इस बार वे 111 रन बनाकर नॉटआउट रहे और टीम को 495 तक पहुंचा दिया। भारत फिर एक बार पारी के अंतर से जीता और सचिन को 2-0 की सीरीज जीत के साथ फेयरवेल दिया। रोहित को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। 5 साल मिडिल ऑर्डर में फंसे रहे टेस्ट डेब्यू के 5 साल तक रोहित को मिडिल ऑर्डर में ही खेलने का मौका मिला। उन्होंने 25 मैच 5वें और छठे नंबर पर बैटिंग की। वहीं 5 मुकाबले उन्होंने 3 और 4 नंबर पर खेले। इनमें उन्होंने करीब 40 की औसत से 3 शतक लगाए और 1585 रन बनाए। वे कई बार प्लेइंग-11 से अंदर-बाहर भी होते रहे और टीम में परमानेंट नहीं हो सके। रोहित के डेब्यू के बाद 2018 तक भारत ने 60 टेस्ट खेले, लेकिन उन्हें 27 में ही मौका मिला। मुरली विजय की वजह से नया चांस मिला 2018 तक मिडिल ऑर्डर में बैटिंग करते रहे रोहित वनडे और टी-20 फॉर्मेट में ओपनिंग पोजिशन पर खुद को साबित कर चुके थे। 50 ओवर में तो उनके नाम 3 दोहरे शतक भी हो गए, लेकिन टेस्ट में कामयाबी नजर नहीं आई। 2019 में रेगुलर ओपनर मुरली विजय खराब फॉर्म के कारण टीम से बाहर हो गए। अक्टूबर 2019 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में रोहित ने पहली बार टेस्ट में ओपनिंग की। पारी की शुरुआत करना रोहित को पहले से पसंद था, उन्होंने पहले ही टेस्ट की दोनों पारियों में शतक लगाया और टीम को जीत दिला दी। रोहित ने फिर तीसरे टेस्ट में अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक भी लगा दिया। 3 टेस्ट में 529 रन बनाने के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड मिला। 2021 में प्लेइंग-11 का परमानेंट हिस्सा बने साउथ अफ्रीका सीरीज में दमदार प्रदर्शन के बाद रोहित को ज्यादा मौके मिलने लगे, लेकिन वे अगले 12 टेस्ट में एक ही शतक लगा सके। उनकी सभी सेंचुरी भारत में ही आई थी, फिर 2021 में टीम इंग्लैंड दौरे पर गई। यहां रोहित ने सीरीज के चौथे टेस्ट में खुद को विदेश में भी साबित कर दिखाया। रोहित ने केएल राहुल के साथ बेहद सूझबूझ भरी पारी खेली और 256 गेंद पर 127 रन बनाए। उनकी पारी ने भारत को दूसरी पारी में 466 रन तक पहुंचा दिया, जिसकी मदद से टीम ने मुकाबला जीता और सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली। इंग्लैंड में खुद को साबित करने के बाद रोहित टेस्ट टीम के परमानेंट मेंबर बन गए। 2022 में कप्तानी की जिम्मेदारी मिल गई रोहित को टीम का परमानेंट मेंबर बने ठीक से एक साल भी नहीं हुआ था कि भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने कप्तानी छोड़ दी। रोहित वनडे और टी-20 में परमानेंट कप्तान बन चुके थे, कोहली के फैसले के बाद उन्हें टेस्ट टीम की कमान भी सौंप दी गई। उनकी कप्तानी में टीम ने श्रीलंका को पहली ही सीरीज 2-0 से हरा भी दी। इंग्लैंड के खिलाफ सबसे बड़ी कामयाबी मिली कप्तानी करते हुए रोहित ने 24 टेस्ट में 4 शतक लगाए, लेकिन इनमें से 3 भारत में आए। विदेश में इकलौता शतक भी वेस्टइंडीज में लगा सके। उनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2023 में घरेलू मैदान पर 2-1 से हराया और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह पक्की कर ली। हालांकि, टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही खिताबी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। भारत ने फिर वेस्टइंडीज में 1-0 से सीरीज जीती और साउथ अफ्रीका में सीरीज 1-1 से ड्रॉ खेली। दोनों सीरीज 2-2 टेस्ट की रही। रोहित की कप्तानी में सबसे बड़ी कामयाबी इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में मिली। जब भारत ने 5 टेस्ट की सीरीज का पहला मैच गंवा दिया, लेकिन वापसी करते हुए 4-1 से सीरीज अपने नाम कर ली। घर में क्लीन स्वीप, खराब फॉर्म की शुरुआत वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 के फाइनल में पहुंचने की रेस में टीम इंडिया आगे थी। भारत को 2024 में अपने ही घरेलू मैदान पर बांग्लादेश और न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 में से 4 टेस्ट जीतने थे। टीम ने बांग्लादेश को आसानी