कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए कई राज्यों में फिर से लॉकडाउन लगाए जाने के कारण जुलाई में देश के औद्योगिक क्षेत्र में गिरावट का स्तर और गहरा हो गया। यह बात सोमवार को जारी औद्योगिक क्षेत्र की एक मासिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कही गई। औद्योगिक क्षेत्र में मंदी ज्यादा गहराने से देश की अर्थव्यवस्था में और ज्यादा गिरावट होने की आशंका है।
निक्केई मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जुलाई में और गिरकर 46 पर आ गया। जून में यह 47.2 पर था। लगातार चौथे महीने मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 50 से नीचे रहा है। इस तरह से मार्च 2009 के बाद मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे लंबी अवधि तक की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि मुख्य ब्याज दर घटने की उम्मीद के बीच पीएमआई रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 12 महीने में बेहतर कारोबार आशा जुलाई में 5 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है।
इंडेक्स के 50 से नीचे रहने का मतलब है उत्पादन में गिरावट
पीएमआई की शब्दावली में इंडेक्स के 50 से नीचे रहने का मतलब यह है कि संबंधित क्षेत्र का उत्पादन गिरा है। इंडेक्स के 50 से ऊपर रहने का मतलब यह होता है कि उत्पादन बढ़ा है। उत्पादन में गिरावट या बढ़ोतरी जितना ज्यादा होती है, इंडेक्स 50 से उतना ही ज्यादा नीचे या ऊपर होता है।
लॉकडाउन के कारण नए ठेके मिलने में कठिनाई
आईएचएस के अर्थशास्त्री इलियट केर ने कहा कि कंपनियों को नए ठेके हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। क्योंकि उनके ग्राहक लॉकडाउन में फंसे हुए थे। इससे यह समझ में आता है कि जब तक संक्रमण नियंत्रण में नहीं आ जाता और जब तक पाबंदियां हटाई नहीं जाती, तब तक औद्योगिक गतिविधियों में तेजी नहीं आने वाली है।
महंगाई घटने की उम्मीद
इनपुट और आउटपुट कीमतों में गिरावट जारी है। इससे यह उम्मीद जगती है कि महंगाई में कमी आएगी। हाल में महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दी गई ऊपरी सीमा से ज्यादा हो गई थी। सरकार ने आरबीआई को महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के बीच बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है।
घट सकती है मुख्य ब्याज दर
महंगाई दर घटने से आरबीआई के लिए मुख्य ब्याज दर घटाने की गुंजाइश बढ़ी है। कोरोनावायरस महामारी के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए आरबीआई मुख्य ब्याज दर और घटा सकता है। आरबीआई ने मार्च के बाद से रेपो दर में कुल 1.15 फीसदी की कटौती कर दी है।