कमर्शियल कोल माइनिंग की नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत बहुत अच्छी रही। इसे जो प्रतिक्रिया मिली, वह देश के कोयला इतिहास में सर्वोत्तम है। यह बात कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कही।
कोयला ब्लॉक की नीलामी शुरू होने के बाद टेक्निकल सेशन में 1,140 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इनमें विदेशी कंपनियां भी थीं। 26 कंपनियों ने टेंडर डॉक्यूमेंट्स खरीदे। देश व विदेश की 10 कंपनियों ने नीलामी में पेश की गई खदानों को देखने की इच्छा जताई। झारखंड सरकार ने आशंका जताई थी कि कोरोनावायरस महामारी के कारण कोयला ब्लॉक की नीलामी में निवेशक नहीं आएंगे।
18 जून को शुरू हुई थी कोयले की कमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी की प्रक्रिया
जोशी ने कहा कि हमने कोयले की कमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी की प्रक्रिया 18 जून को शुरू की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री भी मौजूद थे। इसके बाद टेक्निकल सेशन आयोजित हुआ। नीलामी में रुचि रखने वाले लोग ही वहां पहुंचे। टेक्निकल सेशन में 1,140 लोग पहुंचे। इनमें 50-60 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय कंपनियां थीं।
8 दिनों के भीतर 329 रजिस्ट्रेशन हुए
मंत्री ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के बाद 8 दिनों के भीतर 329 रजिस्ट्रेशन हुए और 26 टेंडर डॉक्यूमेंट्स बिके। हर टेंडर डॉक्यूमेंट 5 लाख रुपए का बिका।
देश के कोयला इतिहास की सर्वोत्तम प्रतिक्रिया
सिर्फ एक सप्ताह में जो प्रतिक्रिया मिली, वह देश के कोयला इतिहास में सर्वोत्तम है। अगले 20-30 दिनों में यह और बेहतर होगा। मेरे खयाल से यह अब तक की सबसे अच्छी प्रतिक्रिया है। यह बेहतरीन शुरुआत है।
एक खदान को केंद्र सरकार नीलामी प्रक्रिया से बाहर कर रही है
कमर्शियल माइनिंग के लिए पेश किए गए 41 ब्लॉक्स में से एक खदान को केंद्र सरकार वापस ले रही है। क्योंकि महाराष्ट्र के बांदेर में स्थित यह ब्लॉक ईको-सेंसिटिव जोन में आता है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार ने चार अन्य कोयला ब्लॉक को भी नीलामी से बाहर किए जाने का अनुरोध किया है। सरकार उस पर भी विचार कर रही है।
2.8 लाख लोगों को खदानों में मिल सकता है रोजगार
नीलामी में पेश की गई कोयला खदानें ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में स्थित हैं। इन खदानों में 2.8 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है। इन खदानों से संबंधित राज्य सरकारों को हर साल 20,000 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हो सकता है।