बॉलीवुड और इंटरनेशनल फिल्मों में नाम कमाने वाले मशहूर एक्टर कबीर बेदी ने हाल ही में अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर और शादियों को लेकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगने लगा था कि अगर अब कंट्रोल नहीं किया, तो वो सड़क पर आ जाएंगे। हाल ही में बीबीसी हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी चार शादियों और रिश्तों को लेकर खुलकर बात की। कबीर ने बताया कि भले ही उनकी कई शादियां हुईं, लेकिन हर रिश्ता लंबा और गहरा था, कोई भी वन नाइट स्टैंड नहीं था। कबीर बेदी ने कहा कि हर रिश्ता खास था कबीर बेदी से जब पूछा गया कि क्या उनकी कई शादियों और गंभीर रिश्तों ने एक पीढ़ी को रिश्ते बदलने का हौसला दिया, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “कौन होता हूं मैं किसी को एम्पावर करने वाला?” हालांकि, उन्होंने यह माना कि वो कई बार महिलाओं के चुनाव में इंडिस्क्रिमिनेट यानी बिना ज्यादा सोचे समझे फैसले लेते थे। कबीर ने बताया, “मेरी पहली शादी सात साल चली, दूसरी शादी भी करीब 7-8 साल चली, तीसरी शादी 15 साल चली। अब मेरी चौथी शादी परवीन दोसांझ से है। हम 19 साल से साथ हैं, जिनमें से 9 साल से शादीशुदा हैं और 10 साल लिव-इन में रहे।” कबीर बेदी ने कहा कि भले ही चार शादियों की बात सुनने में ज्यादा लगे, लेकिन हर रिश्ता एक मजबूत बंधन था। उन्होंने कहा, “लोग भले ही एक बार शादी करते हों, लेकिन मेरे हर रिश्ते की अपनी अहमियत थी। सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी मैं अपनी सभी एक्स वाइव्स से अच्छे रिश्ते में हूं,” क्रिसमस पर तीन पत्नियों के साथ एक ही फोटो
कबीर बेदी ने अपने जीवन पर लिखी किताब ‘स्टोरीज आई मस्ट टेल: द इमोशनल लाइफ ऑफ एन एक्टर’ में एक तस्वीर का जिक्र किया, जिसमें उनकी पत्नी और दो एक्स वाइव्स साथ क्रिसमस सेलिब्रेट कर रही हैं। उन्होंने कहा, “उस फोटो में तीन पत्नियां एक ही क्रिसमस ट्री के नीचे साथ हैं। कोई कड़वाहट नहीं, सिर्फ अच्छे रिश्ते।” कबीर बेदी की चार शादियां
बता दें कि कबीर बेदी की पहली शादी प्रोतिमा बेदी से 1969 में हुई थी। 1974 में दोनों अलग हो गए। दूसरी शादी ब्रिटिश फैशन डिजाइनर सुसैन हम्फ्रेस से 1980 में हुई, जो करीब 10 साल चली। तीसरी शादी निक्की बेदी से 1992 में हुई और 2005 में तलाक हुआ। चौथी और मौजूदा पत्नी परवीन दोसांझ हैं, जिनसे 2016 में शादी की। गलत निवेश से कबीर को हुआ बड़ा नुकसान
इस इंटरव्यू में कबीर बेदी ने बताया कि वो किसी अमीर परिवार से नहीं आते थे। इसलिए जब उन्हें विदेश में काम मिला और पैसे मिलने लगे, तो उन्हें एक अलग सुकून मिला। उन्होंने कहा, “जिसने कभी पैसे की तंगी देखी हो, वो हमेशा चाहता है कि उसकी फाइनेंशियल हालत मजबूत हो। जब मुझे यूरोप में सफलता मिली, तो थोड़े पैसे आए और लगा कि अब मुझे रेंट या खाने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।” लेकिन कबीर मानते हैं कि जब इंसान को अचानक पैसे मिलते हैं, तो वो लापरवाह हो जाता है। उन्होंने कहा, “जिसे कभी पैसा नहीं मिला और अचानक पैसे मिल जाएं, तो वो सोचता है कि अब यही जिंदगी है। फिर पैसे उड़ाने लगते हैं। मैं भी लापरवाह हो गया था। गलत निवेश किए और काफी पैसे गंवाए।” कबीर बेदी ने बताया कि एक स्टार की तरह जिंदगी जीना भी महंगा होता है। उन्होंने कहा, “आप सोचते हैं कि आप स्टार हैं, तो अच्छा घर, बड़ी गाड़ी, फर्स्ट क्लास ट्रैवल सब होना चाहिए और इसी में पैसे बहने लगते हैं,” लेकिन ये सब ज्यादा दिन नहीं चला। एक समय ऐसा आया जब कबीर की फाइनेंशियल हालत बेहद खराब हो गई। उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह टूट गया था। सिर्फ पैसों से नहीं, दिल से भी।” इसी दौर में उनके बेटे सिद्धार्थ की मौत ने उन्हें अंदर तक हिला दिया था। कबीर बेदी ने इंग्लैंड जाकर नए सिरे से की शुरुआत
