बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनोट को हरामखोर कहे जाने पर संजय राउत को जमकर फटकार लगाई। जस्टिस एस कथावाला और जस्टिस आरआई छागला की बेंच इस केस की लगातार सुनवाई कर रही है। एक दिन पहले कोर्ट ने कंगना और संजय राउत के बीच हुए ट्वीट वॉर और बयानबाजी से जुड़े सारे दस्तावेज कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया था।
आपको इन चीजों को इग्नोर करना है
मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने संजय राउत से कहा- आप नेता हैं। एक सांसद हैं। यहां तक कि याचिकाकर्ता ने जो कहा है, उससे हम सहमत नहीं हैं। ये बयान देने से पहले आपको सतर्क रहना चाहिए था। क्या यह किसी को संबोधित करने का सही तरीका है? हम सभी महाराष्ट्रीयन हैं, आपको इन चीजों को इग्नोर करना है।
संजय के वकील ने माना भाषा टाली जा सकती थी
जस्टिस कथावला ने कहा- हम सभी को महाराष्ट्रीयन होने का गर्व है। लेकिन रिएक्शन देने का ये क्या तरीका है। आपको अपनी गरिमा दिखानी चाहिए। आप ऐसी भाषा इस्तेमाल नहीं कर सकते। हम सभी को मराठा होने का गर्व है, लेकिन हमें अपनी गरिमा दिखानी है। ये कोई तरीका नहीं है। इस पर संजय के वकील ने कहा कि हम मानते हैं जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया था, उसे टाला जा सकता था।
सोमवार को हो चुकी है बहस
एक दिन पहले संजय के वकील ने उनकी ओर से हरामखोर वाले बयान पर हलफनामा दायर करने का समय मांगा था। इसमें लिखा है, “मैं इस बात से इनकार करता हूं कि मैंने 5 सितंबर को एक न्यूज वीडियो में याचिकाकर्ता को अपमानजनक और गाली भरे लहजे में धमकी दी थी। मैंने याचिकाकर्ता को न गाली दी और न ही उन्हें धमकाया। मैंने उन्हें सिर्फ बेईमान कहा था, क्योंकि उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर से की थी।” राउत ने यह भी कहा कि बीएमसी ने नागरिक कानून के तहत कंगना के खिलाफ जो कार्रवाई की है, उससे उनका कोई सरोकार नहीं है।
सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में संजय राउत के ‘हरामखोर’ वाले बयान पर भी बहस हुई थी। कंगना के वकील बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि राउत ने इंटरव्यू में हरामखोर का मतलब नॉटी बताया था। इस पर जस्टिस एस कथावाला ने कहा था, ‘हमारे पास भी डिक्शनरी है, अगर इसका मतलब नॉटी है तो फिर नॉटी का मतलब क्या है?’