गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन हो रहा है। यह दो दिन (8 और 9 अप्रैल) का है। मंगलवार को पहले दिन कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक चार घंटे चली। आज दूसरे दिन साबरमती रिवरफ्रंट पर मुख्य अधिवेशन होगा, जिसमें देशभर से 1700 से अधिक कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। अधिवेशन की शुरुआत सुबह 9.30 पार्टी के झंडावंदन के साथ होगी। कार्यक्रम के लिए रिवरफ्रंट पर VVIP डोम बनाया गया है। इस अधिवेशन की थीम है, ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, और संघर्ष।’ अधिवेशन में सोनिया गांधी, राहुल, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे सीनियर लीडर भी मौजूद रहेंगे। पार्टी के मुताबिक यह अधिवेशन गुजरात में संगठन को मजबूत करने और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। गुजरात में 64 साल बाद हो रहा अधिवेशन
इस साल महात्मा गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। इसके अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती भी है। दोनों ही महान विभूतियां गुजरात में पैदा हुई थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी ये अधिवेशन गुजरात में कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था। अधिवेशन के पहले दिन की 5 तस्वीरें… अधिवेशन के लिए कांग्रेस की तैयारियां
रणनीति और अभियान की शुरुआत अधिवेशन में 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही ‘संविधान बचाओ यात्रा’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत भी अहमदाबाद से होगी, जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है। ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 15 सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई है, जिसके संयोजक रणदीप सुरजेवाला हैं। इसमें भूपेश बघेल, सचिन पायलट और विक्रांत भूरिया जैसे नेता शामिल हैं। यह कमेटी अधिवेशन में चर्चा के लिए प्रस्तावों और रणनीतियों का मसौदा तैयार कर रही है। कमेटी की कई बैठकें दिल्ली और अन्य स्थानों पर हो चुकी हैं, जहां बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर फोकस किया गया। होटलों के 2000 कमरे बुक दो दिवसीय कार्यक्रम में करीब 3000 कांग्रेस नेता शामिल होंगे। इसलिए अहमदाबाद शहर और आसपास 2000 होटल कमरे बुक किए गए हैं। इसके चलते ITC नर्मदा और कोर्टयार्ड समेत बड़े होटल कंपलीट बुक्ड हैं।कार्यकर्ता ‘कार सेवा’ प्रदान करेंगे। कारों और बसों की भी व्यवस्था नेताओं को ले जाने और लाने के लिए कारों और बसों की भी व्यवस्था की गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी कार लेकर सेवा में शामिल होने के लिए सूचित किया गया है। होटल की कारें भी बुक की गई हैं और कुछ कारें निजी ट्रैवल एजेंसियों से भी किराए पर ली जा रही हैं। गुजरात में कांग्रेस के चुनावी सफर पर एक नजर
गुजरात में कांग्रेस का चुनावी सफर एक लंबी और उतार-चढ़ाव भरी कहानी है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस ने गुजरात में कभी मजबूत पकड़ बनाई तो कभी उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद का दौर (1960-1990) 1960 में गुजरात के गठन के बाद कांग्रेस ने राज्य में अपनी मजबूत स्थिति बनाई। 1962, 1967 और 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस दौरान जिवराज मेहता, बलवंतराय मेहता और हितेंद्र देसाई जैसे गांधीवादी नेताओं ने पार्टी को नेतृत्व दिया। माधवसिंह सोलंकी युग 1980 और 1985 में कांग्रेस ने माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया। 1985 में कांग्रेस ने 149 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया, जो गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत थी। सोलंकी की ‘KHAM’ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) रणनीति ने पार्टी को सामाजिक गठजोड़ के आधार पर मजबूत किया। 1995 में भाजपा की एंट्री 1962 से 1984 तक कांग्रेस ने गुजरात की ज्यादातर लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाए रखा। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने सभी 26 सीटें जीतीं। 1990 के दशक में हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के साथ भाजपा ने गुजरात में पैर जमाने शुरू किए। 1995 में पहली बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता और कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। 7 चुनाव से कांग्रेस सत्ता से दूर 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात को अपना गढ़ बना लिया। कांग्रेस का वोट शेयर लगातार कम होता गया। 2002 में कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं, जो 1998 की 53 से कम थीं। 2007 में कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं। 2012 में भी कांग्रेस 61 सीटों पर सिमट गई। 2017 में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया और 77 सीटें जीतीं, लेकिन सत्ता से दूर रही। 2022 में आम आदमी पार्टी (AAP) के उभरने से कांग्रेस का वोट बंटा और वह मात्र 17 सीटों पर सिमट गई। 24 साल बाद 1 लोकसभा सीट जीती 2004 में कांग्रेस ने गुजरात में 12 सीटें जीतीं, लेकिन 2009 में यह संख्या 11 हो गई। 2014 और 2019 में भाजपा ने सभी 26 सीटें जीतकर कांग्रेस को शून्य पर ला दिया। 2024 में कांग्रेस ने बनासकांठा सीट जीतकर 10 साल बाद खाता खोला, लेकिन कुल मिलाकर उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन से जुड़ी पुरानी तस्वीरें… कांग्रेस अधिवेशन से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… राहुल गांधी बोले- हम दलित, मुस्लिम-ब्राह्मण में उलझे रहे, ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राहुल ने यह भी कहा- हम मुस्लिमों की बात करते हैं, इसलिए हमें मुस्लिम परस्त कहा जाता है। हमें ऐसी बातों से डरना नहीं है। मुद्दे उठाते रहना है। पूरी खबर पढ़ें.. सैम पित्रोदा बोले- कांग्रेस में चर्चाएं होती हैं, एग्जीक्यूशन नहीं; जिम्मेदारों से पूछें- रायपुर-जयपुर सम्मेलन में जो फैसले लिए, वे लागू क्यों नहीं हुए ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि पार्टी गुजरात में अधिवेशन कर रही है। मेरा मानना है कि कांग्रेस के अधिवेशन में आइडियोलॉजी पर अच्छी चर्चा होती है, लेकिन एग्जीक्यूशन नहीं हो पाता। कांग्रेस नेता अपने अंदर गांधीजी के विचार ला पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।’ पूरा इंटरव्यू पढ़ें…
इस साल महात्मा गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। इसके अलावा सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती भी है। दोनों ही महान विभूतियां गुजरात में पैदा हुई थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी ये अधिवेशन गुजरात में कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था। अधिवेशन के पहले दिन की 5 तस्वीरें… अधिवेशन के लिए कांग्रेस की तैयारियां
रणनीति और अभियान की शुरुआत अधिवेशन में 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही ‘संविधान बचाओ यात्रा’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत भी अहमदाबाद से होगी, जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है। ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 15 सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई है, जिसके संयोजक रणदीप सुरजेवाला हैं। इसमें भूपेश बघेल, सचिन पायलट और विक्रांत भूरिया जैसे नेता शामिल हैं। यह कमेटी अधिवेशन में चर्चा के लिए प्रस्तावों और रणनीतियों का मसौदा तैयार कर रही है। कमेटी की कई बैठकें दिल्ली और अन्य स्थानों पर हो चुकी हैं, जहां बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर फोकस किया गया। होटलों के 2000 कमरे बुक दो दिवसीय कार्यक्रम में करीब 3000 कांग्रेस नेता शामिल होंगे। इसलिए अहमदाबाद शहर और आसपास 2000 होटल कमरे बुक किए गए हैं। इसके चलते ITC नर्मदा और कोर्टयार्ड समेत बड़े होटल कंपलीट बुक्ड हैं।कार्यकर्ता ‘कार सेवा’ प्रदान करेंगे। कारों और बसों की भी व्यवस्था नेताओं को ले जाने और लाने के लिए कारों और बसों की भी व्यवस्था की गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी कार लेकर सेवा में शामिल होने के लिए सूचित किया गया है। होटल की कारें भी बुक की गई हैं और कुछ कारें निजी ट्रैवल एजेंसियों से भी किराए पर ली जा रही हैं। गुजरात में कांग्रेस के चुनावी सफर पर एक नजर