कबीर ने बताया, “90 के दशक के आखिर में मेरी हालत ये हो गई थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या कर रहा हूं। ऑडिशन देने जाता था और अपनी लाइन भी नहीं समझ पाता था। काम छूट गया, मौके हाथ से निकलते गए और हालात और बिगड़ते गए।” उस मुश्किल वक्त में कबीर बेदी ने खुद को संभालने का फैसला किया। उन्होंने तय किया कि अब हालात को अपने हाथ में लेना होगा। उन्होंने कहा, “अगर मैंने कुछ नहीं किया, तो मैं तबाह हो जाऊंगा, सड़क पर आ जाऊंगा,” इसके बाद कबीर ने इंग्लैंड का रुख किया और वहां एक-एक प्रोजेक्ट करके अपनी जिंदगी फिर से बसाई। आज कबीर बेदी अपने अनुभव से दूसरों को यही सलाह देते हैं, “पैसों को हल्के में मत लो, कमाना मुश्किल है लेकिन खोना आसान।”
कबीर बेदी ने अपने जीवन पर लिखी किताब ‘स्टोरीज आई मस्ट टेल: द इमोशनल लाइफ ऑफ एन एक्टर’ में एक तस्वीर का जिक्र किया, जिसमें उनकी पत्नी और दो एक्स वाइव्स साथ क्रिसमस सेलिब्रेट कर रही हैं। उन्होंने कहा, “उस फोटो में तीन पत्नियां एक ही क्रिसमस ट्री के नीचे साथ हैं। कोई कड़वाहट नहीं, सिर्फ अच्छे रिश्ते।” कबीर बेदी की चार शादियां
बता दें कि कबीर बेदी की पहली शादी प्रोतिमा बेदी से 1969 में हुई थी। 1974 में दोनों अलग हो गए। दूसरी शादी ब्रिटिश फैशन डिजाइनर सुसैन हम्फ्रेस से 1980 में हुई, जो करीब 10 साल चली। तीसरी शादी निक्की बेदी से 1992 में हुई और 2005 में तलाक हुआ। चौथी और मौजूदा पत्नी परवीन दोसांझ हैं, जिनसे 2016 में शादी की। गलत निवेश से कबीर को हुआ बड़ा नुकसान
इस इंटरव्यू में कबीर बेदी ने बताया कि वो किसी अमीर परिवार से नहीं आते थे। इसलिए जब उन्हें विदेश में काम मिला और पैसे मिलने लगे, तो उन्हें एक अलग सुकून मिला। उन्होंने कहा, “जिसने कभी पैसे की तंगी देखी हो, वो हमेशा चाहता है कि उसकी फाइनेंशियल हालत मजबूत हो। जब मुझे यूरोप में सफलता मिली, तो थोड़े पैसे आए और लगा कि अब मुझे रेंट या खाने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।” लेकिन कबीर मानते हैं कि जब इंसान को अचानक पैसे मिलते हैं, तो वो लापरवाह हो जाता है। उन्होंने कहा, “जिसे कभी पैसा नहीं मिला और अचानक पैसे मिल जाएं, तो वो सोचता है कि अब यही जिंदगी है। फिर पैसे उड़ाने लगते हैं। मैं भी लापरवाह हो गया था। गलत निवेश किए और काफी पैसे गंवाए।” कबीर बेदी ने बताया कि एक स्टार की तरह जिंदगी जीना भी महंगा होता है। उन्होंने कहा, “आप सोचते हैं कि आप स्टार हैं, तो अच्छा घर, बड़ी गाड़ी, फर्स्ट क्लास ट्रैवल सब होना चाहिए और इसी में पैसे बहने लगते हैं,” लेकिन ये सब ज्यादा दिन नहीं चला। एक समय ऐसा आया जब कबीर की फाइनेंशियल हालत बेहद खराब हो गई। उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह टूट गया था। सिर्फ पैसों से नहीं, दिल से भी।” इसी दौर में उनके बेटे सिद्धार्थ की मौत ने उन्हें अंदर तक हिला दिया था। कबीर बेदी ने इंग्लैंड जाकर नए सिरे से की शुरुआत
कबीर ने बताया, “90 के दशक के आखिर में मेरी हालत ये हो गई थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या कर रहा हूं। ऑडिशन देने जाता था और अपनी लाइन भी नहीं समझ पाता था। काम छूट गया, मौके हाथ से निकलते गए और हालात और बिगड़ते गए।” उस मुश्किल वक्त में कबीर बेदी ने खुद को संभालने का फैसला किया। उन्होंने तय किया कि अब हालात को अपने हाथ में लेना होगा। उन्होंने कहा, “अगर मैंने कुछ नहीं किया, तो मैं तबाह हो जाऊंगा, सड़क पर आ जाऊंगा,” इसके बाद कबीर ने इंग्लैंड का रुख किया और वहां एक-एक प्रोजेक्ट करके अपनी जिंदगी फिर से बसाई। आज कबीर बेदी अपने अनुभव से दूसरों को यही सलाह देते हैं, “पैसों को हल्के में मत लो, कमाना मुश्किल है लेकिन खोना आसान।”