आपके मोबाइल फोन के लोकेशन डाटा से कोरोनाकाल में बड़ी जानकारियां मिल रही हैं। इससे कोरोना प्रभावित एरिया की पहचान की जा सकती है और लॉकडाउन दोबारा लागू करना है या नहीं, यह भी तय किया जा सकता है। मना किए जाने के बावजूद लोग कितना घर से बाहर निकल रहे हैं, इसे भी ट्रैक किया जा सकता है। यह दावा अमेरिकी रिसर्चर ने अपनी रिसर्च में किया है।
मोबाइल डाटा महामारी में पॉलिसी बनाने में मदद करेगा
रिसर्चर्स के मुताबिक, अमेरिका में वर्कप्लेस पर मोबाइल को इस्तेमाल करने का समय घटा है क्योंकि लोग घरों में थे। इस दौरान कोरोना के मामले कम थे। यह रिसर्च करने वाली अमेरिका की पेन्सेल्वेनिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स कहते हैं, रिसर्च के नतीजे उम्मीदोंभरे हैं। महामारी में मोबाइल लोकेशन डाटा पॉलिसी बनाने में मदद करेगा कि कहां खतरा अधिक है।
ऐसे हुई रिसर्च
इस रिसर्च में शामिल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर शिव टी. सेहरा कहते हैं, लोकेशन का डाटा गूगल पर सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है। रिसर्च अमेरिका में जनवरी और मई 2020 की शुरुआत में की गई। जनवरी में हालत नहीं बिगड़े थे और मई में लॉकडाउन लागू था। दोनों महीने के डाटा की तुलना की गई। रिसर्च के लिए लोगों की लोकेशन का डाटा छोटे-छोटे हिस्सों में जगह के हिसाब से बांटा गया। जिन्हें ट्रैक किया जा रहा था, उनके घर से वर्कप्लेस (ऑफिस), घर, रिटेल स्टोर, ग्रॉसरी स्टोर, पार्क और ट्रांजिट स्टेशन कितने दूर हैं, इसका पता लगाया गया।