ग्रंथों से सीखें तनाव दूर करने की 5 टिप्स:श्रीकृष्ण ने अर्जुन के अशांत मन को शांत करने के लिए दिया था गीता का ज्ञान

आजकल अधिकतर लोग तनाव का सामना कर रहे हैं। तनाव की कई वजहें हो सकती हैं जैसे किसी काम में असफलता, घरेलू समस्याएं, पैसों की कमी, रिश्तों में विवाद, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि। तनाव की वजह से मन अशांत हो जाता है और किसी भी काम में एकाग्रता नहीं बन पाती है। इस कारण जीवन और कठिन लगने लगता है। तनाव दूर करने के लिए ग्रंथों में कई टिप्स बताई गई हैं। इन टिप्स को अपनाने से मन शांत हो सकता है और फिर हम अपने काम अच्छे ढंग से कर सकते हैं। जानिए ये टिप्स… सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान लगाएं भगवद गीता के अध्याय 2 में लिखा है कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हमें केवल अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, न कि उसके फल की चिंता करनी चाहिए। फल की अपेक्षा करने से तनाव बढ़ता है और जब मनचाहा फल नहीं मिलता है तो निराशा और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में तनाव से बचना चाहते हैं तो हमें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। अपने काम सही तरीके से और धर्म के अनुसार करेंगे तो जीवन में शांति बनी रहेगी। ध्यान मेडिटेशन करें पतंजलि योग सूत्र के मुताबिक ध्यान करने से मन की चंचलता शांत होती है और एकाग्रता बढ़ती है। एकाग्र मन इधर-उधर की बातों में भटकता नहीं है। हमें रोज सुबह कुछ देर ध्यान करना चाहिए। इसके लिए किसी शांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठ जाएं और आंखें बंद करके अपना पूरा ध्यान दोनों भौंहों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। ध्यान करते समय कोशिश ये करें कि कोई विचार मन में न आए। जब कुछ दिनों तक रोज ध्यान करेंगे तो इसका असर दिखने लगेगा और मन शांत होने लगेगा। ध्यान को जीवन शैली में शामिल करें और इसके साथ ही कुछ देर प्राणायाम भी करें। प्राणायाम भी तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम कर सकते हैं। संतुष्टि को अपनाएं जब तक हम अपनी चीजों से संतुष्ट नहीं होंगे, तब तक जीवन में शांति नहीं आ पाएगी। रामायण, महाभारत, श्रीमद् भगवद गीता जैसे ग्रंथों का यही संदेश है कि हमें अपनी चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए। जब हम दूसरों की चीजें देखकर मोहित होने लगते हैं, अधिक पाने की इच्छा रखते हैं तो यही तनाव का मूल कारण है। संतोष में ही परम सुख है, जो लोग ये बात अपना लेते हैं, वे तनाव से दूर रहते हैं। प्रकृति से जुड़ें, तीर्थ यात्रा करें और प्रवचन सुनें दैनिक जीवन से थोड़ा ब्रेक लेकर हमें प्रकृति के निकट रहना चाहिए। जब हरियाली में रहते हैं तो आंखों को सुकुन मिलता है, मन शांत होता है। हमें समय-समय पर तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। साधु-संतों के प्रवचन सुनना चाहिए। ऐसा करने से हमारा मन कुछ समय के लिए व्यर्थ सांसारिक चीजों से हट जाता है और हम तरोताजा महसूस करने लगते हैं। जरूरतमंद लोगों की सेवा करें और दान-पुण्य करें शास्त्रों में दान और सेवा का काफी अधिक महत्व बताया गया है। दान करें, लेकिन कभी अपने द्वारा किए गए दान का अहंकार न करें। सेवा करने से अहंकार शांत होता है। दान और सेवा करने से जरूरतमंद लोगों से आशार्वाद मिलता है, मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।