गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन हो रहा है। यह दो दिन (8 और 9 अप्रैल) चलेगा। मंगलवार को पहले दिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक चार घंटे चली। मीटिंग के बाद कार्यसमिति के सभी सदस्यों को पटेल अ लाइफ नाम की पुस्तक दी गई। इसके बाद सरदार स्मारक के बाहर नेताओं का फोटो सत्र आयोजित किया गया। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत है। यह हास्यास्पद है कि आज वह संगठन, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं है, उनकी विरासत का दावा कर रहा है। खड़गे ने आरोप लगाया- आज भाजपा और संघ परिवार के लोग गांधी से जुड़ी संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं और उन्हें उनके वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे हैं। उन्होंने वाराणसी में सर्व सेवा संघ पर कब्जा कर लिया। आप सभी जानते हैं कि गुजरात विद्यापीठ में क्या हुआ। खड़गे ने आरोप लगाया कि गांधीवादी और सहकारी आंदोलन के लोगों को हाशिए पर रखा जा रहा है। ऐसी सोच रखने वाले लोग गांधीजी का चश्मा चुरा सकते हैं और छड़ी मार सकते हैं। लेकिन वे कभी भी उनके आदर्शों का पालन नहीं कर सकते। भाजपा जानबूझकर नेहरू-पटेल को एक-दूसरे का विरोधी बताती है
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, जिसका पिछले 140 वर्षों से देश की सेवा और लड़ाई का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने भाजपा-RSS पर हमला करते हुए कहा कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच ऐसा रिश्ता था कि दोनों नायक एक-दूसरे के खिलाफ थे। सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। पटेल और नेहरू के किस्से सुनाए
खड़गे ने कहा- कई घटनाएं और दस्तावेज पटेल और नेहरू के सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खड़गे ने 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के भाषण का हवाला देते हुए एक घटना सुनाई। उन्होंने बताया- उस दौरान नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गुजरात के युवा चाहते थे कि उन्हें प्रांतीय चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाए। सरदार पटेल ने 7 मार्च 1937 को कहा था कि जिस दिन गुजरात इस चुनाव आंदोलन में विजयी होकर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित करेगा, हम कांग्रेस अध्यक्ष नेहरूजी का फूलों से स्वागत करेंगे। आप इस बात से समझ सकते हैं कि सरदार नेहरूजी से कितना प्यार करते थे। सरदार पटेल ने नेहरू की सराहना की
खड़गे ने कहा- 14 अक्टूबर 1949 को सरदार पटेल ने नेहरूजी के लिए एक किताब में कहा था- पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरूजी ने देश के लिए जो अथक प्रयास किए हैं, उसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मैंने उन्हें भारी जिम्मेदारियों के बोझ के कारण बहुत तेजी से बूढ़ा होते देखा है। खड़गे ने कहा कि ये बातें सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज हैं अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते। पटेल जी की सुविधा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठकें उनके आवास पर होती थीं। सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया
खड़गे ने कहा- पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी। उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था। लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संगठन के लोग सरदार पटेल की विरासत का दावा करते हैं। उन्होंने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी RSS ने गांधी, नेहरू, अंबेडकर के पुतले जलाए
खड़गे ने याद दिलाया कि अंबेडकर ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बना तो RSS ने गांधी जी, पंडित नेहरू, डॉ अंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान मनुवादी आदर्शों से प्रेरित नहीं है। मोदी सरकार ने गांधी-अंबेडकर का अपमान किया
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने संसद परिसर से उनकी भव्य मूर्तियों को हटाकर और उन्हें एक कोने में रखकर गांधी और बाबा साहेब का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बाबा साहेब का मजाक उड़ाते हुए कहा कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते रहते हैं। कांग्रेस संविधान और इसके निर्माताओं की रक्षा करेगी