से 2 टेस्ट हरा दिए, लेकिन रोहित 4 पारियों में 42 रन ही बना सके। बांग्लादेश सीरीज में बैट से रोहित का खराब फॉर्म शुरू हुआ, लेकिन टीम के रूप में सबसे बड़ी और शर्मनाक हार तो न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली। कीवी टीम ने भारत को 1 नहीं, 2 नहीं, बल्कि तीनों टेस्ट हरा दिए और सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर लिया। रोहित इनमें 15.16 की औसत से 91 रन ही बना सके। ऑस्ट्रेलिया ने भी 10 साल बाद हरा दिया न्यूजीलैंड से हार के बाद भी भारत के पास WTC फाइनल में पहुंचने का चांस था। टीम को ऑस्ट्रेलिया में 5 में से 3 टेस्ट जीतने थे, जहां भारत 2015 से नहीं हारा था। रोहित निजी कारणों से पहला टेस्ट नहीं खेल सके, जसप्रीत बुमराह ने कप्तानी की और टीम को जिता भी दिया। रोहित दूसरे टेस्ट में लौटे, लेकिन टीम को हार मिली और सीरीज 1-1 से बराबर हो गई। बारिश के कारण तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा, लेकिन चौथे में भारत को हार मिल गई। रोहित लगातार तीसरी सीरीज में बैट से फ्लॉप साबित हो रहे थे। वे 3 टेस्ट की 5 पारियों में 31 रन ही बना सके और उनकी कप्तानी में टीम सीरीज में भी पिछड़ गई। सिडनी टेस्ट नहीं खेला, टीम WTC से बाहर सीरीज बचाने के लिए भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में पांचवां टेस्ट जीतना ही था। खराब फॉर्म को देखते हुए रोहित ने पांचवां टेस्ट नहीं खेलने का फैसला किया, लेकिन नतीजा नहीं बदला। टीम इंडिया 6 विकेट से हार गई और सीरीज 3-1 से गंवा दी। पहली बार टीम इंडिया WTC के फाइनल में जगह नहीं बना सकी और यहीं पर रोहित का टेस्ट करियर थम गया। कप्तानी से हटाने की अटकलों के बीच संन्यास 7 मई 2025 को IPL के दौरान मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि टीम इंडिया की सिलेक्शन कमेटी रोहित को टेस्ट कप्तानी से हटाने वाली है। शाम करीब 6.30 बजे यह खबर आई और 7.30 बजे रोहित ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर टेस्ट से रिटायरमेंट अनाउंसमेंट कर दिया। रोहित ने सपोर्ट करने के लिए फैंस को धन्यवाद दिया और कहा कि टेस्ट फॉर्मेट में देश के लिए खेलना उनके लिए गौरव का पल रहा। वे वनडे फॉर्मेट खेलते रहेंगे। दूसरे सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले भारतीय 11 साल के करियर में रोहित ने भारत के लिए 67 टेस्ट खेले और 12 शतक लगाकर 4301 रन बनाए। रोहित ने 88 छक्के लगाए। अगर वे 3 और सिक्स लगाते तो टेस्ट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले भारतीय खिलाड़ी बन जाते। वीरेंद्र सहवाग ने उनसे ज्यादा 90 टेस्ट सिक्स लगाए हैं। वर्ल्ड कप जीतने के बाद टी-20 से संन्यास रोहित शर्मा टी-20 फॉर्मेट को 2024 में ही अलविदा कह चुके हैं। 29 जून को उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका को वर्ल्ड कप फाइनल हराया। इस टाइटल ने भारत के 17 साल के ICC खिताब का सूखा खत्म किया। वर्ल्ड कप जीतते ही रोहित ने विराट कोहली और रवींद्र जडेजा के साथ सबसे छोटे फॉर्मेट को अलविदा कह दिया। अगला वनडे वर्ल्ड कप खेल सकते हैं रोहित की कप्तानी में भारत ने इसी साल चैंपियंस ट्रॉफी जीती है। अब टीम के सामने इस फॉर्मेट का सबसे बड़ा टारगेट 2027 का वनडे वर्ल्ड कप है। रोहित की कप्तानी में भारत ने 2023 वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा। अब उनके सामने सबसे बड़ा टारगेट वर्ल्ड कप ही है। रोहित 56 वनडे में भारत की कप्तानी कर चुके हैं, उन्होंने 75% में टीम को जीत भी दिलाई। 50 से ज्यादा वनडे में भारत की कप्तानी करने वाले प्लेयर में यह बेस्ट जीत% है। उनकी लीडरशिप में भारत पिछले 3 ICC टूर्नामेंट में 1 ही मैच हारा है। हालांकि, यह हार वर्ल्ड कप फाइनल में मिली। —————————— स्पोर्ट्स की यह खबर भी पढ़ें… रोहित शर्मा ने टेस्ट से संन्यास लिया रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्टोरी शेयर कर रिटायरमेंट की जानकारी दी। टी-20 से पहले ही संन्यास ले चुके रोहित वनडे खेलना जारी रखेंगे। पढ़ें पूरी खबर…