नवंबर 1995 में न्यूजीलैंड की मॉडल और पीएचडी स्टूडेंट क्लेयर फ्रीमैन अपनी मां बारबरा और बहन बेथ के साथ कार से घुमने जा रहीं थीं। दो घंटे के सफर के बाद कार क्रैश हो गई। इस एक्सीडेंट में क्लेयर के रीढ़ की हड्डी में चोट लगी। इसकी वजह से उसके पूरे शरीर में सेंसेशन खत्म हो गया और वह पैरालाइज्ड हो गई।
क्लेयर को हेलिकॉप्टर से ऑकलैंड के हॉस्पिटल ले जाया गया जहां वे दो हफ्ते तक कोमा में रही। उसने एक साल का समय हॉस्पिटल में बिताया। उसके जिंदा रहने की उम्मीद सिर्फ 10% थी।
वहां क्लेयर की तीन सर्जरी हुई। उसके बाद भी उनकीगर्दन के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। फिरक्लेयर ने व्हीलचेयर का सहारा लिया और मॉडलिंग की शुरुआत की।
फरवरी 2018 में एक इटेलियन मॉडलिंग एजेंसी लूलिया बर्टन से उनका संपर्क हुआ। इस फैशन हाउस के लिए क्लेयर ने मिलान फैशन वीक में कैटवॉक की। हालांकिक्लेयर के लिए तमाम शारीरिक विषमताओं के चलते मॉडलिंग का हिस्सा बनना भी आसान नहीं था।इस दौरान अपने रुटीन के काम करने में भी उन्हें कई दिक्क्तों का सामना करना पड़ता था। उन पांच सालों में क्लेयर ने अपने आप से तंग आकर चार बार आत्महत्या करने का प्रयास किया।आखिर वो समय भी आया जब इस मॉडल ने जिंदगी को सुसाइड करके खत्म के बजाय अपनी डिग्री पूरी करने में बिताने का फैसला किया।उन्होंने वेलिंगटन से अपनी डिजाइन डिग्री पूरी की। उसके बाद वे अपने घर वांघेरी चली गईं। वे कहती हैं एक्सीडेंट के बाद मैं अपने घर कभी लौटना नहीं चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे घर के आसपास रहने वाले लोग मुझे व्हीलचेयर पर बैठा हुआ देखें।क्लेयर को अब भी वो दिन याद हैं जब वेअपने शरीर को ढीले-ढाले कपड़ों से छिपाती थींताकि लोग उन्हेंइस हाल में देख न सकें। उन्हेंये सोचकर ही खुद से नफरत होती थी कि वेचल नहीं सकतीं। वे कहती हैं मेरे लिए यूनिवर्सिटी कैंपस में इस तरह घुमना भी आसान नहीं था।क्लेयर कहती हैं कॉलेज की तीन साल मैंने डिप्रेशन में बिताए। उन्हीं दिनों क्लेयर की कुछ और सर्जरी हुईं। एक ऑपरेशन गलत हो जाने की वजह से क्लेयर फिर कोमा में चली गईं। ये उनके जीवन का वौ दौर था जिसमें वे खुद को सारी दुनिया से छिपाना चाहती थीं। उन्हीं दिनों में उन्हें अपना इंस्टाग्राम पेज बनाने का ख्याल आया।वे कहती हैं इंस्टाग्राम के माध्यम से मुझे मेरी तरह के अन्य दिव्यांग लोगों से जुड़ने का मौका मिला। मेरा आत्मविश्वास एक बार फिर लौट आया। अब मुझे अपने आप पर गर्व होने लगा।मैंने ये जान लिया था कि व्हीलचेयर पर होने की वजह से मेरी जिंदगी खत्म नहीं हो सकती।ये वही दौर था जब मुझे ये समझ में आया कि दिव्यांग होते हुए जिंदगी में आगे बढ़ना यकीनन मुश्किल है। लेकिन फिर भी अभी मुझे समाज और दिव्यांग लोगों के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है ताकि वे मेरी तरह जिंदगी की मुश्किलों को पार सकें।