मुकेश अंबानी और रतन टाटा की दुनियाभर के कारोबारी जगत में गहरी पैठ है। अब भारतीय कारोबार जगत में अंबानी बनाम टाटा का सिक्का चलेगा। ठीक वैसे ही जैसे चीन में जैक मा की अलीबाबा और पोनी मा की टेनसेंट का इंटरनेट कारोबारी साम्राज्य चल रहा है। जैक मा और पोनी मा की चीनी जोड़ी ने अपने देश के इंटरनेट व्यवसायों के बड़े हिस्से पर पकड़ बनाई है। वहीं, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत के 130 करोड़ लोगों के डेटा पर कंट्रोलिंग बिजनेस अंबानी-टाटा इन्हीं दो के बीच सिमट कर रह जाएगा।
सुपर एप के जंग में टाटा ग्रुप की एंट्री
हाल ही में मीडिया में यह खबर आई थी भारत के सुपर ऐप के जंग में टाटा ग्रुप एंट्री मारने जा रहा है। टाटा ग्रुप अपने विभिन्न कंज्यूमर बिजनेसेज को एक साथ लाते हुए एक ओम्नीचैनल डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की योजना बना रहा है। टाटा इस ऐप की मदद से अपने फैशन, लाइफस्टाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रीटेल, ग्रॉसरी, इंश्योरेंस, फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे कारोबार को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का विचार कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ इस सेक्टर में पहले से ही मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो की एंट्री हो चुकी है। बता दें कि सुपर ऐप जो होते हैं वो खासकर कई प्रोडक्ट व सर्विसेज के लिए एक वन स्टॉप शॉप के रूप में काम करते हैं।
वॉलमार्ट के साथ डील करेगी टाटा
टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के मुताबिक, टाटा ग्रुप का ओम्नीचैनल डिजिटल प्लेटफॉर्म एक सुपर ऐप होगा। इसमें कई सारे ऐप्स शामिल होंगे। बता दें कि टाटा का यह सुपर ऐप चाइनीज वी चैट की तरह होगा। इस सुपर ऐप के लिए वॉलमार्ट के साथ डील करेगी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक वॉलमार्ट 25 अरब डॉलर का निवेश टाटा ग्रुप में कर सकती है। अगर वॉलमार्ट के साथ टाटा की डील हो जाती है तो टाटा को फ्लिपकार्ट का भी समर्थन मिल जाएगा क्योंकि फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट की ही स्वामित्व की कंपनी है।
रिलायंस रिटेल में निवेश की झड़ी
टाटा संस किसी फाइनेंशियल या रणनीतिक निवेशक को अपनी कंपनी में ला सकता है। इसकी 113 अरब डॉलर वाली होल्डिंग कंपनी जो कॉफी से कार तक के बिजनेस में शामिल है, वह उन कंपनियों में से किसी एक को निवेश के लिए बात कर सकती है जिन्होंने मुकेश अंबानी की कंपनियों में निवेश किया है। मुकेश अंबानी ने फेसबुक, गूगल, सिल्वर लेक सहित कई कंपनियों से जियो प्लेटफॉर्म में 20 अरब डॉलर की राशि जुटाई है। अंबानी अब अपने रिटेल बिजनेस की हिस्सेदारी बेचकर पैसा जुटा रहे हैं। रिलायंस रिटेल में कुल 32,197 करोड़ रुपए की राशि जुटाई गई है।
अमेजन को दी जा सकती है बड़ी हिस्सेदारी
ब्लूमबर्ग की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल की एक बड़ी हिस्सेदारी अमेजन डॉट कॉम इंक को दी जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी ने 20 बिलियन डॉलर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपए की हिस्सेदारी अमेजन को बेचने की पेशकश की है। इस निवेश के जरिए अमेजन को 40 फीसदी हिस्सेदारी मिल सकती है। ब्लूमबर्ग के डाटा के मुताबिक, यह भारत और अमेजन के लिए अब तक की सबसे बड़ी डील होगी।
अंबानी को मिलेगा जियो का फायदा ?
टाटा बनाम अंबानी के इस इंटरनेट के कारोबारी जंग में 63 साल के मुकेश अंबानी को जियो के 40 करोड़ यूजर्स का फायदा मिल सकता है। इसके अलावा रिलायंस का रिटेल चेन भारत में सबसे बड़ा है। इसके करीब 12 हजार स्टोर्स हैं। टाटा ग्रुप के 100 से अधिक बिजनेस हैं। यह कंपनी चायपत्ती से लेकर कार तक बनाती है। टाटा ग्रुप का कारोबार विभिन्न सेक्टर्स में फैला हुआ है। इन सेगमेंट में ग्रॉसरी, मल्टी ब्रांड रिटेल स्टोर्स, एयरलाइंस, हॉस्पिटैलिटी, वॉच व ज्वैलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफस्टाइल, फूड एंड बेवरेजेस, सैटेलाइट टेलिविजन, कंज्यूमर फाइनेंस आदि शामिल हैं। टाटा समूह के ब्रांड्स की बात करें तो इनमें टाटा क्लिक, स्टारबक्स, वेस्टसाइड, क्रोमा, स्टार बाजार, टाटा संपन्न, विस्तारा, टाइटन, तनिष्क, जारा, टाटा स्काई और ताज होटल्स के नाम प्रमुख हैं। टाटा समूह के भारत में कई करोड़ कंज्यूमर हैं।
टाटा के सामने चुनौतियां भी कम नहीं
जहां एक तरफ अंबानी की टेलीकॉम सेक्टर में जबरदस्त पकड़ है। वहीं दूसरी तरफ टाटा समूह टेलीकॉम बिजनेस से बाहर निकल चुकी है। ऐसे में टाटा समूह के सामने कई चुनौतियां भी हैं। वहीं, टाटा समूह की एयरलाइन कंपनी एअर इंडिया और एयर एशिया पहले से ही आर्थिक मंदी से गुजर रही है। दूसरी तरफ टाटा का शापूरजी पालोनजी मिस्त्री के साथ विवाद चल रहा है। एसपीजी ग्रुप के साथ टाटा के 70 साल पुराने संबंध अपने अंतिम छोर पर पहुंच चुका है। एसपीजी ग्रुप से टाटा संस ने 18.4 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की बात की है। इसके लिए उसे अरबों डॉलर की जरूरत होगी। इस समय टाटा ग्रुप पर 20 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है।
वहीं, अंबानी अपने ठंडे बस्ते में पड़े कारोबार रिफाइनिंग और पेट्रो केमिकल्स को आगे बढा सकते हैं। कुछ माह पहले ही ब्लूमबर्ग पर यह रिपोर्ट आई थी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की रिफाइनिंग और पेट्रो केमिकल्स कारोबार में 15 बिलियन डॉलर के निवेश के सौदे पर दिग्गज तेल कंपनी सऊदी अरामको अभी भी काम कर रही है।