अब देश के क्रिश्चियन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों पर कैथोलिक या क्रिश्चियन ट्रेडिशन्स नहीं थोपे जाएंगे। कैथोलिक बिशप्स कॉन्फरेंस ऑफ इंडिया यानी CBCI ने कैथोलिक स्कूल्स के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की हैं। अब बच्चों को अपना धर्म, ट्रेडिशंस और आस्था मानने की आजादी होगी। इसके अलावा गाइडलाइंस में ये भी कहा गया है कि स्टूडेंट्स सभी धर्मों की इज्जत करें और भारतीय संविधान का प्रीएम्बल हर दिन पढ़ें। CBCI का कहना है कि इन गाइडलाइन्स का उद्देश्य बच्चों को सभी धर्मों की इज्जत करना सिखाना, इंक्लूसिविटी बढ़ाना और होलिस्टिक एजुकेशन है। छात्र को कलावा पहनने से रोका था इसी साल फरवरी में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में एक प्राइवेट क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल के खिलाफ राइट-विंग ग्रुप बजरंग दल ने प्रोटेस्ट किया था। दरअसल, स्कूल की टीचर ने स्टूडेंट को हाथ पर कलावा पहनने से मना कर दिया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। इसी महीने असम के क्रिश्चियन स्कूलों को हिंदू ग्रुप ने स्कूल से सभी क्रिश्चियन सिंबल हटाने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। स्कूलों से ये भी कहा गया था कि स्कूल कैंपस में जितने भी नन, प्रीस्ट और ब्रदर्स हैं, उन्हें भी धार्मिक कपड़े, ताबीज आदि न पहनने की हिदायत दी गई थी। 13 पेज के डॉक्यूमेंट में, इन गाइडलाइंस का जिक्र किया गया टीचर्स के डेवलपमेंट का भी रखा ख्याल स्कूल में काम करने वाले टीचर्स और अन्य स्टाफ के लिए भी CBCI ने कुछ बाते रिकमेंड की हैं। गाइडलाइन्स में कहा गया है कि स्कूलों को टीचर के प्रोफेश्नल डेवलपमेंट का ख्याल रखने के लिए समय-समय पर मेंटरशिप प्रोग्राम आयोजित करने चाहिए। इसके अलावा वर्क-लाइफ बैलेंस मेंटेन करने के लिए सपोर्ट सिस्टम स्टाफ को मिलना चाहिए। वर्तमान धार्मिक, राजनीतिक स्थिति के चलते गाइडलाइंस जारी की CBCI ने ये भी कहा कि वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक स्थिति के कारण उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए ये गाइडलाइंस जारी की गई हैं। वर्तमान में देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए चर्च की एक मीटिंग के दौरान ये फैसला लिया गया। इसके अलावा पिछले कुछ समय से क्रिश्चियन कम्यूनिटी द्वारा चलाए जा रहे एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स और वहां पढ़ाने वाले टीचर्स के खिलाफ लगातार प्रोटेस्ट हो रहे हैं। कई मामलों में उनपर अटैक भी किया गया है।