कोलकाता में महिला डॉक्टर्स से रेप और उसकी हत्या के विरोध में जारी जूनियर डॉक्टर्स की भूख हड़ताल 17वें दिन खत्म हो गई। इसके साथ ही डॉक्टरों ने मंगलवार को होने वाली हेल्थ स्ट्राइक भी वापस ले ली है। सोमवार शाम डॉक्टरों के पैनल की सीएम ममता के साथ नबन्ना स्थित सचिवालय में करीब 2 घंटे चर्चा हुई। 5 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस में न्याय की मांग कर रहे थे। साथ ही वे राज्य के हेल्थकेयर स्ट्रक्चर में बदलाव की मांग कर रहे हैं। जूनियर डॉक्टर 26 अक्टूबर को आरजी कर अस्पताल में सामूहिक सम्मेलन आयोजित करेंगे। जूनियर डॉक्टर देबाशीष हलदर ने कहा- सीएम ममता के साथ बैठक में हमें कुछ निर्देशों का आश्वासन मिला है, लेकिन राज्य सरकार का हाव-भाव सकारात्मक नहीं था। अनशन में आम लोगों ने पूरे दिल से हमारा समर्थन किया है। हलदर ने कहा कि लोग और आरजी कर पीड़ित हमारी मृतक बहन के माता-पिता हमसे अनशन वापस लेने की बोल रहे थे, क्योंकि हमारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा था। इसलिए हमने भूख हड़ताल वापस ली है। स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए
20 अक्टूबर को सीएम ममता बनर्जी ने अनशन खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों की अधिकतर मांगें पूरी कर दी गई हैं। हर किसी को विरोध का अधिकार है, लेकिन इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि किसी विभाग में हर किसी को एक साथ हटाना संभव नहीं हैं। हमने पहले ही DHS और DME को हटा दिया है, इसलिए राजनीति से ऊपर उठकर काम पर लौटें। ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय और मेडिकल सुविधाओं में सुधार की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टर पिछले 17 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। अब तक छह डॉक्टरों को खराब स्वास्थ्य के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर थे। डॉक्टरों की मांग थी कि राज्य सरकार 21 अक्टूबर तक समस्या को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए। ममता बोलीं- क्या ये सही है कि डॉक्टर तय करें किसे हटाना चाहिए?
ममता बनर्जी ने भी डॉक्टरों से अनशन खत्म करने और सोमवार को उनसे मिलने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था, ‘मैंने पुलिस कमिश्नर (CP), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME), और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (DHS) को हटा दिया है, लेकिन मैं पूरे विभाग को नहीं हटा सकती।’ उन्होंने सवाल किया था कि क्या यह तर्कसंगत है कि आप तय करें कि किस अधिकारी को हटाना चाहिए? कुछ मांगों के लिए नीति बनाने की जरूरत है और इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी, लेकिन हमें यह मंजूर नहीं है कि डॉक्टर सरकार को आदेश दें कि क्या करना है। डॉक्टरों ने पहले 5 मांगें रखी थीं, इनमें सरकार ने 3 पूरी कीं… फिर भूख हड़ताल
जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी। डॉक्टरों ने सरकार के सामने पहले 5 मांगें रखी थीं। इनमें से सरकार ने 3 मांगें मान लीं। CM ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। वे अस्पतालों में काम पर लौट गए थे। 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी। 4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद उन्होंने अनशन शुरू किया। कोलकाता रेप मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… कोलकाता रेप-मर्डर केस:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नेशनल टास्क फोर्स की कार्रवाई असंतोषजनक; ये 3 हफ्ते में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझाव दे कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के काम को लेकर असंतोष जताया। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि NTF को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ये बहुत धीमी गति से काम कर रहा है। पूरी खबर पढ़े… कोलकाता रेप-मर्डर केस, अनशन कर रहे 4 डॉक्टर ICU में:चीफ सेक्रेटरी से मीटिंग के बाद डॉक्टर बोले- सरकार अहंकारी हो गई है कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है। 5 अक्टूबर से अनशन पर बैठे डॉक्टरों की 14 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक हुई, जो बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। मीटिंग से बाहर आने के बाद पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक ने कहा, ‘कुछ नहीं हुआ, रिजल्ट जीरो। 10 दिन हो गए हैं, 4 डॉक्टर ICU में हैं और एक बहुत बीमार है। पूरी खबर पढ़े…
20 अक्टूबर को सीएम ममता बनर्जी ने अनशन खत्म करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों की अधिकतर मांगें पूरी कर दी गई हैं। हर किसी को विरोध का अधिकार है, लेकिन इससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि किसी विभाग में हर किसी को एक साथ हटाना संभव नहीं हैं। हमने पहले ही DHS और DME को हटा दिया है, इसलिए राजनीति से ऊपर उठकर काम पर लौटें। ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय और मेडिकल सुविधाओं में सुधार की मांग करते हुए जूनियर डॉक्टर पिछले 17 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। अब तक छह डॉक्टरों को खराब स्वास्थ्य के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि आठ अन्य अनिश्चितकालीन अनशन पर थे। डॉक्टरों की मांग थी कि राज्य सरकार 21 अक्टूबर तक समस्या को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाए। ममता बोलीं- क्या ये सही है कि डॉक्टर तय करें किसे हटाना चाहिए?
ममता बनर्जी ने भी डॉक्टरों से अनशन खत्म करने और सोमवार को उनसे मिलने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था, ‘मैंने पुलिस कमिश्नर (CP), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME), और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (DHS) को हटा दिया है, लेकिन मैं पूरे विभाग को नहीं हटा सकती।’ उन्होंने सवाल किया था कि क्या यह तर्कसंगत है कि आप तय करें कि किस अधिकारी को हटाना चाहिए? कुछ मांगों के लिए नीति बनाने की जरूरत है और इसमें सरकार पूरा सहयोग करेगी, लेकिन हमें यह मंजूर नहीं है कि डॉक्टर सरकार को आदेश दें कि क्या करना है। डॉक्टरों ने पहले 5 मांगें रखी थीं, इनमें सरकार ने 3 पूरी कीं… फिर भूख हड़ताल
जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी। डॉक्टरों ने सरकार के सामने पहले 5 मांगें रखी थीं। इनमें से सरकार ने 3 मांगें मान लीं। CM ममता ने दो अन्य मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी थी। वे अस्पतालों में काम पर लौट गए थे। 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आया, जिससे नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी। 4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद उन्होंने अनशन शुरू किया। कोलकाता रेप मर्डर केस से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… कोलकाता रेप-मर्डर केस:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नेशनल टास्क फोर्स की कार्रवाई असंतोषजनक; ये 3 हफ्ते में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझाव दे कोलकाता रेप-मर्डर केस को लेकर 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के काम को लेकर असंतोष जताया। CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि NTF को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन ये बहुत धीमी गति से काम कर रहा है। पूरी खबर पढ़े… कोलकाता रेप-मर्डर केस, अनशन कर रहे 4 डॉक्टर ICU में:चीफ सेक्रेटरी से मीटिंग के बाद डॉक्टर बोले- सरकार अहंकारी हो गई है कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के विरोध में डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है। 5 अक्टूबर से अनशन पर बैठे डॉक्टरों की 14 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक हुई, जो बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। मीटिंग से बाहर आने के बाद पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक ने कहा, ‘कुछ नहीं हुआ, रिजल्ट जीरो। 10 दिन हो गए हैं, 4 डॉक्टर ICU में हैं और एक बहुत बीमार है। पूरी खबर पढ़े…