गुजरात में कांग्रेस का चुनावी सफर एक लंबी और उतार-चढ़ाव भरी कहानी है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस ने गुजरात में कभी मजबूत पकड़ बनाई तो कभी उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद का दौर (1960-1990) 1960 में गुजरात के गठन के बाद कांग्रेस ने राज्य में अपनी मजबूत स्थिति बनाई। 1962, 1967 और 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस दौरान जिवराज मेहता, बलवंतराय मेहता और हितेंद्र देसाई जैसे गांधीवादी नेताओं ने पार्टी को नेतृत्व दिया। माधवसिंह सोलंकी युग 1980 और 1985 में कांग्रेस ने माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया। 1985 में कांग्रेस ने 149 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया, जो गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत थी। सोलंकी की ‘KHAM’ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) रणनीति ने पार्टी को सामाजिक गठजोड़ के आधार पर मजबूत किया। 1995 में भाजपा की एंट्री 1962 से 1984 तक कांग्रेस ने गुजरात की ज्यादातर लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाए रखा। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने सभी 26 सीटें जीतीं। 1990 के दशक में हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के साथ भाजपा ने गुजरात में पैर जमाने शुरू किए। 1995 में पहली बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता और कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। 7 चुनाव से कांग्रेस सत्ता से दूर 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात को अपना गढ़ बना लिया। कांग्रेस का वोट शेयर लगातार कम होता गया। 2002 में कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं, जो 1998 की 53 से कम थीं। 2007 में कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं। 2012 में भी कांग्रेस 61 सीटों पर सिमट गई। 2017 में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया और 77 सीटें जीतीं, लेकिन सत्ता से दूर रही। 2022 में आम आदमी पार्टी (AAP) के उभरने से कांग्रेस का वोट बंटा और वह मात्र 17 सीटों पर सिमट गई। 24 साल बाद 1 लोकसभा सीट जीती 2004 में कांग्रेस ने गुजरात में 12 सीटें जीतीं, लेकिन 2009 में यह संख्या 11 हो गई। 2014 और 2019 में भाजपा ने सभी 26 सीटें जीतकर कांग्रेस को शून्य पर ला दिया। 2024 में कांग्रेस ने बनासकांठा सीट जीतकर 10 साल बाद खाता खोला, लेकिन कुल मिलाकर उसका प्रदर्शन कमजोर रहा। कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन से जुड़ी पुरानी तस्वीरें… कांग्रेस अधिवेशन से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… राहुल गांधी बोले- हम दलित, मुस्लिम-ब्राह्मण में उलझे रहे, ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राहुल ने यह भी कहा- हम मुस्लिमों की बात करते हैं, इसलिए हमें मुस्लिम परस्त कहा जाता है। हमें ऐसी बातों से डरना नहीं है। मुद्दे उठाते रहना है। पूरी खबर पढ़ें.. सैम पित्रोदा बोले- कांग्रेस में चर्चाएं होती हैं, एग्जीक्यूशन नहीं; जिम्मेदारों से पूछें- रायपुर-जयपुर सम्मेलन में जो फैसले लिए, वे लागू क्यों नहीं हुए ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मुझे गर्व है कि पार्टी गुजरात में अधिवेशन कर रही है। मेरा मानना है कि कांग्रेस के अधिवेशन में आइडियोलॉजी पर अच्छी चर्चा होती है, लेकिन एग्जीक्यूशन नहीं हो पाता। कांग्रेस नेता अपने अंदर गांधीजी के विचार ला पाए तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।’ पूरा इंटरव्यू पढ़ें…