नेपाल की राजधानी में मंगलवार को दर्जनों छात्रों ने चीन के दूतावास के सामने प्रदर्शन किया। ये छात्र चीन की राजदूत होउ यांगकी की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से मुलाकात को लेकर विरोध कर रहे थे। इन्होंने चीन गो बैक के नारे लगाए और पोस्टर दिखाए।
यांगकी पर नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के अंदरूनी मामलों में तब दखल देने का आरोप है, जब यह पार्टी अंदरूनी मतभेदों में घिरी हुई है और पार्टी के नेताओं ने ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग की है।
बाहरी दखल से सत्ताधारी पार्टी का इनकार
यांगकी नेपाल की सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों से मुलाकात, सरकारी विभागों में उनके दखल को लेकर सुर्खियों में हैं। बताया ये भी जा रहा है कि मई में जब ओली की कुर्सी पर संकट आया था, तब यांगकी ने ही उनकी कुर्सी बचाई थी। हालांकि, ओली की पार्टी के नेता ही इस बात को खारिज कर रहे हैं।
पार्टी के स्पोक्सपर्सन नारायन काजी श्रेष्ठ ने कहा कि नेपाल की अंदरूनी राजनीति को लेकर चल रही साजिशों की हर बात को हम नकारते हैं। जैसा कि कहा जा रहा है कि नेपाल की राजनीति को ये विदेशी ताकत चला रही है, वो विदेशी ताकत चला रही है। हम इसे खारिज करते हैं। नेपाल स्वतंत्र देश है और यह अपना फैसला करने में सक्षम है। अगर कोई हमारे मामलों में दखल की मंशा रखता है तो हम इसका विरोध करते हैं।
छात्रों ने कहा- यांगकी दूतावास तक सीमित रहें
इंडिपेंडेंट स्टूडेंट यूनियन ने यागंकी के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उनके पोस्टर भी दिखाए। छात्रों ने कहा कि यागंकी को दूतावास तक सीमित रहना चाहिए, हमारे नेताओं के घरों में नहीं। उन्हें चुप रहना चाहिए।
यांगकी ने इन नेताओं से मुलाकात की
काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यांगकी ने मंगलवार को भी राष्ट्रपति बिद्यादेवी, प्रधानमंत्री ओली, पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल और झालानाथ खनल से मुलाकात की। पोस्ट को चीनी दूतावास के एक अधिकारी ने बताया कि हम सत्ताधारी पार्टी को मुश्किल में नहीं देखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि पार्टी के नेता अपने मतभेद भीतर ही सुलझा लें।
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