क्या मीट खाने से पाकिस्तान को मिले वसीम अकरम-शोएब अख्तर:टेनिस बॉल से सीखते हैं फास्ट बॉलिंग, इंडिया के पास रोल मॉडल बॉलर नहीं

अक्टूबर का महीना, साल 1952, जगह-लखनऊ। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम पहली बार टेस्ट खेलने भारत आई थी। बंटवारे के जख्म ताजा थे। उसका असर क्रिकेट के मैदान में भी था। 5 टेस्ट की सीरीज का पहला मैच दिल्ली में हुआ था। इसमें भारत जीत गया। दूसरे मैच में पाकिस्तान के तेज गेंदबाज फजल महमूद ने कहानी बदल दी। फजल के सामने भारतीय टीम पहली पारी में 106 और दूसरी पारी में 182 रन ही बना पाई। फजल ने पहली पारी में 5 और दूसरी पारी में 7 विकेट लिए। पाकिस्तान पारी और 43 रन से जीत गया। दो साल बाद 1954 में फजल ने पाकिस्तान को विदेश में पहली जीत दिलाई। लंदन के ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ 12 विकेट लिए। ये पाकिस्तान की खौफनाक तेज गेंदबाजी का शुरुआती दौर था। फिर सरफराज नवाज, इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनुस, शोएब अख्तर, मोहम्मद सामी से लेकर आज शाहीन शाह अफरीदी, नसीम शाह, हारिस रऊफ तक, तेज गेंदबाज पाकिस्तान क्रिकेट की पहचान बन गए। भारत से सुनील गावस्कर, सचिन, द्रविड़, सहवाग, विराट, रोहित जैसे एक से बढ़कर एक बल्लेबाज सामने आते रहे, उसी तरह पाकिस्तान को शानदार फास्ट बॉलर्स मिलते गए। वहां बच्चों के रोल मॉडल भी तेज गेंदबाज ही रहे। चैंपियंस ट्रॉफी की कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के रिपोर्टर बिक्रम प्रताप सिंह पाकिस्तान में हैं। उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर और स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट से बात की। पूछा कि आखिर पाकिस्तान में फास्ट बॉलिंग का इतना क्रेज क्यों रहा है, ये देश फास्ट बॉलिंग की नर्सरी कैसे बना, आज यह नर्सरी किस हाल में है और क्या सच में पाकिस्तान में अच्छे फास्ट बॉलर मिलने की वजह मीट खाना है। हमने दो एक्सपर्ट्स से बात की 1. पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज अब्दुर रऊफ से, वे अभी लाहौर में फास्ट बॉलिंग की कोचिंग देते हैं। 2. पूर्व स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट कमर अहमद से। कमर BBC, द टेलीग्राफ, द सन जैसे मीडिया आउटलेट्स के लिए 1000 से ज्यादा इंटरनेशनल क्रिकेट मैच कवर कर चुके हैं। पाकिस्तान से ज्यादा फास्ट बॉलर्स निकलने की वजह 1. युवाओं के रोल मॉडल फास्ट बॉलर
अब्दुर रऊफ बताते हैं, ‘पाकिस्तान को क्रिकेट में पहला मैच विनर फास्ट बॉलर ही मिला था। नाम था फजल महमूद। 50 के दशक में फजल पाकिस्तान के सबसे बड़े स्टार बन गए थे। फजल को रोल मॉडल मानने वाले सरफराज नवाज 70 के दशक में सुपरस्टार क्रिकेटर बने।’ अब्दुर रऊफ आगे बताते हैं, ‘सरफराज के बाद इमरान खान आए। वे अच्छे बॉलर होने के साथ-साथ शानदार बल्लेबाज भी थे। इमरान पाकिस्तान क्रिकेट के सबसे बड़े रोल मॉडल बने। उन्होंने पाकिस्तान के क्रिकेट को बदलकर रख दिया। पूरी जनरेशन को इंस्पायर किया।’ ‘इमरान को देखकर वसीम अकरम और वकार यूनुस जैसे बॉलर्स आए। फिर शोएब अख्तर, अब्दुल रज्जाक, अजहर महमूद आए। नए बॉलर को पता होता था कि उन्हें इनसे अच्छी बॉलिंग करने पर ही टीम में जगह मिलेगी। बाद में मोहम्मद आमिर, उमर गुल, मोहम्मद सामी, मोहम्मद आसिफ ने फास्ट बॉलिंग की कमान संभाली। आज की जनरेशन में शाहीन शाह अफरीदी और नसीम शाह जैसे बॉलर पाकिस्तान के पास हैं।’ लाहौर में प्रैक्टिस कर रहे मोहम्मद बिलाल कहते हैं, ‘वसीम अकरम और वकार यूनुस मेरे आइडियल हैं। मैंने मोहम्मद आमिर को खेलते देखा है। इन्हीं को देखकर बॉलिंग सीखी है।’ 2. टेनिस बॉल क्रिकेट
