कैमिस्ट्री का नोबेल 2 अमेरिकी और एक ब्रिटिश वैज्ञानिकों को:तीनों ने प्रोटीन का स्ट्रक्चर समझाने वाला AI मॉडल बनाया; 50 साल से जारी थी खोज

केमिस्ट्री का नोबेल प्राइज 2024 की घोषणा हो गई है। इस साल ये प्राइज 3 वैज्ञानिकों को प्रोटीन के स्ट्रक्चर को समझाने के लिए मिला है। डेविड बेकर ने पूरी तरह से नए प्रकार के प्रोटीन का निर्माण किया। वहीं डेमिस और जॉन जंपर ने एक ऐसा AI मॉडल बनाया जिसने कॉम्प्लेक्स प्रोटीन के स्ट्रक्चर को समझने में मदद की। इससे 50 साल पुरानी समस्या का हल निकाला जा सका है। फिजिक्स और मेडिसिन के क्षेत्र में मिल चुका है 2024 का नोबेल नोबेल प्राइज 2024 की विजेताओं की घोषणा सोमवार, 7 अक्टूबर से शुरु हुई है। पहले दिन मेडिसिन के क्षेत्र में विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को नोबेल प्राइज दिया गया। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया है। इसके बाद मंगलवार को फिजिक्स के नोबेल प्राइज की घोषणा हुई। ये प्राइज AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे. होपफील्ड को दिया गया। उन्हें मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीकों के विकास के लिए ये सम्मान दिया गया है जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित है। ये नोबेल प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन 14 अक्टूबर तक चलेगा। केमिस्ट्री में 2023 का नोबेल जीतने वाले वैज्ञानिक केमिस्ट्री में 2023 का नोबेल प्राइज माउंगी बावेंडी, लुइस ब्रुस, एलेक्सी एकिमोव को मिला था। ये तीनों अमेरिकी मूल के केमिस्ट हैं। इन्हें क्वांटम डॉट्स की खोज और इसके डेवलपमेंट के लिए ये सम्मान मिला था क्वांटम डॉट्स ऐसे नैनोपार्टिकल्स हैं जो इतने छोटे होते हैं कि उनका आकार उनके गुणों को निर्धारित करता है। क्वांटम डॉट्स का इस्तेमाल आज कंप्यूटर मॉनिटर, मोबाइल, टेलीविजन स्क्रीन को रोशन करने के लिए किया जाता है। इसमें QLED तकनीक का इस्तेमाल होता है। भारतीय मूल के वेंकटरमन रामकृष्णन को मिला था केमिस्ट्री नोबेल प्राइज
भारतीय मूल के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक वेंकटरमन रामकृष्णन को 2009 मॉलिक्युलर बायोलॉजी के क्षेत्र में केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने साल 2000 में एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी नाम की एक विधि का उपयोग करके सैकड़ों हजारों परमाणुओं से बने राइबोसोम की संरचना को मैप किया था। इसके जरिए एंटीबायोटिक दवाइयां बनाने में काफी मदद मिली। किसी भी जीव के शरीर के सभी फंक्शन्स को बड़े और कॉम्प्लेक्स प्रोटीन मॉलिक्यूल्स मैनेज करते हैं। ये सेल के राइबोसोम में बनते हैं। इनकी जेनेटिक इन्फॉर्मेशन को RNA के जरिए एमीनो एसिड की चेन्स में ट्रांसलेट किया जाता है। यही फिर प्रोटीन बनाते हैं। इसी थ्योरी से, उन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी के जरिए राइबोसोम का स्ट्रक्चर बनाया। वेंकटरमन का जन्म 1952 में चिदम्बरम, तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने साइंस की पढ़ाई अमेरिका और ब्रिटेन में की। नोबेल प्राइज के अलावा वेंकटरमन को 2010 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें 2012 में न्यू ईयर्स ऑनर्स लिस्ट में नाइटहुड की उपाधि के लिए चुना गया था। नागासाकी पर गिरे परमाणु बम में था पोलोनिय़म, इसे खोजने वाली साइंटिस्ट​​​​ को मिला नोबेल