खड़गे ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और इसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल साहेब हमारे दिलों में, हमारे विचारों में रहते हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने इसी सोच को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद में सरदार पटेल संग्रहालय में CWC की यह बैठक आयोजित की है। गांधीवादी संस्थाओं पर हमले हो रहे पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि आज अधिवेशन में 158 सदस्य मौजूद थे। आज सरदार पटेल पर विशेष चर्चा हुई और प्रस्ताव पास हुआ। गुजरात में अधिवेशन होना ही विशेष है। सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर बैठक हो रही है। पटेल और जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत के निर्माता थे। इन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं होने का दावा करने वाले झूठ बोल रहे हैं। मीटिंग में सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर एक विशेष प्रस्ताव पास किया गया है। कल दो दो मुद्दों पर चर्चा होगी। हमारे प्रस्ताव से मालूम होगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के बीच कैसे रिश्ते थे। इन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी और बाद में भारत की नींव रखी। आज किसानों की बातें नहीं सुनी जा रही हैं। ये सरदार पटेल की अवमानना है। उन्होंने यह भी कहा कि आज गांधीवादी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि आज हमने इस ऐतिहासिक जगह पर AICC की मीटिंग और CWC की एक्सटेंडेड मीटिंग की। यह मीटिंग पार्टी की जर्नी में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरदार पटेल की जयंती के मौके पर हो रही है। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं। इसके पहले 1902 में गुजरात में अधिवेशन हुआ था। उसके बाद छह बार गुजरात में कांग्रेस अधिवेशन हो चुके हैं। गुजरात आजादी की लड़ाई का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां नमक सत्याग्रह, बारदोली आंदोलन और खेड़ा सत्याग्रह हुआ। गुजरात में 64 साल बाद हो रहा अधिवेशन
गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी सुबह करीब 10.30 बजे अहमदाबाद पहुंचें। प्रियंका गांधी आज अहमदाबाद नहीं पहुंची हैं। वहीं, कल की मीटिंग के लिए आज देर शाम दो चार्टर्ड प्लेन में 80 कांग्रेस नेता अहमदाबाद पहुचेंगे। बुधवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर मुख्य अधिवेशन होगा
9 अप्रैल को मुख्य अधिवेशन होगा, जिसमें देशभर से 1700 से अधिक कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह कार्यक्रम साबरमती रिवर फ्रंट पर होगा। यहां VVIP डोम बनाया गया है। इस अधिवेशन की थीम है, ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, और संघर्ष।’ अधिवेशन में सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे सीनियर लीडर मौजूद रहेंगे। पार्टी के मुताबिक यह अधिवेशन गुजरात में संगठन को मजबूत करने और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस साल महात्मा गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। इसके अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती भी है। दोनों ही महान विभूतियां गुजरात में पैदा हुई थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी ये अधिवेशन गुजरात में कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, जिसका पिछले 140 वर्षों से देश की सेवा और लड़ाई का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने भाजपा-RSS पर हमला करते हुए कहा कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच ऐसा रिश्ता था कि दोनों नायक एक-दूसरे के खिलाफ थे। सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। पटेल और नेहरू के किस्से सुनाए
खड़गे ने कहा- कई घटनाएं और दस्तावेज पटेल और नेहरू के सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खड़गे ने 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के भाषण का हवाला देते हुए एक घटना सुनाई। उन्होंने बताया- उस दौरान नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गुजरात के युवा चाहते थे कि उन्हें प्रांतीय चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाए। सरदार पटेल ने 7 मार्च 1937 को कहा था कि जिस दिन गुजरात इस चुनाव आंदोलन में विजयी होकर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित करेगा, हम कांग्रेस अध्यक्ष नेहरूजी का फूलों से स्वागत करेंगे। आप इस बात से समझ सकते हैं कि सरदार नेहरूजी से कितना प्यार करते थे। सरदार पटेल ने नेहरू की सराहना की
खड़गे ने कहा- 14 अक्टूबर 1949 को सरदार पटेल ने नेहरूजी के लिए एक किताब में कहा था- पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरूजी ने देश के लिए जो अथक प्रयास किए हैं, उसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मैंने उन्हें भारी जिम्मेदारियों के बोझ के कारण बहुत तेजी से बूढ़ा होते देखा है। खड़गे ने कहा कि ये बातें सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज हैं अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते। पटेल जी की सुविधा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठकें उनके आवास पर होती थीं। सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया
खड़गे ने कहा- पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी। उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था। लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संगठन के लोग सरदार पटेल की विरासत का दावा करते हैं। उन्होंने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी RSS ने गांधी, नेहरू, अंबेडकर के पुतले जलाए
खड़गे ने याद दिलाया कि अंबेडकर ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बना तो RSS ने गांधी जी, पंडित नेहरू, डॉ अंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान मनुवादी आदर्शों से प्रेरित नहीं है। मोदी सरकार ने गांधी-अंबेडकर का अपमान किया
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने संसद परिसर से उनकी भव्य मूर्तियों को हटाकर और उन्हें एक कोने में रखकर गांधी और बाबा साहेब का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बाबा साहेब का मजाक उड़ाते हुए कहा कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते रहते हैं। कांग्रेस संविधान और इसके निर्माताओं की रक्षा करेगी
खड़गे ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और इसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल साहेब हमारे दिलों में, हमारे विचारों में रहते हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने इसी सोच को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद में सरदार पटेल संग्रहालय में CWC की यह बैठक आयोजित की है। गांधीवादी संस्थाओं पर हमले हो रहे पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि आज अधिवेशन में 158 सदस्य मौजूद थे। आज सरदार पटेल पर विशेष चर्चा हुई और प्रस्ताव पास हुआ। गुजरात में अधिवेशन होना ही विशेष है। सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर बैठक हो रही है। पटेल और जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत के निर्माता थे। इन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं होने का दावा करने वाले झूठ बोल रहे हैं। मीटिंग में सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर एक विशेष प्रस्ताव पास किया गया है। कल दो दो मुद्दों पर चर्चा होगी। हमारे प्रस्ताव से मालूम होगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के बीच कैसे रिश्ते थे। इन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी और बाद में भारत की नींव रखी। आज किसानों की बातें नहीं सुनी जा रही हैं। ये सरदार पटेल की अवमानना है। उन्होंने यह भी कहा कि आज गांधीवादी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं। केसी वेणुगोपाल ने कहा कि आज हमने इस ऐतिहासिक जगह पर AICC की मीटिंग और CWC की एक्सटेंडेड मीटिंग की। यह मीटिंग पार्टी की जर्नी में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरदार पटेल की जयंती के मौके पर हो रही है। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं। इसके पहले 1902 में गुजरात में अधिवेशन हुआ था। उसके बाद छह बार गुजरात में कांग्रेस अधिवेशन हो चुके हैं। गुजरात आजादी की लड़ाई का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां नमक सत्याग्रह, बारदोली आंदोलन और खेड़ा सत्याग्रह हुआ। गुजरात में 64 साल बाद हो रहा अधिवेशन
गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी सुबह करीब 10.30 बजे अहमदाबाद पहुंचें। प्रियंका गांधी आज अहमदाबाद नहीं पहुंची हैं। वहीं, कल की मीटिंग के लिए आज देर शाम दो चार्टर्ड प्लेन में 80 कांग्रेस नेता अहमदाबाद पहुचेंगे। बुधवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर मुख्य अधिवेशन होगा
9 अप्रैल को मुख्य अधिवेशन होगा, जिसमें देशभर से 1700 से अधिक कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह कार्यक्रम साबरमती रिवर फ्रंट पर होगा। यहां VVIP डोम बनाया गया है। इस अधिवेशन की थीम है, ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, और संघर्ष।’ अधिवेशन में सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे सीनियर लीडर मौजूद रहेंगे। पार्टी के मुताबिक यह अधिवेशन गुजरात में संगठन को मजबूत करने और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस साल महात्मा गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। इसके अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती भी है। दोनों ही महान विभूतियां गुजरात में पैदा हुई थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी ये अधिवेशन गुजरात में कर रही है।