अब्दुर रऊफ कहते हैं, ‘टेनिस बॉल या टेप बॉल क्रिकेट ने पाकिस्तान में तेज गेंदबाजों की पौध खड़ी करने में बहुत मदद की। टेनिस बॉल हल्की होती है और इससे तेजी निकालने की कोशिश में गेंदबाजों की आर्म स्पीड तेज हो जाती है।’ ‘टेनिस बॉल मैच छोटे ग्राउंड पर होते हैं। 10-12 ओवर के मैच होते हैं। बल्लेबाज हर गेंद पर सिक्स मारने की कोशिश करते हैं। लिहाजा गेंदबाज भी खुद को बचाने और कामयाब होने के लिए नई-नई स्किल ईजाद करता है। इस वजह से पाकिस्तानी तेज गेंदबाजों की यॉर्कर और स्लोअर बॉल बेहतर होती गई।’ प्रोफेशनल क्रिकेटर मोहम्मद बताते हैं, ‘पाकिस्तान में, खासकर पंजाब में बच्चे टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं। इसमें बॉडी का जोर ज्यादा लगता है। इसमें आपके पास चांस नहीं होता। रन ज्यादा बनते हैं, शॉट ज्यादा लगते हैं। इसलिए बॉलर जोर लगाते हैं। इससे पेस जनरेट होती है। शोल्डर यूज होते हैं।’ ‘फिर यही लड़के लेदर बॉल से खेलना शुरू करते हैं। थोड़ा पॉलिश होते हैं, तो पेस के साथ स्किल, लाइन लेंथ और सीम पर काम करते हैं। इमरान खान ने इसी तरह वसीम अकरम और वकार यूनुस को तैयार किया था।’ 3. क्लब क्रिकेट
अब्दुर रऊफ बताते हैं, ‘पाकिस्तान में युवा लेदर बॉल को पहली बार क्लब क्रिकेट में हाथ लगाते हैं। लाहौर और कराची जैसे शहरों में क्लब क्रिकेट काफी पॉपुलर रहा है। लाहौर के क्लबों में होड़ मची रहती है कि किस क्लब से ज्यादा कामयाब फास्ट बॉलर्स निकलेंगे। ऐसे भी क्लब हैं, जिससे एक साथ तीन से चार फास्ट बॉलर्स खेलते थे, जो पाकिस्तान टीम का भी हिस्सा होते थे।’ ​​​​​​4. फर्स्ट क्लास क्रिकेट
रऊफ कहते हैं, ‘पहले पाकिस्तान टीम में जगह बनाने के लिए या पाकिस्तान कैंप में आने के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अच्छा परफॉर्मेंस जरूरी होता था। हर फास्ट बॉलर की कोशिश होती थी कि वो ज्यादा से ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच खेले और सीजन में 90 या 100 विकेट निकाले। इससे भी पाकिस्तान में फास्ट बॉलर्स की खेप निकलती गई।’ क्या मीट खाने से पाकिस्तान के बॉलर ज्यादा फास्ट
पाकिस्तान में भारत के मुकाबले ज्यादा तेज गेंदबाज क्यों निकलते हैं? दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज रहे शोएब अख्तर से एक बार ये सवाल पूछा गया। उन्होंने जवाब दिया कि पाकिस्तान में मीट खाने का कल्चर ज्यादा है, इसलिए यहां भारत से बेहतर फास्ट बॉलर्स निकलते हैं। हालांकि रऊफ इस थ्योरी को गलत मानते हैं। वे कहते हैं, ‘यह सही है कि किसी एथलीट को सही तादाद में प्रोटीन की जरूरत होती है। फिर भी एक लिमिट के बाद प्रोटीन का कोई रोल नहीं होता।’ स्पोर्ट्स साइंस से एमफिल कर चुके रऊफ कहते हैं, ‘ज्यादा मीट खाने से पाकिस्तान को उम्दा फास्ट बॉलर्स नहीं मिले हैं। यह सिर्फ गलतफहमी है। पाकिस्तान को ज्यादा फास्ट बॉलर इसलिए मिले क्योंकि शुरुआत से यहां के बच्चों का रोल मॉडल कोई न कोई फास्ट बॉलर रहा है। बिल्कुल वैसे ही जैसे भारत में बच्चों का रोल मॉडल कोई बल्लेबाज रहा है। इसलिए वहां कामयाब बल्लेबाज ज्यादा निकले।’ अब मुश्किल में है पाकिस्तान का फास्ट बॉलिंग ट्रेडिशन
अब्दुर रऊफ कहते हैं, ‘पाकिस्तान से भले ही एक से बढ़कर एक फास्ट बॉलर निकलते रहे हैं, लेकिन अब यह परंपरा खतरे में है। पाकिस्तान में क्लब क्रिकेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट का स्ट्रक्चर तबाह हो रहा है। पहले कड़ी मेहनत के बाद ही किसी खिलाड़ी का नेशनल टीम में सिलेक्शन होता था। अब कुछ टी-20 मैचों में अच्छा खेलने से भी काम चल सकता है।’ ‘दुनियाभर की तरह पाकिस्तान में भी टी-20 क्रिकेट पॉपुलर है। नौजवान क्रिकेटर अब नेशनल टीम की जगह पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) में खेलना चाहते हैं। PSL के कुछ मैचों में अच्छा खेलने वाले प्लेयर को PCB नेशनल टीम में ले लेता है। इन गेंदबाजों के पास लॉन्ग फॉर्मेट के लायक स्किल सेट नहीं होता है। ये जल्द ही स्ट्रगल करने लगते हैं।’ ‘फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पैसा नहीं, इसलिए दूरी बना रहे खिलाड़ी’