पोलैंड में जन्मीं फिजिसिस्ट और केमिस्ट मैरी क्यूरी ने अपने पति पियरे क्यूरी के साथ मिलकर कई साइंटिफिक खोज कीं। 1898 में दो नए तत्व रेडियम और पोलोनियम की डिस्कवरी की घोषणा की। इन तत्वों के शुद्ध नमूनों को अलग करना मैरी के लिए कठिन काम था। कई टन कच्चे ओर (अयस्क) से 1 डेसीग्राम रेडियम क्लोराइड निकालने में 4 चार साल लग गए थे। 1911 में रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए क्यूरी को अपना दूसरा नोबेल प्राइज केमिस्ट्री में मिला था। मैरी क्यूरी को सम्मान मिलने के कुछ साल बाद अमेरिका ने जापान के 2 शहरों पर परमाणु बम गिराए थे। जो बम नागासाकी पर गिराया गया था, उसके डेटोनेटर का एक मुख्य एलिमेंट पोलोनियम भी था। हालांकि क्यूरी परमाणु बम बनाने के प्रोजेक्ट में शामिल नहीं थीं। लिथियम बैटरी बनाने वाले केमिस्ट रहे नोबेल प्राइज के सबसे उम्रदराज विजेता
अब तक के सबसे उम्रदराज नोबेल पुरस्कार विजेता जॉन बी. गुडएनफ हैं। गुडएनफ 97 साल के थे, जब उन्हें 2019 में केमिस्ट्री के नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया था। वह नोबेल के सभी पुरस्कार क्षेत्र में सम्मानित होने वाले सबसे उम्रदराज विजेता भी रहे। 1980 में जॉन गुडएनफ ने कोबाल्ट ऑक्साइड के कैथोड के साथ एक लिथियम बैटरी विकसित की। कोबाल्ट ऑक्साइड के कैथोड में मॉलिक्यूलर लेवल पर लिथियम आयन्स रख सकते हैं। यह कैथोड पहले की बैटरियों की तुलना में अधिक वोल्टेज देता था। गुडएनफ का योगदान लिथियम-आयन बैटरी के विकास में महत्वपूर्ण था। आज इसका उपयोग मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक में किया जाता है। नोबेल प्राइज के बारे में जानते हैं…
27 नवंबर 1895 को अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत और वसीयतनामा पर हस्ताक्षर किए। इससे उन्होंने अपने वसीयत का सबसे बड़ा हिस्सा पुरस्कारों की एक सीरीज, नोबेल प्राइज को दे दिया। नोबेल प्राइज फिजियोलॉजी, मेडिसिन, फिजिक्स, केमिस्ट्री, लिटरेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस के क्षेत्र में दिया जाता है। —————————————————- नोबेल प्राइज 2024 से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… AI के गॉडफादर और अमेरिकी वैज्ञानिक को फिजिक्स का नोबेल:मशीनों में सोचने की समझ पैदा करने के लिए मिला सम्मान फिजिक्स में 2024 का नोबेल प्राइज AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे. होपफील्ड को मिला है। उन्हें मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीकों के विकास के लिए ये सम्मान दिया गया है जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित है। इससे मशीनों को इंसानी दिमाग की तरह सोचना और समझना सिखाया जाता है। पूरी खबर यहां पढ़ें… मेडिसिन का नोबेल दो अमेरिकी वैज्ञानिकों को:माइक्रो RNA की खोज के लिए मिला सम्मान, ये कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की पहचान में मददगार नोबेल प्राइज 2024 के लिए विजेताओं की घोषणा सोमवार, 7 अक्टूबर से शुरू हुई। पहले दिन मेडिसिन या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल प्राइज की घोषणा की हुई। 2024 के मेडिसिन का नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला है। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…