प्रतिभूति मामलों में अपीलों की सुनवाई करने वाले प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने सेबी को कोरोना की महामारी के बीच में एक पूर्व-पक्षीय आदेश (ex-parte order) पास करने पर लताड़ लगाई है। सेबी ने कथित इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए बेंगलुरु स्थित एक आईटी फर्म के एम.डी. के खिलाफ 15 जून को यह आदेश पास किया था।
सेबी ने आरोपी को 3.8 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया था
सेबी के आदेश के अनुसार, आरोपी को एक हफ्ते के भीतर एस्क्रो खाते में 3.8 करोड़ रुपए जमा करने चाहिए थे। अपने फैसले में सैट ने कहा कि आपातकालीन आदेश पास करते समय सेबी के पूर्णकालिक सदस्य (डब्ल्यूटीएम) द्वारा दिया गया कारण गलत था। विशेष रूप से महामारी के दौरान आदेश पास करने की कोई जरूरत नहीं थी। एक्स पार्टी ऑर्डर आदेश सामान्य आदेशों से अलग होते हैं। उन्हें सेबी द्वारा बिना जांच पूरी किए या यहां तक कि आरोपियों को सुनवाई का मौका दिए बिना एकतरफा पास किया जाता है।
एक्स पार्टी ऑर्डर इमर्जेंसी में ही दिया जा सकता है
हालांकि, इस तरह के आदेश पारित करने की शक्तियां केवल आपातकालीन स्थितियों में ही प्रयोग में लाई जाती हैं। यह तब होता है जब रेगुलेटर को लगता है कि आरोपी शेयरों/परिसंपत्तियों को बेच सकता है। एक बार जब नियामक ऐसे मामलों में जांच पूरी कर ले, तो एक अंतिम आदेश पास करता है। मौजूदा मामले में सेबी ने मूल्य के प्रति संवेदनशील सूचनाओं पर ट्रेडिंग के लिए बेंगलुरु स्थित कंपनी डायनॉमिक टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक की खिंचाई की।
आरोपी ने अक्टूबर 2016 में डायनॉमिक टेक्नोलॉजीज के 51,000 शेयर बेचे थे।
शेयरों की कीमतों में तेज गिरावट आई थी
बिक्री के बाद कंपनी के शेयर की कीमतों में तेज गिरावट देखी गई। सेबी ने इस बात की जानकारी दी कि शेयर कीमतों में गिरावट कंपनी के तिमाही नतीजों के कारण हुई जिसे 11 नवंबर, 2016 को मंजूरी दी गई थी। यह कहा कि आरोपी को कंपनी का प्रबंध निदेशक होने के नाते जानकारी थी कि परिणाम अच्छे नहीं होंगे। हालांकि आरोपियों ने तर्क दिया कि शेयर कीमतों में गिरावट केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के कारण हुई है।
सैट ने कहा शक्तियों का उपयोग संयम के साथ हो
सैट ने अपने 10 पन्नों के फैसले में कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेबी के पास अंतरिम आदेश पारित करने की शक्ति है। अत्यधिक जरूरी मामलों में सेबी एक एक्स पार्टी ऑर्डर पास कर सकता है लेकिन ऐसी शक्तियों का प्रयोग संयम से और केवल बेहद जरूरी मामलों में किया जा सकता है। अपने फैसले में सैट ने कहा कि सेबी ने 2017 और 2019 के बीच दो साल तक इस मामले की जांच की थी। इस बात का कोई सबूत नहीं मिल सका कि आरोपी उन 51,000 शेयरों को बेचकर किए गए लाभ को डायवर्ट करने की कोशिश कर रहा था।
इससे पहले भी सेबी को लग चुकी है लताड़
सैट ने कहा कि हमारी राय में डब्ल्यूटीएम द्वारा एक्स पार्टी आदेश पास करने के लिए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराने का तर्क बिलकुल गलत है और से आगे नहीं दोहराया जा सकता है। सैट ने कहा कि एक्स पार्टी ऑर्डर को कायम नहीं रखा जा सकता है। ट्रेड 2016 में हुआ था और तब से जारी आदेश की तारीख तक कोई सबूत नहीं दिख रहा कि अपीलकर्ता कथित लाभ को डाइवर्ट की कोशिश कर रहा था। इससे पहले पिछले साल नार्थ एंड फूड्स मार्केटिंग के मामले में सेबी ने कुछ ऐसा ही फैसला दिया था। इसके बारे में सैट ने कहा था कि एक्स पार्टी ऑर्डर गलत है।