कोरोना के मरीजोंको वेंटिलेटर की जरुरत होगी या नहीं, इसे समझने के लिए लंदनकिंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं ने रिसर्च की है। शोधकर्ताओंने कोरोना पीड़ितोंको उनके लक्षणों के मुताबिक, अलग-अलग 6 ग्रुप में रखकर स्टडी की। शोधकर्ताओंने इनके लक्षणों पर बताया इन्हें वेंटिलेटर की कितनी जरूरत पड़ेगी।
शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर लक्षणों के आधार पर इस बात काे समझलें तो मरीज की हालत नाजुक होने से रोका जा सकता है।यह रिसर्च कोरोना के 1653 मरीजों पर की गई।
कोविड-19 के लक्षणों के 6 ग्रुप और उसका सटीक अनुमान
- ग्रुप 1 :इस ग्रुप में रहे मरीजोंमें अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण दिखे। जैसेलगातार खांसी और शरीरका दर्द। इस ग्रुप में से सिर्फ 1.5% मरीजों को ही वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी।16% मरीजों को एक या उससे ज्यादा बार ही अस्पताल जाने की नौबत आई। स्टडी में शामिल 1653 में से सबसे ज्यादा 462 मरीजों को इस ग्रुप में शामिल किया गया था।
- ग्रुप 2: यह ग्रुपमरीजों को भी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी की सांस की नली के ऊपरी हिस्से में तकलीफ थीलेकिन उन्हें बुखार आता था और खानापानभी सामान्य नहीं था। ऐसे4.4% मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरुरत पड़ी थी और17.5% लोगों को अस्पताल जाना पड़ाथा।
- ग्रुप 3: इस ग्रुप में मरीजों को अन्य लक्षणों के साथ साथ डायरिया जैसी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानी की पेट की बीमारी देखी गई थी। ऐसे3.7% मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरुरत लगी थी और 24% मरीजोंकोकम से कम एक बार अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ा था।
- ग्रुप 4: अधिक थकावट, सीने में लगातार दर्द और खांसी जैसे लक्षण मरीजों में दिखे थे।8.6% मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी जबकि23.6% लोगों को एक या उससे ज्यादा बार अस्पताल जाना पड़ा।
- ग्रुप5: इस ग्रुप में घबराहट, अधिकथकावट और खाना खाने की इच्छा न करनेजैसे लक्षण थे। इस ग्रुप के 9.9% मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी।24.6% मरीजों को अस्पताल जाना पड़ा।
- ग्रुप6: सांस चढ़ना, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, थकावट और पेट की बीमारी जैसे लक्षण इस ग्रुप के मरीजों में देखे गए। इस ग्रुप के लगभग 20% मरीजों को आर्टिफिशियल ब्रीदिंग सपोर्ट लेने की जरूरत पड़ी जब की 45.5% लोगों को अस्पताल इलाज के लिए जाना पड़ा।हालांकि इस ग्रुप में शामिल लोगों की संख्या सबसे कम 167 ही थी।
पहले दो ग्रुप को बेहद हल्केलक्षण दिखे
शोधकर्ताओंने दूसरे 1047 कोविड – 19 के मरीजों पर ऐसा ही अध्ययन किया तब भी इसी तरह के ग्रुप बनाए गए। इस बार भी ऐसे ही परिणाम सामने आए।दूसरी स्टडी में शोधकर्ताओं नेसिरदर्द और सुगंध-स्वाद के चले जाने के लक्षणों को भी सभी ग्रुप में देखा गया। जिन्हे कोरोना का हल्का संक्रमण हुआउनमेंस्वाद और सुगंध चले जाने की शिकायत लम्बे समय तक रही थी।
79% सटीक परिणाम
शोधकर्ताप्रोफ़ेसर टिम स्पेकटरे ने कहा किपहले पांच दिन में दिखते लक्षणों और उम्र पर नजर रखी जाए तो बताया जा सकता है कि मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी या नहीं। शोधकर्ता का दावा है कि रिसर्च के दौरान 79 फीसदी परिणाम सटीक साबित हुए।