पाकिस्तान में अब युवा गेंदबाज फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेलना चाहते। पाकिस्तान के लिए टेस्ट खेल चुके तेज गेंदबाज मोहम्मद अब्बास इसकी वजह बताते हैं। वे कहते हैं, ‘भारत में एक खिलाड़ी 10 रणजी मैच खेल ले, तो 75 लाख से 1 करोड़ रुपए तक कमा लेता है।’ पाकिस्तान में एक फर्स्ट क्लास मैच की फीस पाकिस्तानी करेंसी में 30 हजार रुपए से भी कम है। ऐसे में कोई फर्स्ट क्लास क्रिकेट नहीं खेलना चाहता। युवा तेज गेंदबाज भी इसे तरजीह नहीं देते। इससे पाकिस्तान में क्वालिटी फास्ट बॉलर्स कम होते जा रहे हैं। एक्सपर्ट बोले- PCB को क्रिकेट से मतलब नहीं
पाकिस्तान के सीनियर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट कमर अहमद कहते हैं, ‘पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड एक गैर पेशेवर बोर्ड है। भारत में BCCI के अधिकारी इलेक्ट होकर आते हैं। वे जिम्मेदारी से काम करते हैं। पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। यहां बोर्ड चलाने वालों को क्रिकेट की समझ नहीं है।’ अब्दुर रऊफ भी पाकिस्तान की तेज गेंदबाजी की क्वालिटी में आई गिरावट के पीछे PCB को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे कहते हैं, ‘पहले शाहीन और नसीम 145 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले गेंदबाज थे। PCB ने उनकी चोट को ठीक से मैनेज नहीं किया। अब ये 130 किमी की रफ्तार से गेंद फेंकते हैं।’ अब्दुर रऊफ बताते हैं, ‘इहसानुल्लाह नाम के एक गेंदबाज तीन साल पहले सामने आए थे। वे करीब 150 KMPH की रफ्तार निकालते थे। चोट की वजह से उनका करियर खराब हो गया। PCB के मेडिकल पैनल में ढंग के डॉक्टर नहीं हैं और वे खिलाड़ियों की चोट ठीक करने की जगह उसे और ज्यादा खराब कर देते हैं।’ ग्राफिक में देखिए पाकिस्तान के तेज गेंदबाज जिनसे आगे उम्मीदें हैं… ‘भारत अब पाकिस्तान से काफी आगे’
क्रिकेट में 80 और 90 के दशक में पाकिस्तानी टीम का पलड़ा भारत पर भारी रहा। रऊफ के मुताबिक अब भारत काफी आगे निकल गया है। वे कहते हैं, ‘भारत में प्रोफेशनल लोग क्रिकेट संभाल रहे हैं। वहां खिलाड़ियों का ख्याल रखा जाता है।’ ‘इंडिया में फर्स्ट क्लास का स्ट्रक्चर काफी अच्छा है। BCCI की नेशनल क्रिकेट एकेडमी खिलाड़ियों को हमेशा फिजिकली और मेंटली फिट रखती है। पाकिस्तान में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। यही वजह है कि क्रिकेट में भारत आगे निकलता जा रहा है और पाकिस्तान पिछड़ता जा रहा है।’ ‘भारत में बुमराह के आने के बाद चेंज आ रहा है। हर्षित राणा 140 से ज्यादा की रफ्तार से बॉल फेंकते हैं। उमरान मलिक 150 की स्पीड से बॉलिंग करते हैं। भारत में अब 4-5 बॉलर ऐसे हैं, जो लगातार 140 से 150 की रफ्तार से बॉल फेंक सकते हैं।’ ………………………………….. पाकिस्तान से ये रिपोर्ट भी पढ़िए पाकिस्तानी बोले- पाकिस्तान में खेले बिना विराट का करियर अधूरा लाहौर के मशहूर लिबर्टी चौक पर मिले सलमान हैदर मायूस हैं। पाकिस्तान में 29 साल बाद कोई ICC टूर्नामेंट हो रहा है। उन्हें उम्मीद थी कि टीम इंडिया भी मैच खेलने आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत अपने सभी मैच दुबई में खेल रहा है। वहीं, पेशे से पत्रकार मंसूर कहते हैं, ‘पाकिस्तान में विराट कोहली के बहुत फैन हैं। यहां खेले बिना कोहली का करियर अधूरा रह जाएगा। पढ़िए पूरी खबर…